केंचुआ और जैविक खाद बेचकर महिला किसान को हुई 3 लाख रुपये से अधिक की आमदनी, सात जिलों के गौठानों में कर रहीं हैं केंचुआ सप्लाई
जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गांवों में निर्मित गौठान और साल भर पहले शुरू हुई गोधन न्याय योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नया संबल मिला है। यह योजना ग्रामीणों की अतिरिक्त आय का स्थायी जरिया बन गया है। जिले के एक छोटे से गांव बहेराडीह की महिला किसान श्रीमती पुष्पा यादव को राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना से उसकी लगन, मेहनत और जीवटता से सफलता की राह मिल गई है। योजना के तहत गांव के ही गौठान में दो रुपये किलो की दर से गोबर बेचकर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर रही है। उन्होंने एक वर्ष में 165 क्विंटल 79 किलो गोबर बेचकर 33 हजार 158 रुपये की आय अर्जित की है। इसके अलावा उन्हें केंचुआ पालन और ट्राइकोडर्मा युक्त वर्मीकम्पोस्ट से सालभर में ही 03 लाख रुपये से अधिक आमदनी प्राप्त हुई है।
श्रीमती यादव ने बताया कि वह बिहान कार्यक्रम में नारी शक्ति महिला ग्राम संगठन बहेराडीह की सचिव है। साथ ही वह 10 सदस्यों के साथ गंगे मईय्या स्व सहायता समूह संचालित कर रही है। उसे केंचुआ पालन व्यवसाय से भी आय प्राप्त होती है। वह शासकीय दर 262 रुपये प्रति किलो के हिसाब से ऐसिनिया फोडिडा किस्म की केचुआ बेच रही है। जिला पंचायत, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, पशुधन विकास विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से जिले के अलावा अन्य सात जिलों से गौठान तथा सामाजिक संस्थाओं से सप्लाई ऑर्डर मिला है। सबसे ज्यादा सप्लाई ऑर्डर कोरबा नगर निगम और कृषि विभाग से मिला है। उन्होंने बताया कि उनके पास अभी छः देशी गाय है। डेयरी व्यवसाय विस्तार के लिए उसने गौशाला का निर्माण किया है। उसने क्रेडा की योजना से दीनबंधु मॉडल की दो गोबर गैस संयंत्र भी बनवाया है। इस संयंत्र से घर में दस लोगों के लिए रोज का भोजन तैयार हो जाता है।
श्रीमती यादव की सफलता से गांव की अन्य महिलाएं भी प्रेरित हुई है। गोधन न्याय योजना से गौपालकों का उत्साह बढ़ा है। वास्तव में गौठान अब ग्रामीण की आजीविका का नया ठौर बनते जा रहे हैं। श्रीमती पुष्पा ने कहा कि गौठानों में महिला समूहों द्वारा जिस लगन और मेहनत के साथ आय मूलक गतिविधियां सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है। वह अपने आप में बेमिसाल है।