गुजरात

समिति के फैसले से अबोटी ब्राह्मण नाराज, कहा- विवाद नहीं सुलझा तो कोर्ट जाएंगे

SANTOSI TANDI
30 July 2023 11:40 AM GMT
समिति के फैसले से अबोटी ब्राह्मण नाराज, कहा- विवाद नहीं सुलझा तो कोर्ट जाएंगे
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विवाद नहीं सुलझा तो कोर्ट जाएंगे
गुजरात के द्वारका में स्थित विश्व प्रसिद्व जगत मंदिर के शिखर पर रोज चढ़ाई जाने वाली ध्वजा की संख्या बढ़ाने पर विवाद खड़ा हो गया है। द्वारकाधीश मंदिर की समिति ने दिन में पांच की बजाए छह ध्वजा फहराने का फैसला लिया था।
वहीं, पिछले सैकड़ों वर्षों से मंदिर में ध्वजा चढ़ाने और पूजा व्यवस्था संभालने वाले अबोटी ब्राह्मणों ने इस फैसले पर विरोध जताया है। अबोटी ब्राह्मणों ने कहा है कि अगर समिति ने फैसला नहीं बदला तो वे इस मामले को कोर्ट में ले जाएंगे। अबोटी ब्राह्मणों ने समिति को लिखित में नोटिस देकर 72 घंटे में जवाब मांगा है।
द्वारकाधीश मंदिर में 5 बार ध्वजा चढ़ाई जाती है। ध्वजारोहण अबोटी ब्राह्मण ही करते हैं।
द्वारकाधीश मंदिर में 5 बार ध्वजा चढ़ाई जाती है। ध्वजारोहण अबोटी ब्राह्मण ही करते हैं।
अबोटी ब्राह्मणों का ध्वजारोहण पर एकाधिकार
मंदिर में पिछले 800 सालों से पांच ध्वजा फहराई जा रही है। द्वारकाधीश की मंगला आरती सुबह 7.30 बजे, श्रृंगार सुबह 10.30 बजे, इसके बाद सुबह 11.30 बजे, फिर संध्या आरती 7.45 बजे और शयन आरती 8.30 बजे होती है। इसी दौरान पांच बार ध्वज चढ़ाया जाता है। मंदिर की पूजा आरती गुगली ब्राह्मण करवाते हैं। पूजा के बाद ध्वज द्वारका के अबोटी ब्राह्मण चढ़ाते हैं।
अबोटी ब्राह्मण पिछले 800 सालों से मंदिर में ध्वज चढ़ाते आ रहे हैं।
अबोटी ब्राह्मण पिछले 800 सालों से मंदिर में ध्वज चढ़ाते आ रहे हैं।
क्या था समिति का फैसला?
करीब 15 दिन पहले जिला कलक्टर एवं द्वारकाधीश मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष अशोक शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में द्वारकाधीश जगतमंदिर के शिखर पर प्रतिदिन छह ध्वजाएं फहराने का निर्णय लिया गया था। इसके साथ यह भी ऐलान किया गया है कि 1 नवंबर, 2023 से बुकिंग भी ऑनलाइन हो जाएगी।
मंदिर पर ध्वजा फहराने का अधिकार सिर्फ अबोटी ब्रह्माणों को मिला हुआ है। वे मंदिर की 150 फीट ऊंचे शिखर पर ध्वजा चढ़ाते हैं। उनका साफ कहना है कि ध्वजा की संख्या को उनसे कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया है। अबोटी ब्रह्माणों का कहना है कि ध्वजा फहराने का काम उनका है। इसीलिए इस फैसले को लेकर उनसे भी बात की जानी चाहिए थी।
द्वारका शहर में किसी प्राकृतिक आपदा आने पर 6 ध्वज चढ़ाए जाते हैं।
द्वारका शहर में किसी प्राकृतिक आपदा आने पर 6 ध्वज चढ़ाए जाते हैं।
छठवें ध्वज के लिए मासिक ड्रॉ निकाला जाएगा
मंदिर समिति ने फैसला किया है कि स्वीकृत छठवें ध्वज को चढ़ाने के लिए गुगली ब्राह्मण समाज द्वारा उम्मीदवारों का चयन हर महीने की 20 तारीख को ड्रॉ के जरिए किया जाएगा। द्वारकाधीश मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य रमेशभाई हेरमा और मुरलीभाई ठाकर और कमलेशभाई शाह की उपस्थिति में ड्रॉ निकालने का निर्णय लिया गया था।
यादवों के प्रतीक के रूप में भगवान द्वारकाधीश के मंदिर पर 52 गज का ध्वज फहराया जाता है।
यादवों के प्रतीक के रूप में भगवान द्वारकाधीश के मंदिर पर 52 गज का ध्वज फहराया जाता है।
द्वारकाधीश मंदिर पर 52 गज का ध्वज क्यों?
द्वारकाधीश मंदिर में फहराता ध्वज कई किलोमीटर दूर से साफ देखा जा सकता है, क्योंकि यह झंडा पूरे 52 गज का है। 52 गज के इस झंडे के पीछे के कई मिथक हैं। कुछ लोगों का मानना है कि द्वारकानगरी पर 56 प्रकार के यादवों का शासन था। उस समय सभी के अपने महल थे और सभी पर अपने-अपने ध्वज लगे थे। मुख्य भगवान कृष्ण, बलराम, अनिरुद्ध और प्रद्युम्न ये चार भगवानों के मंदिर अभी भी बने हुए हैं। जबकि बाकी के 52 प्रकार के यादवों के प्रतीक के रूप में भगवान द्वारकाधीश के मंदिर पर 52 गज का ध्वज फहराया जाता है।
एक और कहानी है कि 12 राशि, 27 नक्षत्र, 10 दिशाएं, सूर्य, चंद्र और श्री द्वारकाधीश मिलकर 52 होते हैं। एक और मान्यता है कि द्वारका में एक वक्त 52 द्वार थे। ये उसी का प्रतीक है। मंदिर के इस ध्वज के एक खास दर्जी ही सिलता है। जब ध्वज बदलने की प्रक्रिया होती है उस तरफ देखने की मनाही होती है।
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