सतत निगरानी और परामर्श से जुड़वा बच्चे लाव्या और लाव्यांश हुए सुपोषित
महासमुंद mahasamund news। एक मां और उसके परिवार की खुशियों और संघर्ष के बीच की कहानी है जो जिला महासमुन्द के विकासखंड बागबाहरा ग्राम शिवनीखुर्द की है। इस गांव में बिरझा बघेल पति मनमीत बघेल के साथ पूरा परिवार रहता है, जैसे ही पता चला कि घर की बहू बिरझा बघेल गर्भवती हुई तो घर व ग्राम में खुशियों का वातारण चारो तरफ फैल गया। खुशियां उस समय दुगुनी हो गई जब पता चला कि गर्भ में जुड़वा बच्चे है। अब परिवार और अतिरिक्त देखभाल में लग गया। इसी बीच आंगनवाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता दीदी उषा चौहान से मिलकर केंद्र में पंजीयन करवाते हुए नियमित टीकाकरण और पोषण आहार के लिए परिवार भी लगातार सपर्क में बना रहा। कार्यकर्ता दीदी और पर्यवेक्षक लगातार गृहभेट करते रहे और सेवाएं देते रहे। अभी सात महीने ही पूर्ण हुए थे कि एक दिन अचानक गर्भवती को बचैनी महसूस होने पर परिवार वालों ने जांच हेतु चिकित्सक के पास ले गए। तभी चिकित्सक द्वारा प्रसव कराने की बात कही गई मां और बच्चे की सलामती के लिए प्रसव के लिए तैयार हुए और 13 मार्च 2024 को गर्भवती माता बिरझा बघेल ने समय से पूर्व सामान्य प्रसव से जुड़वा बच्चो को जन्म दिया। समय से पूर्व जन्म के कारण बच्चे का वजन सामान्य से कम था। जुड़वा बच्चो में 1 लड़की और 1 लड़का है जिनका वजन जन्म के समय 1500 ग्राम का था। Bagbahara
उसी दौरान महिला एव बाल विकास द्वारा पोषण पखवाड़ा का भी आयोजन किया जा रहा था जहां जुड़वा बच्चे होने की खुशी थी वहीं कम वजन के कारण दोनो बच्चां को बचाना और स्वस्थ रख पाने की बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती को परिवार के साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता दीदी और महिला एवं बाल विकास की टीम ने स्वीकार की और इसे स्वस्थ्य और सुपोषित करने के लिए जुट गए। माता बिरझा और दादी प्रभा बाई ने कार्यकर्ता की समझाइश को ध्यान में रखते हुए 1 घण्टे के भीतर स्तनपान कराने की बात स्वयं हॉस्पिटल में कही जिससे वहां उनकी जागरूकता का परिचय हुआ और माता ने स्तनपान कराया। उसके पश्चात सतत गृह भेंट और स्वास्थ्य परामर्श कर घरवालो को समझाइश देते रहे। उन्हें केवल और केवल स्तनपान और कंगारू मदर केयर की सलाह और उसके महत्व को डेमो करके उसके पति व परिवार को करके दिखाया गया। जिसे घर के सभी सदस्यों ने समझा और किया।
श्रीमती बिरझा अपनी सास प्रभा जी के साथ हर सुपोषण चौपाल में केंद्र आती थी और नई सीख लेकर पोषण परामर्श पर चर्चा करती रही। सुपोषण किट का सेवन भी माता बिरझा ने किया। कार्यकर्ता उषा चौहान ने एक परिवार की तरह इस परिवार को समय समय और सलाह और देखभाल की है। सतत और सक्रिय तर्क पूर्ण गृह भेंट से बिरझा के खानपान में पोषण पेटी के महत्व के बारे में बताकर ऐसा करने हेतु प्रेरित करते रहे जिसका परिणाम ये हुआ कि बच्चों के वजन में वृद्धि होती दिखाई देने लगी और माँ और अन्य सदस्यों के साथ बच्चे का आत्मीय संबंध मजबूत होता दिखा। बच्चे माँ के साथ दादा दादी के पास भी अच्छी तरह रहने लगे। जब माँ ने सामान्य प्रसव से जुड़वा बच्चो लाव्या और लाव्यंश को जन्म दिया ये माता बिरझा की शारीरिक मजबूती की एक उत्तम उपलब्धि रही की सही समय पर पोषण परामर्श शिक्षा और चिकित्सीय सुविधा मिल पाई। परिवार के सभी लोग महिला बाल विकास विभाग को धन्यवाद देते नहीं थकते। इस तरह का साथ उनके परिवार को सक्रियता से मिला।
आज एक परिवार में गर्भवती के गर्भधारण से प्रसव उपरांत वर्तमान में भी सतत गृह भेंट और परिवार द्वारा पोषण परामर्श को सक्रिय रूप से पालन करने से अति कमजोर बच्चे आज परिवार की गोद मे स्वस्थ और सक्रिय रूप से खेल रहे है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 1 सितंबर से 30 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन किया जा रहा है इसी आयोजन के दौरान 18 सितम्बर 2024 को बच्चों के 6 माह पूर्ण होने से केंद्र में उत्सव के साथ अन्नप्राशन का आयोजन कर लव्या और लाव्यांश दोनो का अन्नप्राशन करवाया गया। इस दौरान बच्चों का वजन लिया गया। जिसमें बच्चों का वजन क्रमशः 5600 ग्राम और 5700 ग्राम हो गया है। इस तरह महिला बाल विकास विभाग के उल्लेखनीय प्रयास और सतत निगरानी से बच्चे आज मां और परिवार की गोद में किलकारियां भर रहे हैं।