छत्तीसगढ़

महिला आयोग ने की मानसिक प्रताड़ना मामले की सुनवाई, लिया ये फैसला

Nilmani Pal
18 Sep 2022 1:30 AM GMT
महिला आयोग ने की मानसिक प्रताड़ना मामले की सुनवाई, लिया ये फैसला
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रायपुर। बस्तर क्षेत्र की भौगोलिक और सांस्कृतिक परिस्थितियां प्रदेश के अन्य जिलों से भिन्न है। इस क्षेत्र की महिलाओं में कानून और अपने अधिकारों के प्रति जागरुकता की कमी है, वे स्वयं आगे आकर शिकायत दर्ज नहीं करती। ऐसे में आपराधिक प्रकरणों के चिन्हांकन और उस पर त्वरित कार्यवाही जिला पुलिस और महिला बाल विकास विभाग की महती जिम्मेदारी हो जाती हैं। उक्त बातें राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने सुकमा जिले में मानव तस्करी रोकथाम, अन्य हितधारकों तथा पीड़ितों के पुनर्वास के विषय पर चर्चा के दौरान कही। महिला आयोग ने जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों, पत्रकारों से सुझाव लेते हुए जिले में महिला उत्पीड़न और महिलाओं के समस्याओं सहित विभिन्न विषयों में जानकारी ली।

आज सुकमा पहुंची राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, सदस्य नीता विश्वकर्मा एवं अर्चना उपाध्याय ने संयुक्त जिला कार्यालय सुकमा के सभाकक्ष में जन सुनवाई की। जिले में दर्ज मानसिक प्रताड़ना की एक प्रकरण की सुनवाई हुई। इसमें अनावेदिका के अनुपस्थित होने और रायपुर में निवासरत रहने के फलस्वरुप प्रकरण को रायपुर स्थानांनतरित किया गया, जिसमें आवेदिका की सहमती ली गई।

डॉ. नायक ने कहा कि बस्तर क्षेत्र के साथ ही प्रदेश भर में महिलाओं को प्रताड़ना, उत्पीड़न, शोषण आदि से संबंधित कानूनी अधिकारों के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री महतारी न्याय रथ का क्रियान्वयन किया जा रहा है। योजना के तहत महतारी न्याय रथ जिलों में जाकर शिक्षात्मक वीडियो के माध्यम से महिलाओं को जागरुक कर रहा है। उन्होंने महिला आयोग के कार्य प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि महिला आयोग का उद्देश्य है कि आपसी झगड़ों का आसानी और शीघ्रता से निपटारा हो। हमारी कोशिश होती है कि प्रकरणों में आपसी सुलह हो जाए और कोर्ट कचहरी व थाने के चक्करों के बगैर शीघ्र निराकरण संभव हो।


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