2025 तक देश को टीबी मुक्त करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग लगातार कार्य कर रहा है।जिसके चलते घर घर जाकर टीबी के मरीज खोजे जाएंगे। सीएचओ को ट्रेनिंग दी गई है। इसी उद्देश्य के साथ हर स्तर पर टीबी के लक्षणों की पहचान करते हुए टीबी की जांच जरूरी है। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने बताया जनपद में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर तैनात सभी 46 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) इस कार्य में अब क्षय रोग विभाग की मदद करेंगे। इसके लिए उन्हें एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पहले बैच में 23 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को सीएमओ कार्यालय सभागार में शनिवार को प्रशिक्षण दिया गया। दूसरे बैच का प्रशिक्षण सोमवार को होगा। जिला क्षय रोग अधिकारी की अध्यक्षता में हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को क्षय रोग के लक्षणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि उनकी ओपीडी में आने वाले किसी मरीज को यदि दो सप्ताह से अधिक खांसी, बुखार बने रहने, अचानक वजन कम होने, खांसी के साथ खून आने, रात में सोते समय पसीना आने जैसी कोई शिकायत है तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजकर टीबी की जांच अवश्य कराएं। प्रशिक्षण के दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. प्रवीण शर्मा और डा. वेद प्रकाश अग्रवाल भी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ मौजूद रहे। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया- टीबी के जीवाणु हवा से फैलते हैं। जब किसी व्यक्ति के फेफड़ों या गले में टीबी के जीवाणु होते हैं तो उसके खांसते, छींकते, बोलते और हंसते समय जीवाणु हवा में फैल जाते हैं। मॉस्क लगाना एक बेहतर उपाय हो सकता है। टीबी का उपचार शुरू होने के बाद संक्रमण फैलने की आशंका काफी कम हो जाती है। उन्होंने बताया टीबी की जांच और उपचार पूरी तरह निशुल्क है। उपचार के दौरान रोगी के बेहतर पोषण के लिए सरकार की ओर से हर माह पांच सौ रुपए रुपये दिये जाते हैं।