जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत राजधानी में अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल का निर्माण किया गया है। निर्माण पूरा होने के बाद भी महीनों से इसका लोकार्पण नहीं हो सका है। बिल्डिंग की देखरेख के लिए सुरक्षा एजेंसी भी तैनात नहीं है। नतीज़तन बिल्डिंग और उसके कम्पाउंट में असामाजिक तत्वों नशाखोरों का जमावड़ा रहने लगा है। ये लोग नए टर्मिनल का इस्तेमाल अय्याशी और नशे के लिए कर रहे है। बिल्डिंग की खिड़कियों में लगी शीशे भी कई जगहों से तोड़ दिए गए है। शाम को अंधेरा होते ही असामाजिक तत्व वहां डेरा जमा लेते है। प्रत्यक्षदर्शियों का यह भी कहना है कि बिल्डिंग के कंपाऊंट में भी कुछ संदिग्ध जोड़ें भी नजऱ आते है।
अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल नशे का अड्डा
नशे के कारोबार पर लगाम कसने के लिए पुलिस अथर प्रयास जारी है। मगर उसके बाद भी राजधानी में नशे का कारोबार रुक नहीं रहा। अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल को नशे के कारोबारी अपना अड्डा बना लिए है। नशे का कारोबार करने वाले लोग अपने स्तर को बढ़ा रहे है। नशा तेज़ी से फैला है और फैलता ही जा रहा है। लोगों को नशे की लत इस कदर लग जाती है कि वो इसके बिना रह ही नहीं पाते हैं। बड़े-बड़े शहरों से लेकर, गांव के छोटे-छोटे घरों में नशे की आग़ोश में लोग ख़ुद को डूबा हुआ पाते हैं। आज की युवा पीढ़ी के बीच सिगरेट, गांजा, चरस, ड्रग्स और नशीले पदार्थों का सेवन करना एक ट्रेंड सा बन गया है। वो बस अपने आपको इसमें डूबा हुआ ही पाना चाहते हैं। उन्हें नशे के सिवा किसी भी चीज़ का ख़्याल नहीं रहता है। वो नशे की बेडिय़ों में जकड़े होने की वजह से ख़ुद की जि़म्मेदारी से मुंह तक मोड़ लेते हैं।
बढ़ती जा रही लत
गांजे का नशा कॉलेज में पढऩे वाले कई स्टूडेंट्स, प्रोफेशनल संस्थान में पढऩे वाले बहुत से स्टूडेंट के साथ-साथ अलग-अलग फील्ड में जॉब वाले भी बड़ी संख्या में कर रहे हैं। गांजे का नशा युवाओं के साथ-साथ और लोगों में बढ़ते जा रहा है। पुलिस की कड़ी कार्रवाई के बाद भी गांजे का व्यापार चले जा रहा है।
पुडिय़ा एक, रेट अनेक
गांजा की पुडिय़ा का रेट और क्वालिटी पर भी धंधेबाजों का पूरा ध्यान रहता है। सौ रुपये से इसकी पुडिय़ा की शुरुआत होती है। सौ रुपये की पुडिय़ा में 5 ग्राम, 150 रुपये की पुडिय़ा में करीब 10 ग्राम व पांच सौ की पुडिय़ा में 25 ग्राम गांजा होता है। जिसे पीने वाले सिगरेट व गोगो (खास तरह की पन्नी) में इसे भर कर पीते हैं।
बड़ी मछली गिरफ्त से दूर
कहने को तो पुलिस गांजा के धंधे में लिप्त लोगों को गिरफ्तार करती है लेकिन सिर्फ छोटी मछली यानि सप्लाई करने वाले कैरियर और बिक्री करने वाले ही गांजा की खेप के साथ पकड़े जाते हैं। इस पूरे खेल के मास्टर माइंड कभी पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं। गांजा की सप्लाई के लिए महिलाओं, बुजुर्गो को यूज किया जाता है, वहीं इसकी सप्लाई पब्लिक ट्रांसपोर्ट से की जाती है।
पान ठेले की आड में बिक रहा गांजा
गांजा बेचने वालों की जड़ें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। लोगों ने नशेडिय़ों को गांजा मुहैया कराने का एक नया और नायब तरीका अपनाया है। पान ठेले की दुकान में ही थोड़ी-थोड़ी मात्रा में गांजा रखकर बेचा जा रहा है। अधिकांश दुकानों में सिगरेट, गुटखा से अधिक गांजा बेचा जा रहा है। इतना ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग किलो के भाव से गांजा खरीद रहे है और पुडिय़ा बनाकर चोरी-छिपे बिक्री कर रहे हैं। गांजा के नशे की लत में सबसे ज्यादा युवा वर्ग पड़ रहा है। सुबह से शाम तक गांजे का धुआं उड़ा रहे है। हालांकि पुलिस विभाग की ओर से गांजा के धंधेबाजों की धर-पकड़ की जाती है, लेकिन बड़ी पहुंच और छुटभैय्या नेताओं के संरक्षण से लोग छूट जाते है।
रायपुर में गांजा का धुआं उड़ा रहे युवा
राजधानी में गांजा का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। कभी नशे का धुआं मुंबई दिल्ली जैसे शहरों को उडाता था अब यह रायपुर की हवा में पूरी तरह से घुल गया है। हो भी क्यों न जब नशे के कारोबार की सरपरस्ती खुद छुटभैय्या नेता करने लगे तो इसका बढऩा भला कैसे रोका जा सकता है। पुलिस कार्रवाई करती जरुर है मगर जिनके इशारे से ये चलता है उन तक पहुंच नहीं पाती है। ये कहा जा सकता है कि सब कुछ जानने के बावजूद पुलिस बड़े नशा कारोबारियों को लेकर खामोश है। गांजा का कश लगाने वाले में गरीब ही नहीं हाई सोसाइटी के युवा भी शामिल हैं। गांजा राजधानी की गई खास गलियों में खुलेआम बेचा जा रहा है। गांजा की सबसे बड़ी खेप ओडिशा से सप्लाई हो रही है। ऐसा नहीं है कि इस पर रोक लगाने के लिए पुलिस कार्रवाई कर रही है। कई बार एसटीएफ और लोकल पुलिस ने गांजा की बड़ी खेप भी बरामद की है। जिसमें अब तक पचास क्विंटल से ज्यादा गांजा पकड़ा जा चुका है। वहीं उड़ीसा से भी राजधानी में गांजा लगातार आ रहा है।
शासन क्या करे...
पूरे राज्य में पुलिस प्रशासन को अपराधियों को पकडऩे की खुली छूट
ड्रग्स कानूनों में बड़ा बदलाव करते हुए पांच साल की गैर जमानती अपराध का कानून कड़ाई से लागू करना
छुटभैया नेताओं की थाने में सिफारिशों को काबू करना और इसके लिए भी पुलिस कार्य में हस्तक्षेप कानून की समीक्षा कर नया कानून लाने की आवश्यकता
ड्रग्स एवं अन्य नशे के स्मलगरों को पकडऩे के उपरांत कड़ाई से उनके आकाओं और किसके इशारे और शह में कार्य को अंजाम दे रहे लोगों के बारे में पूछताछ करे और त्वरित कार्रवाई करे
पुलिस को ड्रग्स, सट्टा, जुआ, क्रिकेट सट्टा, जिससे परिवार बर्बाद हो रहे है इस अपराध पर कार्य करने के लिए और अधिक अधिकार और पुरस्कार दोनों मिलना चाहिए
पूरे प्रदेश में मुखबिर तंत्र को बड़े पैमाने पर खड़े करने चाहिए, एवं मुखबिरों को प्रत्येक अपराध के मुखबिरी पर बड़ा इनामी राशि देकर उपकृत किया जा सकता है