
नई दिल्ली. देश के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने बुधवार को बंबई, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, ओडिशा और केरल के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश की है. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय के. कौल और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय कॉलेजियम ने जस्टिस सुनीता अग्रवाल को गुजरात उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की है.
अगर केंद्र से मंजूरी मिल जाती है, तो नियुक्त होने के बाद, वह किसी उच्च न्यायालय की एकमात्र महिला मुख्य न्यायाधीश होंगी क्योंकि वर्तमान में इस पद पर कोई महिला प्रतिनिधित्व नहीं कर रही है. कॉलेजियम ने बुधवार की बैठक में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय को बंबई उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है.
कॉलेजियम ने कर्नाटक उच्च न्यायालय (मूल हाईकोर्ट: मध्य प्रदेश) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक अराधे को तेलंगाना राज्य के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की भी सिफारिश की. आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के लिए, कॉलेजियम ने बॉम्बे उच्च न्यायालय [मूल हाईकोर्ट: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख] के न्यायाधीश न्यायमूर्ति धीरज सिंह ठाकुर की नियुक्ति की सिफारिश की है.
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल को कॉलेजियम ने मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अनुशंसित किया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने ओडिशा हाईकोर्ट (मूल हाईकोर्ट : त्रिपुरा) के न्यायाधीश सुभासिस तालापात्रा की नियुक्ति ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में करने की भी सिफारिश की. इसी तरह से, गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आशीष जे.देसाई को कॉलेजियम ने केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अनुशंसित किया है.
कॉलेजियम ने कहा कि ये न्यायाधीश विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए हर तरह से फिट और उपयुक्त हैं और इसलिए, वह उनकी नियुक्ति की सिफारिश करते हैं. न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल को 21 नवंबर 2011 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और अब वह अपने मूल उच्च न्यायालय में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं. वह अपनी पदोन्नति के बाद से वहां कार्यरत हैं और देश के सबसे बड़े उच्च न्यायालय में न्याय देने का 11 वर्षों से अधिक का अनुभव हासिल कर चुकी हैं.
