जाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
एक कहावत है खरबूजे को देख कर खरबूजा रंग बदलता है, इस कहावत को चरितार्थ कर रहे चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग। योगी सरकार जिस तरह उत्तर प्रदेश में नाम बदल रहे हैं उनके नक्शेे कदम पर चलते हुए चीन भी अब अरुणांचल प्रदेश में नाम बदल रहा है। खुरापाती चीन अपनी खुरापात से बाज नहीं आ रहा है। उसने अरुणांचल प्रदेश में 8 आवासीय स्थान, 4 पहाड़, 2 नदियां, 1 पहाड़ी दर्रा आदि 15 जगहों का नाम चीन, तिब्बत के अल्फाबेट के अनुसार बदल रहा है।
हालांकि भारत की ओर से कहा गया कि नाम बदलने से क्या होगा तथ्य तो नहीं बदल जाते। है। भारत ने चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों के नाम बदलने के कदम को स्पष्ट रूप से खारिज किया। उसने जोर देकर कहा कि यह राज्य हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा। गढ़े गए नामों से यह तथ्य नहीं बदलेगा। चीन ने भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में 15 और स्थानों के लिए चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला के नामों की घोषणा की है, जिसके बाद भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है। ऐसा पहली बार नहीं है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने का प्रयास किया है। चीन ने 2017 में भी इस तरह से नाम बदलने की कोशिश की थी।
इस संबंध में राजयसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडके, कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्ल्भ और भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री से सवाल करते हुए कहा कि पाकिस्तान के मामले में जिस प्रकार आक्रमकता दिखाया है उसी तर्ज पर चीन को भी दिखाए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि 15 स्थानों का नाम बदलने के बाद भी प्रधानमंत्री जी चुप क्यों हैं? खुरापाती को सबक सिखायें।
हमारे राम और उनके राम में अंतर
गांधी जी की को संत के व्दारा गाली दिए जाने के मामले को लेकर देश की राजनीति गरमाई हुई है, ऐसे हालात में भाजपा नेताओं की बयानबाजी आग में घी डालने का काम कर रही है। कालीचरण को कालीजुबान के लिए काल कोठरी में जाना पड़ा, जिसे लेकर भाजपा नेताओं ने राम-सीता को अपशब्द कहने वालों पर राष्ट्रद्रोह का मामला नहीं लगाने पर सवाल खड़े किए है। वहीं भाजपा के ही बिहार ब्रांड नेता जीतनराम मांझी राम के अस्तित्व को ही नकार रहे है, तो उन्हें भाजपा में अपने साथ क्यों रखें हुए है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि राजनीति के हमाम में सभी नेता एक ही रंग में रंगे होते है। जहां राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए कुछ भी कह सकते है। नेता माथा भी टेक रहे है तो सिर्फ सियासत के लिए। इसी बात पर एक शायर ने कहा है -कल सियासत में भी मोहब्बत थी, अब मोहब्बत में सियासत है।
फिर जाग गए किसान, निकालेंगे ट्रैक्टर मार्च
किसान आंदोलन खत्म हुए अभी एक माह भी नहीं बीता था कि किसानों को सरकार की नीयत पर खोट नजर आ गई। हरियाणा के कितलाना में सर्वजातीय महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने कहाकि सरकार की नीयत ठीक नहीं है, न तो पूरी तरह मुकदमे वापस हुए और न ही एमएसपी पर कोई कमेटी बनी। 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च का ऐलान कर सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार यह मुगालता नहीं पाले कि किसान आंदोलन खत्म हो गया है, किसानों की जब तक मांग पूरी नहीं होगी तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा। वहीं मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक जब पीएम से मिलकर किसान आंदोलन वापस लेने का आग्रह किया और बताया कि आंदोलन में 500 किसान मर चुके है, इस पर पीएम ने कहा कि कि मेरे लिए थोड़ी मरे है, मलिक ने यह भी कहा है कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी केस को ईमानदारी के साथ खारिज हो। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पीएम मोदी जी की बात पर किसानों को कैसे एतबार नहीं हो रहा यह आश्चर्य की बात है, उनके कहने पर तो पांच राज्यों में चुनाव से ठीक पहले तीनों किसान बिल वापस लिया है।
किसानों को समझना चाहिए कि यह मोदी सरकार है, जब तक नफा नुकसान का आंकलन नहीं कर लेती कोई निर्णय नहीं लेती है। किसान आंदोलन खत्म होने से किसानों को फायदा हुआ हो या नहीं, लेकिन मोदी जी की तो पांच राज्यों में फायदा दिख रहा है।
मेघालय के मंत्री की दुष्टतापूर्ण बयान
मंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर रहते हुए संवेदना शून्य होकर दुष्टतापूर्ण बयान देना निंदनीय है। देश भर में गाय को संरक्षित करने के लिए केंद्र सरकार सहित तमाम भाजपा शासित राज्य सरकारें गाय को लेकर गंभीर है, वहीं मेघालय के पशुपालन और पशु चिकित्सा मंत्री सनबोर शुल्लई ने अपने राज्य के लोगों को चिकन, मटन, मछली से ज्यादा गोमांस खाने को कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक देश में हर कोई जो चाहे वो खाने के लिए स्वतंत्र है। जनता में खुसुर-फुसर है कि जहां-जहां चुनाव है वहां गाय गो माता और जहां चुनाव नहीं वहां खाना खजाना। राज्य सरकारों को केंद्र सरकार के अनुरूप गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की दिशा में आगे बढऩा चाहिए और इस तरह की बयानबाजी से परहेज कर राष्ट्रीय सोच का परिचय देना चाहिए।
महात्मा हिंदू और गोडसे हिंदूवादी...
यूपी में विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी जन विश्वास यात्रा निकाल रही है, इसके तहत अमेठी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में राहुल गांधी के महात्मा हिंदू थे और गोडसे हिंदूवादी... के जवाब में कहा कि हम लोगों में कोई छुपाव नहीं है, कोई घबराहट भी नहीं है। जब मुख्यमंत्री नहीं थे तब भी कहते थे, आज भी कहते हैं, आगे भी कहेंगे कि हम हिंदू हैं। जब कोई चुनाव आता था तब ये निकल पड़ते थे हिंदू बनने। जिनके पूर्वज कहते थे हम तो एक्सीडेंटली हिंदू हैं, वो लोग अपने को हिंदू नहीं बोल सकते। जनता में खुसुर-फुसर है कि योगी का योग ज्ञान खुल गया है, चुनाव आते ही राहुल गांधी के बयान पर रिएक्शन शुरू कर दिया, जबकि प्रधानमंत्री राहुल गांधी के किसी भी बयान पर प्रतिक्रिया नहीं देते है। लगता है पीएमओ ने योगी को सीएम के साथ प्रवक्ता घोषित कर दिया है।
कोरोना में मरने वालों से सबक लेने की जरूरत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के पहले और दूसरे लहर से कोई सबक नहीं लिए और तो और त्रिपुरा, मणिपुर, यूपी का ताबड़तोड़ दौरा कर रहे है। जबकि ओमीक्रान की रफ्तार मोदी जी के प्लेन से भी तेज है। जनता में खुसुर-फुसर है कि क्या पीएम चुनाव जीतने के ही फंडे अपना रहे है। देश में कोरोना की तेज रफ्तार को देखते हुए भयावह बढ़ोतरी ने जन जीवन को दहशत में झोंक दिया है। मोदी जी जहां-जहां चुनाव हो रहे है वहीं पर केंद्रीत हो गए है।