गुजरात
गुजरात दंगा मामला: 'पीएम मोदी समेत 64 लोगों को क्लीनचिट देने को चुनौती'
Deepa Sahu
10 Nov 2021 1:44 PM GMT
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सांप्रदायिक हिंसा ज्वालामुखी से निकले लावे की तरह होती है.
सांप्रदायिक हिंसा ज्वालामुखी से निकले लावे की तरह होती है, यह जिस जगह होती हैं, वहां निशान छोड़ जाती है। यह बात वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कही। 2002 के गुजरात दंगा मामले में राज्य के तत्कालीन पीएम नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को एसआईटी द्वारा क्लीनचिट देने को चुनौती देने वाली जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई के दौरान सिब्बल ने यह बात कही। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सिब्बल ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा, भावी बदले के लिए एक उर्वर जमीन तैयार करती है।
वरिष्ठ वकील सिब्बल भावुक हुए
वह खुद भी अपने नाना-मामा के परिवार को पाकिस्तान में खो चुके हैं। जकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ के समक्ष ये बातें कहते हुए वरिष्ठ वकील सिब्बल भावुक हो गए। सिब्बल ने अपनी दलीलें पेश करते हुए यह भी कहा कि सांप्रदायिक हिंसा, एक ज्वालामुखी से निकले लावे की तरह होती है। यह हिंसा को संस्थागत रूप देती है। यह लावा जिस जगह पर फैलता है, उसे धरती पर दाग छोड़ जाता है। सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी व जस्टिस सीटी रविकुमार भी शामिल हैं।
जाफरी की ओर से पक्ष रख रहे सिब्बल ने कहा कि वह किसी 'ए' या 'बी' पर आरोप नहीं लगा रहे हैं, लेकिन दुनिया को यह संदेश अवश्य जाना चाहिए कि यह हिंसा अस्वीकार्य है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। कपिल सिब्बल ने कहा कि यह एक 'ऐतिहासिक मामला' है। हमें यह तय करना है कि कानून का राज कायम रहेगा या लोगों को आपस में भिड़ने देना चाहिए।'
जकिया जाफरी अहमदाबाद के पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी है। एहशान जाफरी अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में वर्ष 2002 में गुजरात दंगों के दौरान हुए नरसंहार में मारे गए थे। इस मामले की जांच एसआईटी ने की थी।
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