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अहमदाबाद: बीजेपी लगातार आदिवासी वोटरों को आकर्षित करने का प्रयास कर रही है. उसके तहत हाल ही में बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल के जरिए वन डे वन ड्रिस्ट्रिक्ट का प्रोग्राम नर्मदा में किया गया, लेकिन क्या बीजेपी को सिर्फ आदिवासियों के वोट ही चाहिए. क्या उनके रोजगार का मुद्दा बीजेपी का मुद्दा नहीं है.
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैचू ऑफ यूनिटी के एरिया के अंदर काम करने वाले स्थानीय 150 आदिवासियों को अचानक सफाई की नौकरी से निकाले जाने से उन लोगों में काफी नाराजगी दिख रही है. दरअसल स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और उसके आस-पास एरिया में सफाई के लिए खानगी एजेंसी ने 150 स्थानीय लोगों को नौकरी पर रखा था. जिसकी वजह से गरीब लोगों का अपना जीवन निर्वाह हो रहा था, लेकिन अब प्रशासन यहां सफाई करने के लिए मशीन ला रहा है और उसका कॉन्ट्रैक्ट वडोदरा म्युनिसिपल कॉरपोरेशन को दे दिया गया है. इसलिए अब खानगी एजेंसी ने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. जिससे इन लोगों में काफी नाराजगी दिख रही है.
यहां काम करती दक्षा बेन तड़वी का कहना है कि हम लोग पिछले 4 साल से साफ सफाई और घंटी का काम कर रहे थे, जिससे हमारा गुजारा चल रहा था, लेकिन अचानक ही हमको नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है. अगर उनको सफाई करने के लिए मशीन लानी थी तो पहले से लानी चाहिए थी क्योंकि हम लोग 4 साल से यहां पर नौकरी कर रहे हैं. अब हम लोग कहां जाएंगे. हम लोग तालुका पंचायत से लेकर व्यूप्वाइंट के एरिया तक काम करते थे.
स्थानीय महिला लीडर कोकिलाबेन तड़वी का कहना है कि इन लोगों को नौकरी से बर्खास्त किया गया है. उन्हें किसी भी तरह का काम करने का ऑर्डर नहीं दिया गया है. यह लोग 2018 से काम कर रहे थे तो सरकार एक तरफ रोजगार देने की बात कर रही है, लेकिन दूसरी और उनकी नौकरी छीन रही है. यह जमीन इन्हीं लोगों की है, यही उनके मूल मालिक हैं क्योंकि इनकी ही जमीन पर पूरा डेवलेप किया गया है. उनको बर्खास्त कर दिया और कह दिया उनको रोजगारी देने की बात थी, लेकिन ये लोग रोड पर आ गए. जमीन देकर बेघर हो गए.
गौरतलब है कि स्टैचू ऑफ यूनिटी के पास जो एरिया है वहां पर स्थानीय लोग हैं. उनकी जमीन के ऊपर ही पूरा डेवलपमेंट किया जा रहा है और सरकार ने भी तय किया था कि रोजगार सबसे पहले स्थानीय आदिवासियों को मिलेगा. लेकिन जो सफाई करने वाली स्थानीय आदिवासी महिलाएं और युवक हैं अचानक ही उन्हें बर्खास्त कर किया गया. यहां के स्थानीय आदिवासियों में इसकी वजह से काफी नाराजगी दिखाई दे रही है. आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर आंदोलन भी हो सकता है.
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