छत्तीसगढ़

युवा व नए नवेले नेताओं ने करवाई कांग्रेस की फजीहत

Nilmani Pal
11 March 2022 5:22 AM GMT
युवा व नए नवेले नेताओं ने करवाई कांग्रेस की फजीहत
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  1. पांच राज्यों के चुनाव नतीजे
  2. भूपेश बघेल को पीठ में छूरा घोपने वालों से बचना होगा

राजनीतिक संवाददाता

कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में अपने बेहतर से बेहतर प्रदर्शन में कोई कमी नहीं की थी। प्रियंका गाँधी वाड्रा स्वयं उत्तरप्रदेश में चुनाव के शुरुवाती दौर में ही लड़की हूं लड़ सकती हूं के नारे लेकर चुनाव मैदान में जोश और खरोश के साथ उतरी थीं साथ ही महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण में कोई कमी नहीं की थी। जिस प्रकार प्रियंका गाँधी ने उत्तरप्रदेश में जीतोड़ मेहनत की थी। उसके बाद ऐसा परिणाम आना निश्चित तौर पर स्थानीय नेताओ की मिली भगत नजऱ आ रही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी उत्तरप्रदेश की कई दौरे कर चुके थे और अपनी जी जान से ताबड़तोड़ मेहनत करने के उपरांत लगातार पूरा समय और तन मन धन मदद के बाद भी पीठ में छुरा भोंकने वालों ने भूपेश बघेल को भी धोखा दिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाये जा रहे योजनाओ की सराहना करते हुए उत्तरप्रदेश में लागु करने की भी घोषणा कर चुके थे।

इन सब परिस्थितियों का आंकलन करने के बाद यही लगता है कि कांग्रेस आलाकमान ने गलत लोगों पर भरोसा कर लिया। उत्तरप्रदेश के सूत्र बताते हैं कि दिल्ली से आकर जो कांग्रेस के मुख्य चुनाव संचालक बने हुए थे उनके द्वारा ज़ेवर एयरपोर्ट के पास जमीन भी खरीदी किये जाने की जानकारी मिल रही है। जमीन खरीदने की जानकारी कांग्रेस के छोटे बड़े कार्यकर्ता मुख्य रूप से दे रहे हैं आरोप ये भी लग रहा है कुछ उच्च जाति के नेतागण यह सब कार्य करने में पहले से ही माहिर है।

इसी आधार पर उत्तर प्रदेश के सभी कार्यकर्ता इन सभी नेताओं का नाम खुल कर ले रहे हैं कि इन्होंने भारतीय जनता पार्टी से और कांग्रेसी प्रत्याशी से पैसा मारा है टिकट बेचकर पैसा कमाया है विपक्ष के नेताओ से मिलीभगत के पार्टी के पीठ में छूरा भोपने का भी काम इनके द्वारा किया गया ऐसा स्थानीय नेता नेताओं का मानना है। उत्तरप्रदेश के कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि साथ ही एक बड़ी गलती या चूक कांग्रेस आलाकमान ने यह भी कर दी कि पार्टी के पुराने वरिष्ठ अनुभव वाले नेता बड़े और पुराने नेताओ का उपयोग नहीं किया गया जिसके कारण भी चुनाव परिणाम प्रभावित हुआ।

उत्तरप्रदेश में जातिगत समीकरण को देखते हुए उदित राज और तारिक अनवर जैसे नेताओ का भी उपयोग वहां करना था यह भी एक गंभीर चूक माना जा रहा है। प्रियंका गाँधी ने जिस प्रकार महिलाओं को आगे बढ़ाते हुए मनोवैज्ञानिक इंप्रैशन जमाने का दांव खेल दिया था वह सटीक था लेकिन नए नवेले नेताओं ने सब मेहनत पर पानी फेर दिया। नए नवेले कांग्रेस नेताओं के साथ में भी ऐसी ही विडम्बना चरितार्थ हुई। वे हकीकत को जानते थे लेकिन भावनात्मक घटाटोप के चलते झूठी उम्मीद की मृगतृष्णा पर विश्वास करने को मजबूर हो रहे थे।

प्रियंका गाँधी के चलते कांग्रेस के रातोंरात उत्तर प्रदेश में सबसे मजबूत विकल्प के रूप में उभरने की स्थिति में जरूर आ जाती लेकिन कांग्रेस के नेता जिन्हे जिम्मेदारी दी गई थी उन्होंने मेहनत ही नहीं की और दूसरी पार्टी के मिलकर अपना स्वयं का आर्थिक स्थिति मजबूत करने में लगे रहे। बहरहाल कांग्रेस को पिछले चुनाव की तुलना तक में काफी दयनीय और खोखली हालत में पहुंचने में इन नेताओ ने कोई कोर कसर बाकी नहीं रखे। कांग्रेस आलाकमान को यह सोचना होगा कि ऐसी क्या मजबूरी थी जिसके वजह से पुराने नेताओं का उपयोग नहीं किया गया।

अगर उसने यह नहीं सोचा तो कांग्रेस पार्टी का वजूद उत्तर प्रदेश से हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। कांग्रेस में दरबारी षड्यंत्र का बोलबाला है इसलिए उसकी जिजीविषा लगातार धार कम होती जा रही है। दरबारी षड्यंत्र की जड़ें इतनी मजबूत हो गई है कि कांग्रेस नेता छूटभैया नेता, संदीप सिंह, राजेश तिवारी और पूर्व आईएएस पीएल पुनिया भी कांग्रेस को अपनी बपौती समझने लगे थे। जबकि इनकी जनता में पकड़ नहीं और इनकी जड़ें कमजोर है। राहुल गांधी ने जब कांग्रेस की बागडोर को संभाला था तो उन्होंने पार्टी की कमजोरियों को जानने और उन्हें दूर करने का जबर्दस्त होमवर्क किया और उन्होंने अन्य नेताओ से विचार विमर्श कर प्रियंका गाँधी को उत्तरप्रदेश की प्रभारी भी बनाया।

उत्तरप्रदेश चुनाव परिणाम के बाद भी कांग्रेस नेतृत्व ने कोई सबक नहीं लिया तो आगे स्थिति और भी गंभीर होगी एवं पार्टी की के हाथ सिर्फ फजीहत ही हाथ आएगी। विधानसभा चुनाव में प्रियंका और राहुल गांधी ने कमर कसकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की वापसी के लिए मुकाबला किया था। जिसके नतीजे भी कुल मिलाकर अच्छे ही आने थे लेकिन पार्टी के जयचंदो ने बेड़ागर्क कर दिया जिसे पहचानने में आलाकमान ने चूक कर दी। कांग्रेस आलाकमान अगर अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रतिबद्ध बनाने के लिए मशक्कत करती होती तो यह नौबत नहीं आती।

जिस तादात में मुस्लिम और दलित सहित पिछड़े वर्ग के मतदाता उत्तरप्रदेश में हैं वहां पर उदित राज, तारिक अनवर एवं वरिष्ठ नेताओ को क्यों जिम्मेदारी नहीं दी गई समझ से परे है। दोनों वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को चुनाव प्रचार से दूर रखा गया और किसी भी राज्य में दोनों जनाधार वाले नेताओं का उपयोग नहीं किया जाना यह आश्चर्यचकित करता है।

पीएल पुनिया का लड़का तनुज पुनिया चौथे नंबर पर : भारतीय जनता पार्टी की हुई इस जीत के बाद कांग्रेस के बड़े नेता छत्तीसगढ़ के प्रभारी पीएल पुनिया के लड़के तनुज पुनिया भी चुनाव हार गए और वो अपने चुनाव क्षेत्र में 4 थे नंबर पर आये। ज्ञात रहे कि इससे पहले भी तीन विधानसभा चुनाव हार चुके है, पीएल पुनिया भी एक लोकसभा चुनाव हार चुके है।

कांग्रेस के नेताओं की इस हार को उत्तरप्रदेश के कार्यकर्ता बर्दाश्त नहीं कर पा रहे है और जैदपुर के कई कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं ने हार को आश्चर्य जनक ढंग से लिया है और सवाल उठाया है कि बार-बार हरने वालों को टिकट क्यों दिया जाता है।

कांग्रेस अपना समीकरण बदलती क्यों नहीं? बड़े नेताओं के लड़कों को ही क्यों टिकट देकर कांग्रेस अपने आपको समाप्त कर रही है। अधिकांश कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं ने कहा है कि 20 से 25 सालों से जो परिवार कांग्रेस में टिकट पाकर हार रहा है, उन्हें बार-बार चुनाव में पार्टी द्वारा टिकट देने का कारण समझ से परे है।

भूपेश बघेल ने जिन पर भरोसा किया उन्हींने पीठ में छूरा घोपा : उत्तरप्रदेश का चुनाव परिणाम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए भी सबक लेने वाला है। छत्तीसगढ़ के जिन नेताओं को वहां प्रचार और उम्मीदवारों को जीताने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वे पार्टी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। सूत्र बताते हैं कि जिन नेताओं को उत्तरप्रदेश चुनाव प्रचार के लिए भेजा गया था वे नेता होटल से बाहर ही नहीं निकले। और अगर निकले भी तो पाटी, हंसी ठिठोली और तफरीह करते नजर आए। वे मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने के प्रयास में लगे रहे। मुख्यमंत्री को ऐसे नेताओं से सावधान रहने की जरूरत है ताकि प्रदेश में उनकी साख और लोकप्रियता पर असर न पड़े।

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