छत्तीसगढ़

दर्दे दिल, दर्दे जिगर कालाबाजारी बनाया आपने...

Admin2
30 April 2021 6:29 AM GMT
दर्दे दिल, दर्दे जिगर कालाबाजारी बनाया आपने...
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ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

परवानी है तो कोई परवाह नहीं...

पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में कोरोना का जमकर फायदा उठाया गया जिसे जैसा मौका मिला सबने दोहन किया। एक व्यापारी नेता जी ने तो अपने पद का भरपूर दोहन किया पहले तो नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का कालाबाजारी करवाया और पकड़े जाने के बाद थाने में अपनी ऊँची पहुँच का धौंस भी दिखाया। नेताजी के मुताबिक केंद्र सरकार में एक मंत्री और राज्य सरकार में एक मंत्री का खास होने का ढींगे भी हांका लेकिन भला हो पुलिस वालों का या दबाव का जिसके चलते मामला बाहर आया वर्ना दूसरे कई मामलों की तरह यह भी ठन्डे बस्ते में चला जाता है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि इन कालाबाजारियों को खाद्य एवं औषधि विभाग को ऐसे समाज के दुश्मनों को कड़ी से कड़ी सजा देनी थी, लेकिन यहां तो रासा उलटा ही पड़ता दिखाई दे रहा है तभी तो पकड़े गए सभी आरोपी सीना ठोककर निजी मुचलके पर छूटते ही बोले परवानी है तो परवाह नहीं।

हाहाकार के बीच आईपीएल

ये कैसी विडम्बना है जब देश एक प्रकार से इमेरजेंसी के हालत से गुजर रहा है और हमारे क्रिकेटर आईपीएल का लुत्फ़ उठा रहे हैं। कम्पनियाँ और भारतीय सरकार इस पर इतना खर्च कर रही है जबकि आज हमें आईपीएल नहीं बल्कि अस्पताल की दरकार है। केंद्रीय सड़क परिवहन राज्यमंत्री वीके सिंह ने भी गुहार लगाई थी कि गाजियाबाद के अस्पताल में बेड नहीं है जबकि वीके सिंह गाजियाबाद से सांसद भी हैं। अब केंद्र में मंत्री होते हुए अपने परिवार के लिए बेड की गुहार लगा रहे हैं तो आम जनता की क्या स्थिति होगी अंदाज़ लगाया जा सकता है।

नीरो का बंशी बजाना

भाजपा नेता संजय श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री भूपेश पर आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ की जनता ऑक्सीजन के लिए भटक रही है और बघेल प्रियंका वाड्रा के एक फोन पर दूसरे जगह ऑक्सीजन भेज रहे हैं। संजय ने उदाहरण दिया कि रोम जल रहा था और नीरो बंशी बजा रहा था को चरितार्थ कर रहे हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सबसे छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन की फि़लहाल कमी नहीं है। रहा सवाल रोम के नीरो के बंशी बजाने का तो हिंदुस्तानी नीरो को बंगाल में चुनावी बंशी बजाते हुए देश की जनता देख चुकी है जब एक साथ के चिताएं जल रही थी तब साहब चुनाव प्रचार में व्यस्त थे।

आपदा बन गई कालाबाजारियों की बपौती

पिछले 9 अप्रैल से लगी लॉकडाउन ने गरीबों और रोजमर्रा के जीवन जीने वाले लाखों नागरिकों को भूखमरी के कगार पर लाकर खड़े कर दिया है। किराना सामानों को खरीदने की ताकत गरीबों के हाथ से निकल गई है। जनता में कुसुर-फुसर है कि कोरोना काल किराना कारोबारियों की बपौती हो गई है, पिछले साल 23 मार्च से अब तक कोरोना की चकरी चला रहे है। किराना सामनों की चार से दस गुने दाम पर बेचकर पिछले साल की नुकसानी सहित आने वाले दस सालों की भरपाई करने में तूले हुए है। जिला प्रशासन और खाद्य विभाग निगरानी वाली आँखों में हरियाली का पट्टी लगा हुआ है। उसे तो चारों तरफ लॉकडाउन ही नजर आ रहा है। ये लॉकडाउन नहीं नाक में दम कर देने वाला दौर है, जिसमें दवाई -इंजेक्शन से लेकर जरूरी जरुरतों के सामानों की जमकर कालाबाजारी का लाइसेंस व्यापारियों को दे दिया है। आम जनता की मानवीय पीड़ा से उनका कोई सरोकार नहीं है। बस उनकी तिजोरी भरते रहनी चाहिए। ये तो आंसू भी किराए में लेकर बहा रहे है। क्योंकि इनकी मानवीय संवेदना मर चुकी है।

कांग्रेसी भोजन के साथ दवाई और पीपीई किट बांटेंगे

कोरोना काल में पीडि़तों और जरूरतमंदों की सेवा करने की कांग्रेस ने हर संभव मदद का बीड़ा उठाया है। राजधानी में कांग्रेस कोरोना पीडि़तों को भोजन के साथ दवा और पीपी किट भी बांटने वाली है। शहर कांग्रेस कमेटी के कंट्रोल रूम के जरिए पीपीई किट भेजने का फैसला लिया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि खाना कौन बनाएगा और कहां पर खाना बनेगा और कौन बांटेगा। क्योंकि सरकार ने सारे जमीनी कार्यकर्ताओं को नेता बना दिया है। अब तो वे निगम मंडलों अध्यक्ष के रूप में अपने आप को देख रहे है, उद्घाटन और सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि की श्रेणी में अपने आप को मानने लगे है, रहा महिला कांग्रेस तो वह भी महिला समूह की तरह चल रही है। पापड़, बड़ी,रेडी टू ईट और उचित मूल्य दुकान से फुरसत नहीं है। तभी तो योगेंद्र अनिता शर्मा की हाई कमान को पत्र लिखना पड़ा था। रेवड़ी से वंचित कार्यकर्ता इस समय पार्टी के लिए कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते है।

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