Khusur Fusur: तुम हमारे लिए, हम तुम्हारे लिए, फिर जनता का क्या है
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
chhattisgarh news छत्तीसगढ़ की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस में बयानों को लेकर चोली दामन का संबंध है। नेता हैं तो बयान तो जारी होगा ही । बलौदाबाजापर कलेक्टोरेट में लगी आग ने राजनीतिक रूप ले लिया है। जांच का इंतजार किए बिना सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे को आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। भाजपा सरकार में कांग्रेस ने लचर कानून व्यवस्था के खिलाफ प्रदेश भर में प्रदर्शन कर सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए। वहीं इससे पहले सरकार के तीन मंत्रियों ने कांग्रेस पर सीधा आरोप लगाया इसके जिम्मेदार कांग्रेस के लोग ही हैं। जनता में खुसुर-फुसर है कि दोनों एक दूजे के लिए फिल्म वाला खेल खेल रहे है। लगता है भाजपा और कांग्रेस एक दूजे के लिए बने है। दोनों पार्टी के नेता गाना गाते फिर रहे हैं तुम हमारे लिए हम तुम्हारे लिए, फिर जमाने का क्या है। हमारा न हो।
शारदा चौक या गदर चौक
raipur news राजधानी के सबसे व्यस्ततम शारदा चौक नेता गिरी के चक्कर में गदर चौक बन कर रह गया है।कांग्रेसी और भाजपाइयों में गदर मचा हुआ है।नेताओं के बात से ऐसा जान पड़ता है कि काम कल से ही शुरू हो जाएगा और ये बात सुनते-सुनते 20 साल से ज्यादा हो चुका है। इस पर सिर्फ राजनीति ही हो रही है। प्रदेश में किसी भी पार्टी की सरकार हो या किसी भी पार्टी की शहरी सरकार हो सिर्फ राजनीतिक रोटी सेंक रहे हंै। शारदा चौक से तात्यापारा तक यह देखा जा रहा है कि किस पार्टी के नेता को सडक़ चौड़ीकरण का लाभ मिलेगा। महापौर 500 मीटर चौड़ीकरण और 89 लोगों को डबल मुआवजा को लेकर सीएस से मिले है। अब जनता में कुसुर-फुसुर है कि अधिकारियों से तो पहले भी नेता लोग मिले थे, पर रिजल्ट कुछ नहीं आया । अब नगर निगम चुनाव है तो ये मौका भी आचार संहिता की भेंट न चढ़ जाए।
भेंट चढ़ गया ड्रीम प्रजेक्ट
शारदा चौक तात्यापारा सडक़ चौड़ीकरण की बात सुनते 20 साल गुजर गए किसी महापौर का यह ड्रीम प्रोजेक्ट नहीं रहा। वहीं दूसरी ओर सुना गया है कि महापौर का ड्रीम प्रोजेक्ट सप्रेशाला मैदान का सौंदर्यीकरण था,इस पर जनता का लाखों करोड़ों रुपए इस ड्रीम प्रोजेक्ट में स्वाहा हो चुका है। महापौर ने इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताया था, लेकिन अभी मैदान में सिर्फ कबाड़ ही नजर आ रहा है। ड्रीम प्रोजेक्ट जब पूरा होगा तब होगा इसके पहले महापौर का कार्यकाल ही पूरा हो गया । जनता में खुसुर-फुसुर है कि महापौर ने सपने जरूर देखे थे, लेकिन लगता है सपना दिन में देखे होंगे इसलिए पूरा नहीं हो पाया ।
छत्तीसगढ़ का वीरप्पन कौन?
मशहूर चंदन तस्कर वीरप्पन को कौन नहीं जानता है। लगता है छत्तीसगढ़ में कोई वीरप्पन पैदा हो गया या चंदन की खूशबू असली वीरप्प्न को खींच लाया । पिछले दिनों छत्तीसगढ़ वन अनुसंधान राज्य एवं प्रशिक्षण संस्थान कैम्पस से 20 चंदन के पेड़ों को बेहरमी से काट दिया गया ऐर उसमें से 14 पेड़ को वीरप्पन अपने साथ ले गया. बड़े -बड़े अधिकारी और कर्मचारियों से भरे इस परिसर में चारों ओर से लोहे की दीवार और गार्ड का पहरा है, उसके बावजूद इतनी बड़ी घटना हो गई अधिकारियों को भवनक तक नहीं लगी। मजे की बात यह परिसर हाई सिक्यूरिटी वाले विधान सभा भवन से लग कर है। चंदन तस्कर जब परिसर में घूसे तब गार्ड कहां थे, जनता में खुसुर-फु सर है कि मामला चंदन तस्कर और गार्ड या अधिकारियों से मिली भगत दिख रहा है। बिना मिली भगत के इतनी हिम्मत कोई कैसे कर सकता है।
लोक आयोग में लोक लाज की भद्द पिटी
लोक आयोग में राज्य में हो रहे बड़े भ्रष्टाचार या सत्ता में बैठे लोगों के खिलाफ या सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार की जांच होती है। जहां उद्योगपति, नेता, अधिकारियों की कुंडली बनती है। जिसके शिकायतों के आधार पर लोक आयोग जांच कर सजा के लिए कोर्ट में मामले को प्रेषित करता है। जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि, कवि रूपी पत्रकार धुंआ देखकर वहां पहुंच गए। पत्रकारों को वहां पहुंचना लोक आयोग के अधिकारियों और कर्मचारियों को नागवार गुजरा, पत्रकारों से दुव्र्यवहार और धक्कामुक्की भी कर दिए जिससे पता चलता है कि मामला वाकई गड़बड़ है। आग लोक आयोग में कैसे लगी यह शोध का विषय है, आग जहां भी लगी है तो रिकार्ड भी जला होगा। अब साफ- सफाई के बहाने कई रिकार्ड में हाथ साफ कर सकते हंै। जनता में खुसुर-फुसुर है कि इसको सीबीआई को किया जाए उनके देखरेख में रिकार्डों की छंटनी हो।
नीट हर जगह करता है नुकसान
देखा जा रहा है कि नीट हर जगह नुकसानदायक साबित हो रहा है। नीट पीना हो या पेपर हो दोनों खतरनाक हो गया है। अब बवाल मचने के बाद पेपर लीक के मास्टर माइंड को ढूंढ रहे और कुछ को गिरफ्तार कर चुके हैं। इससे क्या होगा ? बच्चों का साल वापस तो नहीं आएगा। दिन रात मेहनत कर बच्चे नीट का पेपर दिलाए थे, बड़े-बड़े सपने संजोए थे, एक सेकंड में सब घराशायी कर दिया जनता में खुसुर-फुसुर है कि ऐसे दोषी लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिले ताकि लोग इबरत हासिल कर सकें।