गुजरात

भावुक होकर लोगों ने कहा आंखों के सामने सब बर्बाद होने को छोड़ आए।

HARRY
15 Jun 2023 1:06 PM GMT
भावुक होकर लोगों ने कहा आंखों के सामने सब बर्बाद होने को छोड़ आए।
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हवाओं का शोर इतना ज्यादा है कि कच्छ के हरिमन भाई की आवाज को सुन पाना बहुत मुश्किल हो रहा था। फोन में नेटवर्क की इतनी समस्या थी कि बात नहीं हो पा रही थी। रह-रह कर हो रही बारिश से बचते हुए जैसे तैसे पश्चिमी कच्छ के नखतारा तालुका के सुथरी गांव के रहने वाले हरिमन भाई रबरिया ने अमर उजाला डॉट कॉम से समुद्री चक्रवाती तूफान बिपरजोय के आने से पहले विस्थापित किए जाने के दौरान बातचीत की। हरिमन भाई कहते हैं कि हमें नहीं पता कि अब हमारी जिंदगी दोबारा कैसे बस पाएगी। अपने पुरखों की जमीन छोड़कर हम लोग उस जगह पर आ गए हैं, जहां पर कभी आना ही नहीं हुआ। अपना घर-बार धंधा-पानी सब छोड़कर इस उम्मीद से कच्छ के भिंडयारा पहुंचे हैं कि शायद हालात सामान्य होने के बाद हम लोग वापस अपने गांव अपने घर पहुंच सकें। भावुक होते हुए कहते हैं कि अपने घर से जो सामान ला सकते थे उतना लाए हैं बाकी सब वहीं छोड़ आए हैं। गुरुवार शाम को समुद्री तट से टकराने वाले बिपरजॉय को लेकर गुजरात के कई इलाकों में रहने वालों से अमर उजाला डॉट कॉम ने फोन पर बातचीत की।

अमर उजाला डॉट कॉम से फोन पर बात करते हुए पश्चिमी कच्छ के नखतारा तहसील के सुथरी गांव में रहने वालों को कुछ समय पहले ही वहां से तकरीबन 80 किलोमीटर दूर भिंडयारा कस्बे में पहुंचा दिया गया। अपने परिवार के साथ भिंडयारा पहुंचे हरिमन भाई कहते हैं कि वह अपने पूरे परिवार के साथ यहां आ हो चुके हैं। वह कहते हैं कि वह बेरा गांव में मछलियों की दुकान करते थे फिर इसी गांव में बस गए थे। 51 साल के हरीमन बताते हैं कि समुद्री इलाकों में ऐसे तूफान तो आए, लेकिन जितना डर बिपरजॉय को लेकर बना हुआ है वैसा आज तक कभी दिखा ही नहीं। वह कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि अब वह वापस अपने घर कब पहुंच पाएंगे। अगर पहुंचेंगे भी तो उनके पुरखों का बनाया हुआ घर बचा भी होगा या समुंदर की लहरों ने लील लिया होगा। जिस तरह से इस समुद्री तूफान को लेकर उनके दिल में डर घर कर गया है वह तो अब दोबारा उन इलाकों में जाकर बसने के बारे में भी कई बार सोचेंगे। हालांकि वह यह भी कहते हैं कि अपने पुरखों की जमीनों को कोई भला ऐसे कैसे छोड़ दे। भावुक होते हुए वो कहते हैं कि अपनी आंखों के सामने अपने घर की बसी बसाई गृहस्ती को बर्बाद करने के लिए छोड़ आए हैं।

कच्छ के ही आरीखाना और अकरीमोती भी समुद्र के तट पर बसे हुए गांव हैं। इस गांव के रहने वाले बहुत से लोगों को वहां से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर भुज में विस्थापित किया गया है। अकरीमोती के रहने वाले देवेन नगरिया बताते हैं कि वह तो अपने पूरे परिवार के साथ अपने रिश्तेदार के घर भुज आ गए हैं। देवेन कहते हैं कि वह अपनी मां के साथ अपना पुश्तैनी घर छोड़कर आए हैं। वह कहते हैं कि प्रशासन की ओर से उन सब लोगों को अगले एक सप्ताह के भीतर हालात सामान्य होने के बाद वापस अपने गांव और घर की ओर जाने की बात कही है। लेकिन देवेन कहते हैं कि अभी मिल रही जानकारी के मुताबिक उनके गांव को जाने वाली सड़क समुंदर की भेंट चढ़ चुकी है। तेज हवाओं की वजह से उनके घरों के ऊपर पेड़ गिर चुके हैं और इसकी संभावना ना के बराबर है कि वह अपने उन घरों में जाकर दोबारा बस पाएंगे।

गुजरात के द्वारका में समुद्री तट पर बसे हुए रिहायशी इलाकों को पूरी तरीके से खाली करा दिया गया है। यहां रहने वाले चेतन झूंगी बताते हैं कि वह अपने परिवार के साथ फ़िलहाल राजकोट जा रहे हैं। इलाके में समुद्री तूफान को लेकर इतनी ज्यादा दहशत है कि जानकारी मिलते ही पूरे इलाके को पहले से ही खाली करा दिया गया था। वह कहते हैं कि हालात ऐसे बने कि अपना व्यापार घर सब कुछ छोड़ कर उनको फिलहाल एक नए शहर की ओर जाना पड़ रहा है। चेतन बताते हैं कि उनके साथ उनके कई पड़ोसी भी आसपास के शहरों में अपना पूरा घर छोड़कर शिफ्ट हो गए हैं। उनका कहना है कि वह अब वापस कब आएंगे, इसे लेकर अधिकारियों की ओर से मिलने वाले आदेशानुसार व्यवस्था की जाएगी। द्वारका से जामनगर अपनी बहन के घर जा रहे हैं दिनेश मांडवीया कहते हैं कि आज तक इससे पहले इतनी दहशत किसी समुद्री तूफान को लेकर देखी नहीं गई। उनका कहना है कि वह लोग समुद्री तट के किनारे रहते हैं लेकिन ऐसे हालात बनेंगे इसे लेकर कभी किसी ने सोचा ही नहीं। लेकिन इन तमाम परिस्थितियों के बाद भी वह इस बात को मानते हैं कि वक्त रहते सब कुछ अब पता चल रहा है इसीलिए वह सब लोग सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं।

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