गुजरात कार्बन उत्सर्जन में अक्षय ऊर्जा के उपयोग से ला रहा है कमी, जानिए कैसे
गुजरात न्यूज़: अक्षय ऊर्जा को लेकर केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का उपयोग करके गुजरात राज्य में लगातार कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा रही है। राज्य सरकार की तरफ से जारी आंकड़े में दावा किया गया है कि ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया में होने वाले कार्बन उत्सर्जन में 2017 की तुलना में 2022 में लगभग 115फीसदी से अधिक कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित एक कार्यक्रम में राज्य के ऊर्जा विभाग की जीएम(जीयूवीएनएल) शैलजा वछरानी ने बताया। अधिकारी के मुताबिक लगातार बढ़ती ऊर्जा की मांग की आपूर्ति को अक्षय ऊर्जा से प्रतिस्थापित करने का प्रयास गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के निर्देशन में किया जा रहा है। ताकि इन प्रयासों से पर्यावरण को बेहतर बनाने में और अधिक सहायता मिल सके। मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि पीएम मोदी के संकल्प 2070 तक भारत को जीरो कार्बन उत्सर्जन वाला देश बनाने में गुजरात का योगदान सबसे अधिक हो।
अधिकारी के मुताबिक राज्य में पिछले 5 वर्षों में थर्मल पावर से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में लगातार गिरावट आई है। इस उपलब्धि के पीछे राज्य सरकार द्वारा लगातार रिन्यूएबल एनर्जी की स्थापित क्षमता (इंस्टॉल्ड कैपेसिटी) को बढ़ावा देना है। वर्तमान समय में गुजरात अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता में देश में दूसरे स्थान पर है। अधिकारी का दावा है कि अक्षय ऊर्जा की बढ़ती स्थापित क्षमता का पर्यावरण पर सीधा असर यह हुआ है कि वर्ष 2017-18 में अक्षय ऊर्जा के माध्यम से गुजरात में काबज़्न उत्सर्जन में आई कमी 12.08 मिलियन टन थी, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 26.01 मिलियन टन हो गई है। गौरतलब है कि परंपरागत बिजली के उत्पादन में कोयले का भारी उपयोग होता है जिस वजह से इस पूरी प्रक्रिया में कार्बन उत्सर्जन भी अधिक होता है। लेकिन अक्षय ऊर्जा में बिजली उत्पादन के पारंपरिक तरीके से भिन्न है।