छत्तीसगढ़

लखपति दीदी योजना से क्लस्टर फार्मिंग कर महिलाएं बन रही सफल व्यवसायी

Nilmani Pal
28 Jun 2023 10:47 AM GMT
लखपति दीदी योजना से क्लस्टर फार्मिंग कर महिलाएं बन रही सफल व्यवसायी
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रायपुर। शासन की लखपति दीदी योजना से महिलाओं को कलस्टर फार्मिंग से जोड़ा जा रहा है। इन्हें सब्जी उत्पादन, मुर्गीपालन तथा मक्का उत्पादन के कार्यकलाप से जोड़ा जा रहा है। तीन गतिविधि इसलिए ताकि तीनों के माध्यम से इनकी आर्थिक आय का आंकड़ा लाख के आंकड़े को छू जाए। कोण्डागांव विकासखण्ड के ग्राम बादालूर वनांचल की महिलाएं गृहणी के साथ सफल व्यवसाय बन रही है। ये कहानी बादालूर की रहने वाली ऊषा की। जिस पर पूरे घर की जिम्मेदारी थी, आज वह सफल व्यवसायी बनकर अपने परिवार की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है। ऊषा ने बताया वह दूसरे के घर में काम करती थी, अब खुद सब्जियों का उत्पादन कर रही है। सब्जी से प्रति सप्ताह में 1000 रूपये से अधिक की लौकी विक्रय कर रही है और आने वाले समय में लौकी की खेती से उन्हे 12 से 15 हजार आमदनी प्राप्त होने की सम्भावनाएं हैं। ऊषा अपने खेतों में सीजन के अनुसार सब्जी उत्पादन भी करती है।

उन्होंने बताया कि लघु वनोपज जैसे महुआ, साल, बीज, ईमली, टौरा का भी संग्रहण कर विक्रय करती हैं। जिससे उन्हें अतिरिक्त 10 से 12 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त हो जाती है। ऊषा कोर्राम आज सब्जी की खेती करके गांव के अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई। ऊषा की जिन्दगी में यह बदलाव बिहान कार्यक्रम से जुड़ने के बाद आया। बिहान के बीपीएम रैनु नेताम ने बताया कि महिलाओं को प्रेरित कर स्व-सहायता समूह बनाकर कार्य करने हेतु बिहान के माध्यम से प्रेरित किया गया। दस महिलाओं ने मिलकर गौरी स्व-सहायता समूह बनाया और ऊषा भी इसकी सदस्य बनीं।

समूह से जुड़ने से पहले वह एक निर्धन परिवार से आती थीं और घर का सारा काम-काज सम्भालती थी। जिसके लिए ऊषा को दुसरे के यहां मजदूरी करनी पड़ती थीं और पुश्तैनी खेत में पारंम्परिक तरीके से केवल धान की खेती से ही घर चलाया करती थी। ऐसे में समूह से जुड़कर अधिकारियों द्वारा जय मां कर्मा कलस्टर संगठन मर्दापाल अंतर्गत ‘लखपती दीदी‘ पहल के तहत 05 गांव को इन्टीग्रेटेड फार्मिंग कलस्टर के रूप में चयन की जानकारी दी गयी। जिसमें 05 गांव से 250 किसानों को तीन गतिविधि मक्का उत्पादन, सब्जी उत्पादन, वनोपज संग्रहण एवं बैकयार्ड मुर्गीपालन कार्य से जोड़ा जाना था। चयनित गाँवो में से ग्राम बादालूर का चयन किया गया। गौरी स्व-सहायता समूह की ऊषा कोर्राम ने सब्जी उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया। समूह के साथ मिलकर पांच डिसमिल में लौकी की खेती प्रारंभ की। अब वे एक सफल गृहणी के साथ सफल व्यवसायी भी बन गयी है।

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