छत्तीसगढ़

अडेंगा गौठान में बटेरपालन कर महिला समूह ने कमाए 83 हजार रुपए

Shantanu Roy
29 May 2023 1:28 PM GMT
अडेंगा गौठान में बटेरपालन कर महिला समूह ने कमाए 83 हजार रुपए
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छग
कोण्डागांव। ग्रामीण इलाकों में राज्य शासन की सुराजी गांव योजना से आमूलचूल परिवर्तन आ रही है। स्व सहायता समूहों की महिलाएं एकजुट होकर गौठान में कार्य कर रही हैं। सामूहिक एकता और कड़ी मेहनत से उनके जीवन में बदलाव परिलक्षित हो रहा है। शासन की नरवा-गरवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना के तहत कोण्डागांव जिले के केशकाल ब्लॉक अंतर्गत अडेंगा गौठान में समूह की महिलाएं बहुआयामी कार्य कर रही हैं। उनके चेहरे की मुस्कान कहती है कि वे अब घर-परिवार के कार्यों के साथ स्वयं के लिए रोजगार का सृजन कर चुकी हैं। विभिन्न आयमूलक गतिविधियों से इन महिलाओं की आय संवृद्धि हो रही है।
इसी सकारात्मक सोच के साथ अडेंगा गौठान में बटेरपालन गतिविधि संचालित करने वाली नया सबेरा स्व सहायता समूह ने विगत एक वर्ष में बटेरपालन से 83 हजार रुपये की आमदनी अर्जित किया है। समूह की दीदी संगीता निषाद बताती हैं कि बीते साल छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत बैंक लिंकेज की 37 हजार रुपये सहायता से गांव के गौठान में बटेरपालन शुरू किये। गौठान में बटेरपालन के लिए शेड, बिजली की व्यवस्था सहित पानी भी उपलब्ध कराया गया। जिससे समूह की महिलाएं अपनी इस आयमूलक गतिविधि को पूरी लगन एवं मेहनत के साथ जुट गई। सभी सदस्य महिलाओं ने हर दिन बारी-बारी से बटेर की देखरेख, चारा देना इत्यादि को सुनिश्चित किया। जिससे गत एक साल में ही स्थानीय बाजार में बटेर विक्रय कर 83 हजार रुपये आमदनी अर्जित किये हैं।
नया सबेरा स्व सहायता समूह की दीदी भुनेश्वरी प्रधान अपने समूह की आयमूलक गतिविधि के जरिये मिली राशि का उपयोग आगामी दिनों में फिर से बटेर के चूजे एवं दाना-चारा के लिए करने की बात कहते बताती हैं कि बीते अप्रैल माह में ही बटेर का विक्रय किये जाने के बाद गर्मी के मद्देनजर अभी नये चूजे नहीं लाये हैं। बारिश के दौरान नये चूजे लाकर बटेरपालन के इस फायदेमंद गतिविधि को निरन्तर जारी रखेंगे। इस समूह की दीदी जानकी नाग ने बताया कि समूह की सभी 12 सदस्य महिलाओं ने इस वर्ष गौठान में वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने का निर्णय लिया और इसे भी बेहतर ढंग से सम्पादित कर रही हैं। अभी हाल ही में समूह द्वारा उत्पादित 60 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद का विक्रय किया गया है। इसके बाद समूह की महिलाओं ने खरीफ सीजन में जैविक खाद की जरुरत को मद्देनजर रखते हुए इस कार्य में निरंतर लगी हुई हैं।
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