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अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद शहर में एक फ्लाईओवर के खराब निर्माण कार्य के आरोप में अजय इंजीनियरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (एईआईपीएल) के चार निदेशकों को सोमवार को गिरफ्तार किया गया. इससे पहले मामले में उच्चतम न्यायालय ने इनकी अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. पुलिस ने यह जानकारी दी. अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने अहमदाबाद के हाटकेश्वर इलाके में एईआईपीएल द्वारा 44 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित छत्रपति शिवाजी महाराज फ्लाईओवर को गिराने का फैसला किया है. इस फ्लाईओवर को 2017 में आम लोगों के लिए खोल दिया गया था.
खोखरा थाने के निरीक्षक ए. वाई. पटेल ने कहा कि एएमसी ने हाटकेश्वर इलाके में पुल के निर्माण कार्य में खराब गुणवत्ता वाली सामग्री के इस्तेमाल को लेकर कंपनी के चार निदेशकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है. उच्चतम न्यायालय द्वारा उनकी अंतरिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्हें आज गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा कि कंपनी के खिलाफ कार्रवाई तब की गई जब विशेषज्ञ समितियों ने देखा कि फ्लाईओवर के निर्माण के लिए उपयोग की गई सामग्री घटिया गुणवत्ता वाली थी और यह यात्रियों के लिए खतरनाक थी क्योंकि इसमें संरचनात्मक खामियां थीं. एईआईपीएल के आरोपी निदेशक राशिक पटेल, रमेश पटेल, चिराग पटेल और कल्पेश पटेल हैं. अधिकारी ने कहा कि उनकी कंपनी गुजरात के विभिन्न शहरों में फ्लाईओवर के निर्माण कार्य से जुड़ी है.
अधिकारी ने कहा कि स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई. इन स्वतंत्र एजेंसियों ने पुल की संरचनात्मक मजबूती की जांच की थी. इसके नमूने चार विभिन्न जांच एजेंसियों को भेजे गए थे और इस पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के विशेषज्ञों के विचार भी मांगे गए थे. उन्होंने कहा कि एईआईपीएल को पुल के निर्माण का अनुबंध दिया गया था और नगर निगम ने प्राथमिकी में उसके अध्यक्ष एवं निदेशकों के अलावा परियोजना प्रबंधन सलाहकार एसजीएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के चार व्यक्तियों का नाम भी दर्ज कराया है. अधिकारी ने कहा कि एएमसी के कई अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है. भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात की सजा) और 420 (धोखाधड़ी) और अन्य संबंधित प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराधों के लिए अप्रैल 2023 में मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
चार निदेशकों की अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा था कि फ्लाईओवर को 2017 में उपयोग के लिए चालू किया गया था और चार से पांच साल की अवधि के भीतर इसके क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण इसे जनता के लिए बंद करना पड़ा था. अपने आदेश में अदालत ने कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि प्राथमिकी दर्ज करने से पहले विभिन्न स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा विस्तृत संरचनात्मक ऑडिट किया गया था और उन्होंने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसमें निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले कंक्रीट की गुणवत्ता संदिग्ध बताई थी. निदेशकों ने तब उच्चतम न्यायालय का रुख किया, जिसने 25 मई को उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी.
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