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कांग्रेस ने कहा- सभी लोकतांत्रिक मर्यादाएं ध्वस्त कर दी गईं

Sonam
1 July 2023 4:05 AM GMT
कांग्रेस ने कहा- सभी लोकतांत्रिक मर्यादाएं ध्वस्त कर दी गईं
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दिल्ली : मणिपुर में जातीय हिंसा से पीड़ित लोगों से “सहानुभूतिवश मुलाकात” करने गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के काफिले को बिष्णुपुर में पुलिस द्वारा रोके जाने को लेकर कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को सरकार पर निशाना साधा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर “निरंकुश तरीकों” का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सरकारी कार्रवाई ‘‘पूरी तरह से अस्वीकार्य है और सभी संवैधानिक और लोकतांत्रिक मानदंडों को ध्वस्त करती है।” राहत शिविरों का दौरा करने के लिए चुराचांदपुर जा रहे गांधी को पुलिस अधिकारियों ने यह कहते हुए रोक दिया कि हिंसा की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए यह एहतियाती कदम है। बाद में वह एक हेलीकॉप्टर से एक राहत शिविर पहुंचे और लोगों से बातचीत की। राहत शिविर में हिंसा पीड़ितों से मुलाकात के बाद गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘मैं मणिपुर के अपने सभी भाइयों-बहनों को सुनने आया हूं।

सभी समुदायों के लोग बहुत स्वागत और प्रेम कर रहे हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार मुझे रोक रही है। मणिपुर को मरहम की जरूरत है। शांति हमारी एकमात्र प्राथमिकता होनी चाहिए।’’ कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने एक ट्वीट में कहा, “मणिपुर में गांधी के काफिले को बिष्णुपुर के पास पुलिस ने रोक दिया है। वह राहत शिविरों में पीड़ित लोगों से मिलने और संघर्षग्रस्त राज्य में राहत पहुंचाने के लिए वहां जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर पर अपनी चुप्पी तोड़ने की जहमत नहीं उठाई है। उन्होंने राज्य को उसके हाल पर छोड़ दिया है।” उन्होंने कहा, “अब, उनकी डबल इंजन वाली विनाशकारी सरकारें राहुल गांधी के सहानुभूतिवश मुलाकात को रोकने के लिए निरंकुश तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और सभी संवैधानिक और लोकतांत्रिक मानदंडों को ध्वस्त करती है। मणिपुर को शांति की जरूरत है, टकराव की नहीं।”

गांधी के साथ गए कांग्रेस महासचिव, संगठन के.सी. वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘शुरुआत में हमें अनुमति देने के बाद, मणिपुर के मुख्यमंत्री के आदेश पर राहुल गांधी के नेतृत्व में हमारे काफिले को बिष्णुपुर के पास रोक दिया गया।’’ उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘‘ऐसे कदम दुर्भाग्यपूर्ण हैं और लोकतंत्र में इनका कोई स्थान नहीं है। ऐसे समय में जब मणिपुर के पीड़ित दुख में हैं, राहुल जी शांति और सद्भाव का संदेश देने के लिए मणिपुर में हैं।’’ वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘मणिपुर को आज घावों पर मरहम लगाने की जरूरत है, न कि कटुता को और बढ़ाने की। पूरे मणिपुर में यात्रा करना, उन लोगों से बातचीत करना, जिन्होंने इतना कष्ट झेला है, और समुदायों के बीच दूरियों को पाटना हमारा संवैधानिक अधिकार है।’’ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी कहा कि यह हर देशभक्त का दायित्व है कि वह देश में शांति व भाईचारे के लिये प्रयास करे। उन्होंने पूछा, ‘‘राहुल गांधी जी मणिपुर के लोगों का दर्द बांटने और शांति का संदेश फैलाने गए हैं।

भाजपा सरकार को भी ऐसा ही करना चाहिए। सरकार राहुल गांधी को रोकना क्यों चाहती है?’’ गांधी पूर्वोत्तर राज्य के दो दिवसीय दौरे पर बृहस्पतिवार को इंफाल पहुंचे थे। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बिष्णुपुर जिले के उटलू गांव के पास राजमार्ग पर टायर जलाए गए और काफिले पर कुछ पत्थर फेंके गए। इंफाल में पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, “हमें ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति की आशंका है और इसलिए एहतियात के तौर पर हमने काफिले को बिष्णुपुर में रुकने का अनुरोध किया।” कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा कि गांधी शांति और प्रेम का संदेश लेकर मणिपुर पहुंचे थे और पूछा कि सरकार क्यों डरी हुई है। उसने कहा, भाजपा सरकार ने पुलिस तैनात करके गांधी को रास्ते में ही रोक दिया। राहुल जी शांति का संदेश लेकर मणिपुर गए हैं। लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए... यह देश गांधी के रास्ते पर चलेगा, यह देश प्यार के रास्ते पर चलेगा। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह “सबसे दुर्भाग्यपूर्ण” है कि मोदी सरकार गांधी को राहत शिविरों का दौरा करने और इंफाल के बाहर लोगों से बातचीत करने से रोक रही है। रमेश ने पूछा, “उनकी दो दिवसीय मणिपुर यात्रा भारत जोड़ो यात्रा की भावना के अनुरूप है।

प्रधानमंत्री चुप रहना या निष्क्रिय रहना चुन सकते हैं, लेकिन मणिपुरी समाज के सभी वर्गों को सुनने और उन्हें राहत देने के राहुल गांधी के प्रयासों को क्यों रोका जाए?” कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मणिपुर बीते दो महीनों से जल रहा है और वहां कानून का शासन नहीं है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर दो महीने से हिंसा की आग में झुलस रहा है। लाचारी और बेबसी इस कदर है कि शांति के सूरज की कोई किरण नज़र नहीं आती। मोदी जी ‘मौन’ हैं, गृह मंत्री ने अपनी विफलताओं से पल्ला झाड़ लिया है। लगता है जैसे भाजपा सरकार के लिए मणिपुर देश के नक़्शे में ही नहीं है। ऐसे में जब ‘राहत के सिपाही’ बन राहुल गांधी घावों पर मरहम लगाने मणिपुर पहुंचे तो उन्हें शरणार्थियों के कैम्प तक जाने से भी रोक दिया गया।’’ एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि प्रधानमंत्री मणिपुर नहीं जाएंगे और अगर गांधी हिंसा और नफरत के इस माहौल को शांत करने जाएंगे तो मोदी उन्हें रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

उन्होंने पूछा, ‘‘आख़िर डर किस बात का है? क्या ऐसा है कि आपकी (सरकार की) नाकामी और संवेदनहीनता उजागर हो जायेगी या फिर ऐसा है कि उनकी प्यार और शांति से दुश्मनी है।’’ उन्होंने कहा, क्या कारण है कि बीरेन सिंह अब भी (मणिपुर के) मुख्यमंत्री हैं। अगर कोई और सरकार होती तो अब तक उसे बर्खास्त कर दिया गया होता। राहुल गांधी यह सुनिश्चित करने के लिए मणिपुर जा रहे हैं कि वहां के लोग अलग-थलग महसूस न करें। वह प्रेम, शांति, सहानुभूति और सद्भाव का संदेश फैलाने जा रहा है। प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर एक शब्द भी क्यों नहीं बोला? वे किस बात से डरे हुए हैं? कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के पास मध्य प्रदेश में एक पार्टी समारोह को संबोधित करने के लिए समय है, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पास बिहार और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के पास राजस्थान जाने का समय है, लेकिन उनके पास मणिपुर का दौरा करने और हिंसा से प्रभावित लोगों के आंसू पोंछने का समय नहीं है। उन्होंने पूछा, हम इसकी निंदा करते हैं।

उन्हें रोकना पाप है। क्या हिंसा से प्रभावित किसी से मिलना अपराध है, भाईचारा फैलाना अपराध है? गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में करीब 120लोगों की मौत हो चुकी है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है।

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