छत्तीसगढ़

जंगल में बिछे करंट, ज़हर व फंदे से मारे जा रहे वन्यप्राणी

Admin2
24 Feb 2021 5:30 AM GMT
जंगल में बिछे करंट, ज़हर व फंदे से मारे जा रहे वन्यप्राणी
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जंगल वन्य जीवों की शरणस्थली न होकर बन चुका है कब्रगाह

वन विभाग बेखबर, कब जागेगा अपने मूल कर्तव्य को पूरा करने

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बदनाम करने की साजिश तो नहीं ?

विभाग की कार्यप्रणाली से राज्य शासन की योजनाओं पर लग रहा पलीता

कागजी करवाई में अधिकारी मस्त,वन्यप्राणी शिकारियों से त्रस्त, कर्मचारियों के हौसले पस्त

भूपेश बघेल के मंशानुरूप योजनाओं को दरकिनार कर अधिकारी भ्रष्टाचार और मनमानी कर रहे

शिकारियों को बरसों से अड्डे मालूम लेकिन अधिकारियों को भनक नहीं

अधिकारी कमरे में बैठकर योजना बनाने में लगे

वन्यप्राणियों के प्रतिबंधित अंग असली और नकली दोनों आसानी से उपलब्ध बाज़ार में बिक रहे जानवरों के प्रतिबंधित अंग

ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। प्रदेश के जंगल में अवैध शिकार दिनों बढ़ते ही जा रहा है। औसतन हर दिन वन्य प्राणी का शिकार किया जा रहा है। कभी करंट लगाकर तो कभी ज़हर देकर तो कभी फंदे का प्रयोग कर अवैध शिकार किया जा रहा है। वन अधिकारी और कर्मचारियों का खौफ लोगों के दिलो से हटते जा रहा है। कहीं अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत तो नहीं? भूपेश सरकार को बदनाम करने की साजिश तो नहीं? भूपेश बघेल के खिलाफ षडयंत्र तो नहीं ? अवैध शिकार की आग ऐसी लगी है कि वन्यप्राणियों को जान बचाने का भी मौका नहीं मिल रहा है। विभागीय अधिकारी अवैध शिकार कैसे रोकें इस पर कागजी कार्ययोजना बना रहे है, लेकिन पिछले 10 सालों में वन्य प्राणियों का जीवन सुरक्षित नहीं हो सका। लगातार शिकारी और तस्करों के जंगल में अनाधिकृत हस्तक्षेप वन्य जीवों के लिए मौत का फरमान बन चुका है। वन ग्रामों में इंसानी बसाहट भी काफी हद तक इसका जिम्मेदार है। पिछले दिनों सिहावा पुलिस ने सिहावा क्षेत्र में एक बाघ की खाल के साथ एक युवक को पकड़ा था, युवक आमाबेड़ा जिला कांकेर का निवासी था जाहिर ये होता है कि बाघ केशकाल वनमंडल का था अब सवाल ये उठता है कि केशकाल वनमंडल के बाघ का शिकार कर युवक बेचने के लये सिहावा नगरी की ओर कूच किया।इसी प्रकार वन मंत्री मोहम्मद अकबर के विधान सभा क्षेत्र के जिले के अंतर्गत सहसपुर लोहरा वन प्रक्षेत्र का है जहाँ भठेला टोला परिसर के कक्ष क्रमांक 305 में 15 फऱवरी को एक मादा तेंदुआ का शव मिला था जिसे करंट लगाकर मारा गया था।इसके आलावा रोजाना वन्यप्राणियो का शिकार किया जा रहा है। प्रदेश के तेज तर्रार वन मंत्री मोहम्मद अकबर के इलाके का ये हाल है तो प्रदेश के अन्य इलाकों का क्या हाल होगा अंदाजा लगाया जा सकता है. वैसे भी वन विभाग के सूत्र बताते हैं कि अफसरशाही अभी भी पुराने सरकार की कार्यप्रणाली के अनुसार ही चल रहा है। बन्दरबांट सिस्टम का एक हिस्सा हो गया है। इसके अलावा कई जंगली जीवों का शिकार रोजाना हो रहा है। वन अधिकारी सिर्फ कार्य योजना बनाने में मस्त हैं। जंगल में करंट लगाया जा रहा है और वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों को इसकी भनक तक नहीं लग रही है। जंगल विभाग की कारगुजारी से ऐसा लग रहा है मानो छत्तीसगढ़ में जंगलराज चल रहा है।अवैध शिकार दिनों दिन बढ़ते ही जा रहा है। अमूमन हर रोज वन्य प्राणियों का शिकार हो रहा है जंगल वन्य जीवों की शरण स्थली न होकर कब्रगाह बन चुका है। लगातार शिकारियों का हौसला बढ़ते जा रहा है । प्रदेश में पिछले एक साल में काफी तादात में वन्यजीवों का शिकार हुआ है, जिसमें तेंदुआ, पेंगोलिन, चीतल, सांभर, भालू, हाथी आदि वन्यजीव शामिल हैं।

विभाग इस मामले में गंभीर नहीं

इस सम्बन्ध में वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक( वन्यप्राणी) पी वी नरसिम्हा राव से मोबाइल पर चर्चा हुई उन्होंने बताया कि विभाग अपना काम कर रहा है , अब सवाल ये उठता है कि क्या पहले काम नहीं होता था। उनके जवाब से ऐसा लगता है की वन्यप्राणियों के अकाल मौत के प्रति विभाग गंभीर नहीं है। अधिकारी मैदानी इलाके में जाने से बच रहे हैं नतीजन वन्यप्राणी अकाल काल के गाल में समा रहे हैं अधिकारी अपने कार्य में गंभीर लापरवाही बरत रहे हैं तभी तो रोजाना वन्यप्राणियों को मारा जा रहा है। जब कभी इस बारे में चर्चा की जाती है तो अधिकारियों का रटारटाया जवाब मिलता है कि विभाग अपना काम कर रहा है। वन्यप्राणियों के अवैध शिकार पर वनमंत्री को संज्ञान लेकर तत्काल इस पर करवाई करना होगा तब जाकर अवैध शिकार पर लगाम लगाया जा सकता है। साथ ही वन्य ग्रामों की अन्यत्र बसाहट पर भी गंभीरता से विचार करना चाहिए। वर्ना वन्यप्राणी शिकारियों के हाथों ऐसे ही मारे जाते रहेंगे।

विभाग चालान पेश नहीं कर पाया

अपराधियों द्वारा वन्यजीवों के शिकार या फिर तस्करी की घटना को अंजाम देने के बाद वन विभाग अपराध दर्ज कर उसे भूल जाता है। वन विभाग बड़े-बड़े मामले में अभी तक कोर्ट में चालान पेश नहीं कर पाया है। अधिकारियों की सांठगांठ की वजह से मामला रफा-दफा हो जाता है। इसका जीता-जागता उदाहरण है कि पिछले तीन साल में तकरीबन दो दर्जन से अधिक बड़े मामले हैं, जिनका अभी तक विभाग चालान पेश नहीं कर पाया है।

वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि वन्यप्राणी अपराध के मामले में दो साल के अंदर चालान पेश करना रहता है, लेकिन अधिकारी नहीं कर पा रहे हैं। सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि लगभग दो दर्जन से भी अधिक मामलों में चालान पेश नहीं हो पाया है। इसमें धरमजयगढ़ स्थित दो हाथियों की मौत के मामले में तथा गोलबाजार रायपुर स्थित गुप्ता की दो अलग-अलग दुकान से तकरीबन दस करोड़ रुपये कीमती वन्यजीवों के अंग बरामद किए गए थे। इसमें हैदराबाद की फारेंसिंक लैब में जांच भी हो गई है। इसमें एक दुकान में मिले वन्यजीवों के अंग सही पाए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद भी वन विभाग कार्रवाई नहीं कर पा रहा है । वन विभाग के सूत्रों से जानकारी मिली है कि गोलबाज़ार रायपुर स्थित दुकान भाजपा नेता के भाई की है। यह भी देखा गया है कि रायपुर ही नहीं अधिकतर जगह जड़ीबूटी के नाम पर वन्य प्राणियों के प्रतिबंधित अंग नकली और असली दोनों बेचा जा रहा है। आखिर सवाल उठता है कि इन दुकानदारों को वन्यप्राणियों के प्रतिबंधित अंग क्यों और कैसे मिल जाता है। क्या इनका कोई गिरोह जंगल में काम कर रहा या जंगल विभाग से मिली भगत है। इसकी गंभीरता से जांच किया जाए तो चौकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हंै।

वन विभाग मना रहा है जंगल में मंगल

छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद वनभैसा को राजकीय पशु और बस्तर के पहाड़ी मैना को राजकीय पक्षी का दर्जा दिया गया। तब वन विभाग वालों को लगा कि काफी तादाद में छत्तीसगढ़ में वनभैंस होगे। लेकिन वन विभाग का यह सोच उस वक्त काफूर हो गया तब वनभैसों की गिनती की गई, ऊंगलियों में गिनने लायक संख्या वनभैसा की पाई गई। वनभैसा के लिए उदंती-सीता नदी टाइगर रिसर्व फारेस्ट में अधिक संख्या में है ऐसा वन विभाग का अनुमान था लेकिन गणना में केवल 6 नर एवं एक मादा वनभैसा मिला। वन विभाग का मानो पैरों तले जमीन ही खिसक गया। लगभग डेढ़ करोड़ खर्च कर हरियाणा में वनभैस का क्लोन पैदा करवाया गया लेकिन नस्ल बिगडऩे के डर से इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया और असम से नर और मादा वनभैंस को लाया गया। अवैध शिकार कैसे रोका जाए लाख टके का सवाल है वन्यप्राणियों के अवैध शिकार को कैसे रोका जाए। वनग्रामों को जब तक हटाया नहीं जायेगा तब तक शिकार पर प्रतिबंध लगना टेड़ीखीर साबित होगी । अधिकारी कमरे में बैठकर सिर्फ कार्य योजना बनाते है। जब तक उस कार्य योजना को धरातल पर उतरा नहीं जायेगा तब तक अवैध शिकार नहीं रुक सकता। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने एक दो वनग्रामों को हटाया भी था। लेकिन वर्तमान में यह योजना हवा-हवाई हो गई है। एक भी वनग्रामों को हटाने का निर्णय नहीं लिया गया। जब तक वनग्राम नहीं हटेंगे तब तक अवैध शिकार पर प्रतिबंध नहीं लग सकता। और अधिकारियों की हर कार्य योजना सफ़ेद हाथी साबित होगी। अधिकारियों को जमीनी स्तर पर उतरना होगा तब जाकर अवैध शिकार रोका जा सकता है। पर सवाल ये उठता है कि जब तक अवैध शिकारियों पर शिकंजा नहीं कसा जाएगा सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा और हर गांवों में वन्यजीवों के लिए कई शिकारी पैदा हो जाएंगे।

अवैध शिकार पर कठोर कानून बने

अभी वन विभाग सिर्फ कार्य योजना बनाने में मस्त है और कर्मचारियों का हौसला पस्त है। वन्य प्राणियॉं के अवैध शिकार पर कठोर कानून बनना चाहिए । अधिकारियों के रवैये से लगता है हिरण भी एक दिन विलुप्त प्राणी की श्रेणी में ना आ जाए। जिस प्रकार अधिकारियों की लापरवाही से वर्ष 2020 में ;लगभग काफी तादात में हाथी मारे गए और इनकी मौत को रोकने सिर्फ कागजी कार्य योजना बना पाए है।वन अधिकारीयों की कार्यप्रणाली से ऐसा लगता है कि वो दिन दूर नहीं जब हाथी भी डायनासोर की तरह फिल्मों में देखने मिले या किताबों में पढऩ़े मिले।

अभी तक नहीं मिला सुराग

सितंबर, 2019 में मैनपुर के जंगल में एक ग्रामीण से 50 हजार रुपये में तेंदुए के दोनों बच्चों को खरीदकर उसे बेचने कार से रायपुर ला रहे थे। वाहन चेकिंग में फंसने के डर से उन्होंने बीच रास्ते में कार छोड़कर एक्टिवा क्रमांक सीजी 04 एमएम 1645 के सामने तेंदुए के बच्चों को झोले और पिंजरे में रखकर ला रहे थे। सूचना पर पुलिस ने पकड़कर जांच की तो एक्टिवा के सामने रखे दो झोले और पिंजरे में बंद तेंदुए के दो बच्चे मिले। पुलिस ने मौके पर ही तस्कर मोहम्मद साबिर और राकेश निषाद को गिरफ्तार किया था, लेकिन मुख्य आरोपित अभी तक फरार है।

नेता गिरी भी हावी

वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि वन विभाग भी अवैध शिकार पर अंकुश लगाना चाहता है और सख्ती के साथ इस पर करवाई भी हो रही है लेकिन कई मामलो में नेतागिरी हावी हो जाती है जिससे अधिकारी और कर्मचारियों के हौसले पस्त हो जाते हैं। चाह कर भी करवाई नहीं कर पाते भ्रस्टाचार का बोलबाला है।


विभाग अपना काम कर रहा है जल्द ही इस पर अंकुश लगेगा

-पी वी नरसिम्हा राव ,

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी )

वन्य जीवों की हिफाजत के लिए शिकारियों पर अंकुश लगाना जरूरी है। साथ ही वन्य ग्रामो के बसाहट पर भी गौर करना चाहिए क्योकि देखा गया है कि अवैध शिकार के मामले में अधिकतर आरोपी वन्य ग्राम के आसपास के ही होते हैं।

- मोहम्मद फिरोज, वन्य एवं प्रकृति प्रेमी

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