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बस्तर में नक्सलियों की आर्थिक रीढ़ तोड़ने की कवायद, मादक पर्दाथों की तस्करी पर छत्तीसगढ़ पुलिस कस रही है शिकंजा

Apurva Srivastav
15 Jan 2022 3:35 PM GMT
बस्तर में नक्सलियों की आर्थिक रीढ़ तोड़ने की कवायद, मादक पर्दाथों की तस्करी पर छत्तीसगढ़ पुलिस कस रही है शिकंजा
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छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद का दायरा सिमट रहा है। इसके लिए पुलिस नए-नए कैंप खोल रही है। अब तक 120 से ज्यादा कैंप खोले जा चुके हैं,

छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद का दायरा सिमट रहा है। इसके लिए पुलिस नए-नए कैंप खोल रही है। अब तक 120 से ज्यादा कैंप खोले जा चुके हैं, जिनकी मदद से अंदरूनी क्षेत्रों में विकास कार्य किए जा रहे हैं। पुलिस का दावा है कि फोर्स की दखल बढ़ने से नक्सलियों की लेवी (उगाही) वसूली पर काफी हद तक रोक लग गई है। पुलिस अब नक्सलियों के दूसरे सबसे बड़े आर्थिक स्त्रोत गांजा की सप्लाई चेन भी तोड़ने की कवायद में जुटी है। इसके लिए ओडिशा से लगी सीमा पर सख्ती बढ़ा दी गई है। इसका असर भी दिखने लगा है।

नक्सलियों की आर्थिक रीढ़ तोड़ने की कवायद
वर्ष 2021 में राज्य में करीब 37 हजार किलो से ज्यादा गांजा जब्त किया गया है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार 2021 में अकेले बस्तर में करीब 8,890 किलो गांजा जब्त किया गया है, जबकि ओडिशा के सीमावर्ती जिलों में बरामद गांजा का आंकड़ा इसमें शामिल कर लें तो यह मात्रा करीब 20 हजार किलो तक पहुंच जाती है। इससे पहले एक वर्ष में इतने बड़े पैमाने पर गांजा की जब्ती नहीं हुई थी। करीब छह सौ करोड़ का कारोबार ओडिशा और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में नक्सलियों की शह पर गांजा की अवैध खेती की जाती है। पुलिस सूत्रों के अनुसार गांजा का करीब छह सौ करोड़ रुपये का कारोबार है। इस कमाई में छत्तीसगढ़ में सक्रिय नक्सली संगठनों को सीधा हिस्सा नहीं मिलता, लेकिन केंद्रीय कमेटी के माध्यम से राशि यहां भी आती है। गांजे की खेती मुख्यरूप से ओडिशा के सीमावर्ती जिलों और वन क्षेत्रों में कराई जाती है।
कई राज्यों में होती है आपूर्ति
ओडिशा के गांजा की देश के करीब डेढ़ दर्जन राज्यों में आपूर्ति होती है। सूत्रों के अनुसार इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, बंगाल, मध्य प्रदेश व उत्तराखंड के साथ जम्मू-कश्मीर और दमन-दीव तक शामिल हैं। गांजा तस्करी के नेटवर्क का जंक्शन है छत्तीसगढ़ पुलिस अधिकारियों के अनुसार छत्तीसगढ़ देश के गांजा तस्करी के नेटवर्क का जंक्शन है। वजह यह है कि ओडिशा के जिन जिलों में गांजा की खेती होती है, उनकी सीमाएं छत्तीसगढ़ से लगी हुई हैं। इसके साथ ही प्रदेश की सीमा जिन छह राज्यों से जुड़ती है, वहां के लिए सड़क और रेलमार्ग दोनों की सुविधा उपलब्ध है।
अंदरूनी इलाकों में विकास तेज
आइजी, बस्तर रेंज सुदंरराज पी के मुताबिक अंदरूनी क्षेत्रों में सुरक्षा बल के कैंप खुलने से विकास कार्य तेज हुए हैं। फोर्स की दखल बढ़ने से नक्सलियों की अवैध उगाही (लेवी) पर भी असर पड़ा है। इससे नक्सली अब पड़ोसी राज्यों से मादक पदार्थों विशेष रूप से गांजा की तस्करी करा रहे हैं। नक्सलियों के इस आर्थिक स्रोत को भी रोकने के लिए पड़ोसी राज्यों ओडिशा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के साथ संयुक्त प्रयास किया जा रहा है। इसकी वजह से पिछले साल बड़े पैमाने पर गांजा जब्त किया गया है। सुदंरराज पी, आइजी, बस्तर रेंज


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