गौरतलब है कि सुराजी गांव योजना के अंतर्गत राज्य सरकार ने नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम की शुरुआत की है। इसी क्रम में गौठान को रुरल इंडस्ट्री के रूप में विकसित किया जा रहा है। जहां गोबर से कई तरह के उत्पाद का निर्माण किया जा रहा है। बेमेतरा जिले के ग्राम पंचायत अमलडीहा में सरपंच श्रीमती कुंती देवी के परिश्रम से ग्रामीण महिलाओं के स्व-सहायता समूह को रोजगार का साधन मिल पाया है। यहां रोशनी स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने ''जहाँ चाह, वहाँ राह'' उक्ति को चरितार्थ कर दिखाया है। रोशनी स्व-सहायता समूह द्वारा वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया जा रहा है जिसका विक्रय कर महिला स्व-सहायता समूह को अब तक लाखों रुपए की आमदनी हो चुकी है।
दूसरी ओर रोशनी स्व-सहायता समूह की सदस्य चारागाह में आबंटित 2 एकड़ में हल्दी और अदरक का उत्पादन कर रही हैं। वहीं किरण एवं बुढ़ादेव स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा चारागाह में एक-एक एकड़ में सब्जी उत्पादन किया जा रहा है। लॉकडाउन की अवधि में इन्हें रोजगार का साधन मिला साथ ही ग्रामीणों के स्थानीय स्तर पर सब्जी-भाजी की उपलब्धता हुई। इसके अलावा भी यहां कई अन्य गतिविधियां गौठान में प्रस्तावित हैं। यहां मत्स्य पालन के लिए तालाब का निर्माण किया जा चुका है। मुर्गी पालन के लिए तालाब के ऊपर ही शेड बनाया गया है। बकरी पालन हेतु गौठान में शेड का निर्माण किया जा रहा है। फूल एवं दलहन फसलों के खेती की तैयारी की जा रही है। अमलडीहा गांव में स्व-सहायता समूह की महिलाओं की आजीविका के साधन बढ़ाने और नयी कार्ययोजना भी बनाई जा रही हैं।