महिला आयोग ने अलग रह रहे दंपति के बीच कराया सुलह, एक साथ रहने को हुए राजी
रायपुर। पति-पत्नी के बीच तनाव इतना बढ़ा कि वे अलग-अलग रहने लगे। पत्नी अपने भाई और पति अपनी बहन-जीजा के साथ रहने लगा। राज्य महिला आयोग ने समझाया कि चार साल के बच्चे के भविष्य को देखते हुए पति-पत्नी समझदारी दिखाएं। आपसी तालमेल बिठाने साथ रहें। पति-पत्नी साथ रहने पर सहमत हुए। दोनों के मध्य लिखित शर्त के साथ सुलहनामा तैयार कराकर आयोग की तरफ से प्रकरण का निराकरण किया जाएगा। सुनवाई के दौरान राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डा. किरणमयी नायक एवं सदस्य डा. अनिता रावटे, अर्चना उपाध्याय मौजूद थीं।
एक प्रकरण में महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि पति ने बिना तलाक लिए चूड़ी प्रथा से दूसरा विवाह किया है। विवाह को सामाजिक मान्यता देने में समाज के 23 लोगों के साथ उसकी सौतन शामिल है। महिला ने निवेदन किया कि बच्चों के लिए पति की संपत्ति से बंटवारा दिलाया जाए। आयोग ने पति को समझाया कि पत्नी, बच्चों को बंटवारा देने की कार्यवाही करे अन्यथा पत्नी चाहे तो पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज करा सकती है। प्रकरण में समाज प्रमुखों की ओर से पांच सदस्यों को पति-पत्नी और बच्चे के मध्य संपत्ति का बंटवारानामा करके आगामी सुनवाई में उपस्थित होने के लिए कहा गया।
एक प्रकरण में संविदा पर कार्यरत महिला ने आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी कि पांच माह से वेतन नही मिला और सेवा से निकाल दिया गया। अनावेदक ने आयोग को बताया कि मनरेगा के आडिट कार्य के लिए वेतन केंद्र सरकार से आता है। बजट आते ही पांच माह का वेतन दे दिया जाएगा।
एक प्रकरण में पुलिस निरीक्षक ने आयोग के समक्ष उप पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें लिखा कि महिला के पति के विरुद्ध धारा 354, 452, 506 का अपराध पंजीबद्ध कर पति को गिरफ्तार किया गया है। 23 दिन बाद पति को गिरफ्तारी से बचाने के लिए महिला ने आयोग में झूठी शिकायत की है। उप पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट और प्रकरण न्यायालय में होने के कारण नस्तीबद्ध किया गया।