छत्तीसगढ़

युवा बेसहारा कोरोना मृतकों का रीति-रिवाज से कर रहे अंतिम संस्कार, पेश की हिदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल

Apurva Srivastav
29 April 2021 6:21 PM GMT
युवा बेसहारा कोरोना मृतकों का रीति-रिवाज से कर रहे अंतिम संस्कार, पेश की हिदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल
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कोरोना काल के दौरान भी इंसानियत जिंदा है, इसे साबित किया है

कोरोना काल के दौरान भी इंसानियत जिंदा है, इसे साबित किया है युवाओं की एक टीम ने, जो कोरोना संक्रमित मृतकों जिन्हें कि अंतिम संस्कार करने में परिवार वाले भी सक्षम नहीं हो पाते, वहां युवाओं का यह समूह सामने आकर जिम्मेदारी के साथ उनका अंतिम संस्कार कर रहा है। इन सबके बीच माहौल उस वक्त बेहद मानवीय हो जाता है जब सर पर टोपी पहने मुस्लिम भाई भी अंतिम संस्कार के लिए चिता सजाते और शव को चिता पर रखते नजर आते हैं। हेमंत सांग सन्नी मेमन ताहिर खान के साथ 15 अन्य युवकों की यह टीम गांव गांव पहुंचकर इस काम को बखूबी अंजाम दे रही है।

आज ऐसे ही एक मामले में गरियाबंद से 1 किलोमीटर दूर स्थित गांव आंमदी में खोलबाहर नामक व्यक्ति का पुत्र लोकेश कुमार का देहांत कोरोना अस्पताल में इलाज के दौरान हो गया, परिवार के अनेक सदस्य कोरोना पॉजिटिव होने के कारण अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे थे, जिसके बाद हेमंत सॉन्ग सन्नी मेंमन और ताहिर खान के नेतृत्व में मुस्लिम समाज के लोगों ने इसे सहर्ष स्वीकार करते हुए उनका अंतिम संस्कार पूरे रीति रिवाज के साथ किया। कोरोना के इस कठिन दौर में गरियाबंद के युवाओं ने आपसी भाईचारे की मिसाल पेश की है । हिंदू-मुस्लिम के नाम पर कहीं कोई फर्क नजर नहीं आ रहा है, सिर्फ टोपियो से ही पता चल रहा है कि ये मुस्लिम भाई हैं। इन युवकों ने इस कोरोना काल की घड़ी में एक दूसरे से कंधे से कंधा मिलाकर जिंदादिली की मिसाल पेश कर रहे हैं।
यहां मुस्लिम युवक हिंदू भाईयों के ऐसे परिवार जो अंतिम संस्कार करने में कोरोना वायरस संक्रमित होने के चलते लाचार नजर हैं उसकी मदर के लिए सामने आ रहे हैं, तो वही हिंदू भाई भी मुस्लिम परिवारों में हुई ऐसी घटनाओं में सहभागी बन रहे हैं। हेमंत सांग, ताहिर खान, डॉ हरीश चौहान, सन्नी मेमन, जुनैद खान, चंद्रभूषण चौहान, कादर हिंगोरा, मनीष यादव, सफीक रजा, हैदर अली सरवर खान, मोहम्मद लतीफ शहादत अली, यूसुफ मेमन, आसिफ खान, पनु राम, मनीष यादव, आसिफ खान, साजिद खान, अरबाज खान, के साथ ही दर्जनों युवक इस काम को अंजाम देने में जुटे हुए हैं।
महामारी के दौरान कई ऐसे मृतक होते हैं जिनका पूरा परिवार इस बीमारी की चपेट में आकर घर में बंद होता है, तो उनका अंतिम संस्कार किसी अपने की तरह पूरी जिम्मेदारी के साथ मृतक के धर्म के रीति रिवाज का पालन करते हुए ये युवा कर रहे हैं। युवाओं का यह समूह अब तक 15 कोरोना वायरस से पीड़ित मृतकों का अंतिम संस्कार कर चुका है, इनका कहना है कि यह समय मानव धर्म के पालन का है मजहबी फितूर का नहीं और वैसे भी मजहब आपस में बैर रखना नहीं सिखाता। बांटना नहीं बल्कि जोड़ना सिखाता है और मुश्किल घड़ी में एक दूसरे के काम आना ही सबसे बड़ा मानव धर्म है और उसी का पालन हम यहां कर रहे हैं।
आपको बता दें युवाओं के इस समूह ने गरियाबंद में शव वाहन की कमी को देखते हुए एक वाहन किराए पर लेकर उसे शव लाने ले जाने के लिए रखा है, जिसका खर्च भी यह आपस में मिलकर उठाते हैं, गरियाबंद के इन युवाओं के कार्यों की तारीफ अब हर कहीं होने लगी है, हमने इन युवाओं में हेमंत सांग तथा ताहिर खान से बात की जिस पर वे कहते हैं यह समय मानवता धर्म निभाने का है और उनके गुरु और उनके बुजुर्गों ने भी मानव धर्म को ही सबसे बड़ा धर्म बतलाया है, यही वजह है कि वह सब मिलकर इस दुखद घड़ी में एक साथ हैं और मृतकों के परिवार के बोझ को कम करने के उद्देश्य से हम लोगों ने तय किया है कि हम कोई धर्म को नहीं देखेंगे, हम पूरी तरह से मानवता धर्म का पालन करते हुए हिंदू—मुस्लिम भाई भाई के रूप में कंधे से कंधा मिलाकर अंतिम संस्कार का पुण्य काम मिलकर कर रहे हैं।


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