गुजरात

2002 के गुजरात दंगे से जुड़े मामले में गुजरात SIT ने अपने एफिडेविट में बड़ा खुलासा

Teja
16 July 2022 9:08 AM GMT
2002 के गुजरात दंगे से जुड़े मामले में गुजरात SIT ने अपने एफिडेविट में बड़ा खुलासा
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बड़ा खुलासा

2002 के गुजरात दंगों से मामले में SIT ने अपने एफिडेविट में बड़ा खुलासा किया है। इस एफिडेविट में सामने आया है कि गुजरात की तत्कालीन मोदी सरकार को किसी भी हाल में अस्थिर करने के लिए बड़ी साजिश रची गई थी। इसके लिए तीस्ता सीतलवाड़ को कांग्रेस से 30 लाख रुपये मिले थे। इसके अलावा ये भी खुलासा हुआ है कि नरेंद्र मोदी की छवि खराब करने के लिए 2007 में कांग्रेस सरकार ने तीस्ता को पद्मश्री से नवाजा था। इन खुलासों के बाद बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर हो गई है।

SIT का दावा- गुजरात सरकार को अस्थिर करने की रची गई थी साजिश 2002 में हुए दंगों से जुड़े मामले पर गुजरात SIT ने शुक्रवार को एक सेशन कोर्ट को बताया कि एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़, सेवानिवृत्त डीजीपी आरबी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे। उस समय साम दाम दंड भेद की नीति के तहत तत्कालीन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को गिराने या अस्थिर करने की कोशिश की गई थी। इसके लिए बकायदा कांग्रेस से फंड भी सजिशकर्ताओं को मिले थे।
SIT ने आरोपियों की जमानत का किया विरोध शुक्रवार को SIT ने दंगों से जुड़े मामले में आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध किया। इसके साथ ही कोर्ट में दायर किये गए एफिडेविट में दावा किया कि गुजरात की छवि खराब करने की साजिश इन आरोपियों द्वारा दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल के इशारे पर रची गई थी। बता दें कि अहमद पटेल उस समय राज्यसभा सांसद और पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार थे।
एफिडेविट में दावा- तीस्ता को मिले थे 30 लाख रुपये इसमें दावा किया गया है कि गुजरात में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत विभिन्न अधिकारियों और अन्य निर्दोष लोगों को फंसाने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए अवैध वित्तीय लाभ और इनाम राजनीतक दल द्वारा दिए गए थे। SIT ने एक गवाह के बयानों का हवाला देते हुए ये दावा किया है कि तीस्ता सीतलवाड़ ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पूर्व राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल से 30 लाख रुपये लिए थे।
राज्यसभा उम्मीदवार न बनाए जाने से नाराज थीं तीस्ता SIT ने आगे दावा किया है कि तीस्ता सीतलवाड़ 2002 के दंगों से जुड़े मामलों में तत्कालीन बीजेपी सरकार के वरिष्ठ नेताओं के नामों को फंसाने के लिए बकायदा दिल्ली जाती थीं और एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख नेताओं से मुलाकात करती थीं। एफिडेविट में ये भी दावा किया है कि तीस्ता सीतलवाड़ ने 2006 में कांग्रेस से नाराजगी जाहिर की थी जब उन्हें राज्यसभा उम्मीदवार बनने का अवसर नहीं दिया गया।


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