छत्तीसगढ़

कांग्रेस के लिए सबसे आसान चुनाव साबित होगा!

Nilmani Pal
20 Nov 2022 5:56 AM GMT
कांग्रेस के लिए सबसे आसान चुनाव साबित होगा!
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भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव

राजनीतिक दमखम का टोह लेने दांव लगा सकता है सर्वआदिवासी समाज

सर्वआदिवासी समाज के दखल से दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टी के कान खड़े हुए

कल घोषित होगा सर्व आदिवासी समाज का केंडिडेट, आज कांकेर में होगी बैठक

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर । सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष जीवन ठाकुर ने बताया कि जब से समाज के लोगों ने नामांकन दाखिल किया. है तब से दोनों प्रमुख दलों के नेताओं की नींद उड़ गई है। लगातार घास डालने के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है। आदिवासी प्रत्याशी मैदान छोडऩे के लिए तैयार नहीं है। अब सोमवार को तय होगा कि कौन चुनाव लड़ेगा और कौन बैठेगा।दोनों पार्टी बैठाने की फिल्डिंग कर रहे है लेकिन अभी तक कैच हाथ नहीं लगी है। भानुप्रतापपुर उपचुनाव अब सर्व आदिवासी समाज की अस्मिता और प्रतिष्ठा का प्रश्न बनकर खड़ा हो चुका है। एकाएक आरक्षण में कटौती ने आदिवासियों को जगा दिया है। जिसका असर भानुप्रतापपुर उपचुनाव में देखने मिलने वाला है। सोमवार को सर्वआदिवासी समाज कोई बड़ा फैसला लेकर भाजपा-कांग्रेस को संकट में डाल सकता है। उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज की दखल से चुनावी दंगल की रोचकता बढ़ गई है। थोक में समाज के लोगों ने नामांकन दाखिल किया और अब तमाम प्रयासों के बाद भी नाम वापसी का नाम नहीं ले रहे है। इस झटके से राज्य के दोनों प्रमुख दलों के रणनीतिकारों के पेशानी में बल पड़ते दिखाई दे रहे है। आदिवासी समाज के अंदर चल रही बैठकों से जो हलचल सामने आ रही है उसका संकेत साफ है कि भानुप्रतापपुर उपचुनाव को सर्वआदिवासी समाज एक परीक्षण की तरह लेने की तैयारी में है। गांव-गांव में प्रत्याशी उतारने की जगह संगठन केवल एक प्रत्याशी खड़ा कर सकता है। ताकि चुनाव के नतीजों से साफ हो पाए कि सामाजिक आधार पर संगठन को कितने वोट मिल सकते है। इस प्रयोग के आधार पर समाज अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी करेगा। हालांकि इस बारे में समाज ने अधिकृत तौर पर अभी तक कोई बयान नहीं दिया है। सर्वआदिवासी समाज की बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा भी हुई। नाम वापसी के लिए अभी और एक दिन का वक्त है। तीन माह पूर्व हाईकोर्ट ने राज्य शासन के आदेश को खारिज कर दिया है। जिसमें आदिवासियों की 32 प्रतिशत आरक्षण घटाकर 20 प्रतिशत हो गया है। इस मुद्दे पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट तक याचिकाएं लग चुकी है आरक्षण को लेकर आदिवासी समाज अपने आंदोलन को और तेज करने की तैयारी कर रहा था कि भानुप्रतापुपर में उपचुनाव कराने की घोषणा हो गई।

अब समाज के हर गांव से प्रत्याशी उतारने संबंधित घोषणा ने प्रशासन व राजनीतिक पार्टियों के कान खड़े कर दिए है। समाज का हर गांव से प्रत्याशी उतारने में सफलता नहीं मिली कुल 33 नामांकन जमा हुए लेकिन कागजी कार्मियों के चलते 18 नामांकन निरस्त हो गए। सर्व आदिवासी समाज के बैनर चले जो 16 आदिवासी प्रत्याशी मैदान में हैं वो अब नाम वापस लेने टस से मस नहीं हो रहे है। दूसरी और राजनीतिक विश्लेषक यह भी बता रहे हैं कि यह चुनाव कांग्रेस के लिए सबसे आसान चुनाव साबित होगा।

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