छत्तीसगढ़

विश्व स्वास्थ्य दिवस, जिला अस्पताल जांजगीर की व्यथा

Gulabi Jagat
7 April 2024 5:06 PM GMT
विश्व स्वास्थ्य दिवस, जिला अस्पताल जांजगीर की व्यथा
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जांजगीर: विश्व स्वास्थ्य दिवस- चिकित्सक को हमारे समाज में भगवान का दर्जा प्राप्त ऐसे ही नहीं है दुनिया में कोरोना जैसी स्थिति से ये हम सब ने देखा है।स्वास्थ्य समस्या से शायद ही कोई अछूता हो स्वास्थ्य के क्षेत्र में पूरी दुनिया मे सुधार हेतु नित नए प्रयास उपाय दुनिया भर में किये जा रहे हैं। हमारे राज्य में भी बहुत सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं ताकि समाज का हर एक वर्ग इसका लाभ ले सके और सारी सुविधाएं आसानी से किफायती दरों अथवा निःशुल्क मिल सकें।
गांव के गरीब परिवार जरूरत मंद लोग जो महंगे अस्पताल तक विभिन्न कारणों से आसानी से इलाज हेतु नहीं पहुंच सकते उनके लिए तमाम तरह की चिकित्सा सुविधा सरकार के द्वारा विभिन योजनाओं कार्यक्रमों द्वारा अच्छे से अच्छे तरीके के पहुंचाने हेतु भारी प्रयास किये जाते हैं महंगी जाँच मशीनें उपकरण उप्लब्ध कराए गए हैं और इस हेतु योग्य चिकित्सकों की नियुक्ति भी की गई है।किंतु सरकारों के इन प्रयासों पर जिला अस्पताल जांजगीर में पानी फेरने का काम भी किया जा रहा है और गरीब जरूरतमंद असहाय लोग कई तरह से ठगे जा रहे हैं।
जो व्यकि अपने उपचार हेतु दस रुपये का opd पर्ची कटवाकर सरकार द्वारा उपलब्ध उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधा का लाभ सरकारी अस्पताल में लेने जाता है उसे चिकित्सक द्वारा जाँच उपरांत जो टेस्ट रक्त जाँच लिखा जाता है और सरकारी अस्पताल में ही हो जाता है किफायती दर में उसे अस्पताल में मशीन खराब होने का हवाला दे कर और कुछ भी कारण न करने हेतु बता कर अन्यत्र निजी लैब में जा कर जाँच कराने हेतु सुनियोजित तरीके से मजबूर किया जाता है इस पर असहाय व्यक्ति मजबूर होकर भटक कर महंगे दर पर जाँच कराता है।यह कितनी बड़ी विसंगति है कि जिला अस्पताल जांजगीर में मशीन आये दिन खराब होती रहती है जबकि निजी जाँच केंद्रों में शायद कभी नहीं और सरकारी अस्पताल की मशीनें बढ़ी मशक्कत के बाद सुधारी जाती हैं।
ये स्थिति क्यों? जिम्मेदारों से पूछने समस्या बताने पर बड़े ही सौम्य तरीके से पता करवाता हूँ दिखवाता हूँ अभी मेरी जानकारी में आपके द्वारा लाया गया है अगर ऐसा है तो जाँच करवाता हूँ विधि सम्मत कार्यवाही करवाता हूँ आदि और फिर एक बार समाज का वह वर्ग जो किसी भी स्तर पर केवल अपनी पीड़ा व्यथा को सुना बस सकता है इस आस में की कभी कोई जिम्मेदार अधिकारी जो समाज राज्य व देश को विकासपथ पर आगे बढ़ाने हेतु शपथ लिए होते हैं कुछ अच्छा करेंगे जिससे एक मिशाल के रूप में आने वाला समय देखे। इस पर लगातार निगरानी करने हेतु कोई ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है ताकि लोगों में व्यवस्था पर और चिकित्सकों के भगवान होने की मान्यता पर से भरोसा न उठे।
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