छत्तीसगढ़

उम्रदराज और शरीर में घाव होने से जंगली हाथी की मौत

Nilmani Pal
2 Feb 2025 11:16 AM GMT
उम्रदराज और शरीर में घाव होने से जंगली हाथी की मौत
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रायगढ़। धरमजयगढ़ वनमंडल अंतर्गत छाल परिक्षेत्र के बेहरामार परिसर में वन्यप्राणी जंगली हाथी (मखना) के मृत्यु उम्रदराज होने एवं शरीर के विभिन्न स्थानों में घाव होने के कारण हुई है।

वनमंडलाधिकारी धरमजयगढ़ ने जानकारी देते हुए बताया कि एक नर हाथी (मखना) जिसकी उम्र लगभग 60 वर्ष थी, जो विगत दो माह से बीमार था। उक्त मखना हाथी के शरीर के विभिन्न स्थान जैसे कि चारो पैर, ऊपरी उदर के भाग, पुष्ट भाग में घाव थे, जिससे लगातार पस (मवाद) आ रहा था। उक्त मखना हाथी का उपचार वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देश पर वन्यप्राणी चिकित्सकों के द्वारा 19 दिसम्बर 2024 को कोरबा वनमंडल के करतला वन परिक्षेत्र में किया गया था। उपचार उपरांत वन विभाग के द्वारा लगातार इसकी निगरानी किया जा रहा था एवं वन्यप्राणी चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार आवश्यक दवाईयां दी जा रही थी। उक्त हाथी 2 जनवरी 2025 को करतला वन परिक्षेत्र, कोरबा वनमंडल से छाल वन परिक्षेत्र, धरमजयगढ़ वनमंडल में प्रवेश किया था। छाल वन परिक्षेत्र में भी वन्यप्राणी चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार दवाईयां लगातार दी जा रही थी।

हाथी का हाथी ट्रेकरों, हाथी मित्र दल, क्षेत्रीय वनकर्मचारियों/अधिकारियों द्वारा लगातार निगरानी किया जा रहा था। जिससे उसके स्वास्थ्य में सुधार दिख रहा था, किन्तु कुछ दिनों के बाद से स्वास्थ्य में गिरावट दिखाई दिया। 29 एवंं 30 जनवरी 2025 को मखना हाथी के गतिविधि में कमी देखी गई और वह दिन में लगभग 10-12 घंटे एक ही स्थान पर रह रहा था। वन विभाग के उच्चाधिकारियों एवं वन्यप्राणी चिकित्सकों की निर्देशानुसार उक्त हाथी का बेहतर उपचार करने में सहयोग लेने के लिए हाथी राहत एवं पुनर्वास केन्द्र रमकोला सुरजपुर जिला से 02 कुमकी हाथी 30 जनवरी 2025 को लाया गया। तत्पश्चात वनमंडल में वन्यप्राणी चिकित्सकों की समिति के द्वारा कुमकी हाथियों की सहायता से उक्त हाथी का उपचार किया जा रहा था। उपचार के दौरान हाथी एक जगह बैठ गया और गहरी सांसे लेने लगा उसी दौरान वन्यप्राणी चिकित्सकों के द्वारा जांच उपरांत मखना हाथी को लगभग शाम 4 बजे मृत घोषित किया गया। शाम हो जाने के कारण शव विच्छेदन का कार्य संभव नहीं हो पाया। वन रक्षकों को शव का सुरक्षित देखरेख करने के लिए ड्यूटी लगाया गया। 01 फरवरी को सुरक्षित शव का जिला स्तरीय पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा वनमंडलाधिकारी, उप वनमंडलाधिकारी धरमजयगढ़, वनपरिक्षेत्र अधिकारी छाल एवं वनअमलों की उपस्थिति में सुबह 9 बजे शव विच्छेदन कर आवश्यक अंगों का जांच के लिए विसरा लिया गया। शव विच्छेदन पश्चात मखना हाथी उम्रदराज होने एवं शरीर के विभिन्न भागों में गंभीर घाव होने के कारण मृत होना पाया गया। तत्पश्चात विधिवत् गड्ढा खोदकर शव का कफन-दफन किया गया। प्रकरण में अग्रिम कार्यवाही की जा रही है। वनमंडल धरमजयगढ़ हाथी प्रभावित क्षेत्र है, जिसके लिए हाथियों का लगातार ट्रेकिंग एवं निगरानी किया जा रहा है।

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