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43 फीसदी छात्रों को ही मिली नौकरी, सिविल इंजीनियरिंग छात्रों की प्लेसमेंट की दर सबसे कम : रिपोर्ट

Admin2
29 April 2022 1:36 PM GMT
43 फीसदी छात्रों को ही मिली नौकरी, सिविल इंजीनियरिंग छात्रों की प्लेसमेंट की दर सबसे कम : रिपोर्ट
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प्लेसमेंट के लिए अप्लाई करने वाले 328 सिविल इंजीनियरिंग छात्रों में से 142 को नहीं मिली प्लेसमेंट hindinews

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 13 आईआईटी में से सिर्फ 10 ने अपने संबंधित डेटा को शेयर किया, जिसका इस्तेमाल सही तुलना के लिए किया जा सकता है.

कुछ कॉलेज ने अपने डेटा को शेयर नहीं किया, या तो उनके डेटा गलत या फिर अस्पष्ट थे. कुछ संस्थानों में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई नहीं की जाती. इन्हें विश्लेषण से बाहर रखा गया.
विश्लेषण के मुताबिक, सिविल इंजीनियरिंग के 57 फीसदी छात्र, जिन्होंने प्लेसमेंट के लिए पंजीकरण कराया था, उन्हें नौकरी मिली, जबकि पाठ्यक्रम (सिविल इंजीनियरिंग) में प्रवेश पाने वाले सिर्फ 43 फीसदी छात्रों को ही नौकरी मिली.
यदि सटीक आंकड़ों की बात करें, तो प्लेसमेंट के लिए अप्लाई करने वाले 328 सिविल इंजीनियरिंग छात्रों में से 142 को प्लेसमेंट नहीं मिली. पाठ्यक्रम में दाखिला प्राप्त 437 छात्रों में से 251 को प्लेसमेंट नहीं मिली.
आईआईटी पटना में यह दर सबसे खराब सिर्फ 30 फीसदी ही है जबकि यहां कुल प्लेसमेंट दर 68 फीसदी है.आईआईटी गुवाहाटी में सिविल इंजीनियरिंग ब्रांच में प्लेसमेंट दर 51 फीसदी है. आईआईटी खड़गपुर में 2020-2021 में यह दर 71 फीसदी है.
आईआईटी मद्रास और आईआईटी कानपुर को छोड़कर प्रत्येक आईआईटी में यही रुझान देखने को मिला.
कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (सीएसई) में बीटेक जैसे कोर इंजीनियरिंग ब्रांच में भी प्लेसमेंट दर कम रही. उदाहरण के लिए, आईआईटी गुवाहाटी में सीएसई में बीटेक कर रहे 87 में से 83 छात्रों ने प्लेसमेंट के लिए पंजीकरण कराया था जबकि इनमें से सिर्फ 78 को ही प्लेसमेंट मिला.
हालांकि, सिविल इंजीनियरिंग छात्रों के लिए यह स्थिति और खराब है. इसमें नामित 71 छात्रों में से सिर्फ 53 छात्रों ने प्लेसमेंट के लिए पंजीकरण कराया लेकिन सिर्फ 27 को ही प्लेसमेंट मिला.
दोनों शाखाओं में नामांकन की तुलना करें तो सिविल इंजीनियरिंग में यह 37 फीसदी और सीएसई में लगभग 90 फीसदी है.
रिपोर्ट में संस्थान के औसतन वेतन और सिविल इंजीनियरिंग ग्रैजुएट के वेतन के बीच समान व्यापक अंतर का पता चला.
दस आईआईटी का औसतन वेतन 15.6 लाख रुपये था. हालांकि, सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए यह 11.10 लाख रुपये था, जो सभी शाखाओं की तुलना में लगभग 30 फीसदी कम है.
उदाहरण के लिए आईआईटी गुवाहाटी में सभी शाखाओं में औसतन वेतन लगभग 19 लाख रुपये है जबकि सीएसई छात्रों का वेतन 29 लाख रुपये है. वहीं, सिविल इंजीनियरिंग छात्रों को औसतन 13 लाख रुपये वेतन मिलता है.
इसमें सबसे बड़ा अंतर आईआईटी पटना में देखने को मिला. आईआईटी पटना के ग्रैजुएट को औसतन वार्षिक वेतन पैकेज 13 लाख रुपये ऑफर हुआ जबकि सिविल इंजीनियरिंग छात्रों को लगभग सात लाख रुपये का पैकेज ऑफर हुआ. आईआईआटी हैदराबाद के मामले में औसतन वेतन 20 लाख रुपये सालाना था जबकि सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए यह 10.7 लाख रुपये था.
रिपोर्ट में कहा गया कि आईआईटी मद्रास ने सिविल इंजीनियरिंग छात्रों को 17.3 लाख रुपये का औसतन पैकेज ऑफर किया, जो सभी संस्थानों में बेहतर है.
विभिन्न आईआईटी के बीच वेतन भी बहुत असमानता है. आईआईटी मद्रास ने 2020-2021 के लिए 52.5 लाख रुपये का अधिकतम वार्षिक वेतन दिया जबकि इस दौरान सिविल इंजीनियरिंग छात्रों को न्यूनतम सात लाख रुपये का वेतन दिया गया. ठीक इसी तरह आईआईटी गुवाहाटी का अधिकतम वार्षिक पैकेज 30 लाख रुपये रहा जबकि न्यूनतम वेतन सात लाख रुपये ही रहा.
वहीं, आईआईटी-आईएसएम धनबाद में न्यूनतम वेतन पांच लाख रुपये की पेशकश की गई. इसके बाद आईआईटी पटना में 5.16 लाख रुपये के वेतन की पेशकश की गई.
करिअर्स 360 ने अन्ना यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (सीओई) के प्लेसमेंट के डेटा का भी विश्लेषण किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या ये रुझान क्षेत्रीय स्तर पर भी हैं या नहीं.
यह रिपोर्ट करिअर्स 360 द्वारा दायर किए गए सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जवाब पर आधारित है.
source-wirehindi.com
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