रायपुर। राज्य सरकार ने गौठानों से जुड़ी स्व-सहायता समूह की महिलाओं को कई प्रकार की आजीविका मूलक गतिविधियों सेे जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने की पहल की है। दूरस्थ वनांचल और आदिवासी जिले जशपुर के बालाछापर गोठान में महिलाओं को वर्मी कम्पोस्ट बनाने, बकरी पालन, मुर्गी पालन, रेशम से धागा निकालने जैसे कई कामों के साथ ड्रायविंग प्रशिक्षण कक्षाओं के संचालन से जोड़ा गया है। बालाछापर गौठान की लक्ष्मी स्व-सहायता समूह की महिलाएं सफलतापूर्वक 2 माह से ड्रायविंग प्रशिक्षण कक्षाओं का संचालन कर रही हैं। उन्होने 2 माह में ही एक लाख रूपये कमाए हैं,जिसमें से उन्हें 75 हजार शुद्ध मुनाफा हुआ है।
समूह की महिलाओं को जिला प्रशासन ने 4 लाख 90 हजार रुपए की राशि से दो वाहन उपलब्ध कराया है। साथ ही प्रशिक्षण देने के लिए दो ड्राइवर की भी व्यवस्था की है। गोठान में महिलाओं को कार्यालय भी उपलब्ध कराया गया है, जहां वह पंजीयन करती हैं। समूह की महिलाओं ने बताया कि वे ड्रायविंग प्रशिक्षण के लिए पंजीयन से लेकर ड्रायवरों के पेमेंट तक सारा काम देखती हैं। गोठान से लगे मैदान में अनुभवी ड्रायवरों के द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। प्रशिक्षण के लिए अब तक 35 लोगों ने पंजीयन कराया है। ड्राईविंग प्रशिक्षण के लिए 3 हजार रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है। इच्छुक युवक-युवतियां और कामकाजी महिलाएं ड्राइविंग सीखने के लिए उत्साह से पंजीयन करा रहे हैं। यहां कामकाजी महिलाओं एवं युवाओं को उनके सुविधानुसार समय पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण प्राप्त जशपुर की कविता भगत ने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वह अपना छोटा-मोटा काम भी आसानी से कर लेती हैं। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मोटर ड्रायविंग का फायदा उन्हें मिल रहा है, अब वे आगे रोजगार से भी जुड़ेगी। उन्होंने महिलाओं के लिए ड्रायविंग सीखना बेहद जरूरी बताया।