छत्तीसगढ़

पति से दूर ना रह सकी महिला नक्सली ,छोड़ा नक्सलियों का गलीयारा

HARRY
13 Oct 2022 9:33 AM GMT
पति से दूर ना रह सकी महिला नक्सली ,छोड़ा नक्सलियों का गलीयारा
x

कांकेर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में को माओवदियों का गढ़ माना जाता है,यहां सभी जिले नक्सल आतंक से पीड़ित हैं। नक्सलियों के कैम्प में रहने वाले माओवादी भी आम लोगो के बीच से ही निकलते हैं और कभी ना कभी हिंसा छोड़कर वापस अपने घर लौट जाते हैं। आज हम आपको ऐसी ही महिला नक्सली के बारे में बता रहे हैं,जिसने कई सालों तक हिंसा के रास्ते पर अपने कदम बढ़ाये,लेकिन एक मोड़ पर प्यार के आगे हार गई।

बुधवार को कांकेर जिले के अंतागढ़ छत्तीसगढ़ पुलिस की तरफ से नक्सली उन्मूलन के लिए चलाये जा रहे अभियान के तहत महिला नक्सली बुज्जी उर्फ जननी ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। बुज्जी पर 8 लाख रुपये का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण करने पर महिला नक्सली को 10 हजार रुपये का नकद इनाम दिया गया है। कांकेर पुलिस के मुताबिक इस महिला का पति भी नक्सली था ,जिसने 27 सितंबर को माओवादियों का साथ छोड़ दिया था।

यह महिला नक्सली 2012 में नक्सलियों के बीजापुर के मद्देड़ एरिया में भर्ती हुई थी। इन 12 सालों मे उसने रावघाट एरिया कमेटी समेत कई अन्य नक्सल कंपनियों में काम किया। महिला नक्सली ने इस दौरान कई वारदातों को अंजाम दिया।

एक दशक तक नक्सलियों के साथ नरसंहार करने वाली यह महिला को तब अपनी गलती का एहसास हुआ,जब उससे उसका प्यार दूर हो गया। दरअसल महिला नक्सली बुज्जी के पति भी नक्सली थे,लेकिन सरकार की आत्मसमर्पण नीति और नक्सल हिंसा से मोह भंग हो जाने के बाद वापस अपने घर लौट आया था। नक्सल संगठन छोड़ने पर पुलिस ने उसे सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाया था। अपने पति के नक्सल कैम्प छोड़ देने के बाद महिला को शायद अकेलापन सताने लगा और वह भी अपने पति के पास घर लौट आई।

दरअसल बीते कुछ सालों में छत्तीसगढ़ पुलिस को माओवादियों के खिलाफ बड़ी सफलताएं मिल रही हैं। जहां एक तरफ जंगलो में माओवादियों के खिलाफ एंटी नक्सल ऑपरेशन चल रहे हैं,वही नक्सली लोन वर्राटू अभियान के माध्यम से आत्मसमर्पण भी किये जा रहे हैं। लोन वर्राटू बस्तर में बोले जाने वाली गोंडी भाषा का एक शब्द है। इसका मतलब होता है 'घर वापस आइए' .बस्तर पुलिस अपने इसी अभियान से भटक चुके ग्रामीणों से जोड़कर मुख्यधारा में वापस आने के लिए प्रेरित कर रही है। इस योजना के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को सरकारी नौकरी, जमीन और पैसे दिए जाने का प्रावधान है।


Next Story