छत्तीसगढ़

पीएमजीएसवाई की सड़कों में व्यापक भ्रष्टाचार

Admin2
27 July 2021 5:53 AM GMT
  1. अफसर-ठेकेदार शासन को लगा रहे करोड़ों का चूना
  2. सबसे बड़े अधिकारी, विभागीय मंत्री को नहीं मालूम भ्रष्टाचार हुआ है, सरकार को कैसे भनक लगेगी?
  3. विभाग के सबसे बड़े अधिकारी को ही सड़क घोटाले की जानकारी नहीं है तो विभागीय मंत्री और सरकार को कैसे इसकी जानकारी पहुंचेगी, ये एक गंभीर भ्रष्टाचार का मुद्दा है। जनता की टैक्स की गाढ़ी कमाई का पैसा अधिकारी गटक रहे हैं। तीन-तीन सरकार बदलने के बावजूद विगत 25 सालों से एक ही स्थान पर जमे अधिकारी द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत करोड़ों डकार कर बड़े-बड़े भवन, बंगले और होटल भी खोल लिए हैं। विभाग के मंत्री को खबर को संज्ञान में ले कर पूरे प्रदेश में प्रधानमंत्री सड़क योजना की गंभीरता से भौतिक सत्यापन हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज तथा सामाजिक और राजनीतिक संगठनों को शामिल कर सड़क घोटाले की संपूर्ण जांच कर भ्रष्ट अधिकारी को जेल भेजना चाहिए और जनता के लूटे हुए धन को तत्काल जब्त करने की कार्रवाई शासन करे।

सूत्र संग्रह जनता से रिश्ता, अतुल्य चौबे

ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट- ज़ाकिर घुरसेना

पंचायत एवं ग्रामीण विभाग के अंतर्गत प्रधानमंत्री ग्राम

सड़क योजना की खुलासे लगातार देखते रहिए

रायपुर। ग्रामीण इलाकों में बनाए जा रहे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों के निर्माण में खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है। क्षेत्रीय अफसर और ठेकेदार मिलीभगत कर कम लागत में दोयम दर्जे की निर्माण कर शासन के करोड़ो रुपए डकार रहे हैं। विभागीय अधिकारियों को या तो इनकी कारगुजारियों का पता नहीं है या फिर पता होने के बाद भी कमीशनखोरी के चक्कर में कोई कार्रवाई अथवा जांच नहीं हो रही है। सड़कों के निर्माण में मापदंडों और गुणवत्ता का कहीं भी ख्याल नहीं रखा गया है। जीएसबी और डब्ल्यूबीएम लेयर का कही अता-पता नहीं है। मटेरियलों के इस्तेमाल में भी तय मापदंड नहीं अपनाए गए हैं। ऐसा गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड ही नहीं पूरे प्रदेश में विशेष कर बस्तर-सरगुजा के आदिवासी और दूरस्थ इलाके के गांवो में भी इस योजना के तहत बनी और बनाई जा रही सड़कों में व्यापक गड़बडिय़ों की शिकायतें मिल रही हैं। संबंधित विभाग के उच्चाधिकारी न तो निर्माण कार्यो की समय-समय पर मॉनिटरिंग करते हैं न ही वस्तु स्थिति से विभागीय मंत्री को अवगत कराते हैं। विभाग टेंडर जारी कर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं और सारा काम निचले स्तर के अधिकारियों की देखरेख में होता जो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर ठेकेदारों को घटिया निर्माण का अवसर देते हैं। विभागीय मंत्री को तत्काल इस पर संज्ञान लेकर गड़बडिय़ों की जांच करवाकर दोषी अधिकारी-ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

वर्षो से जमे इंजीनियर का कारनामा

गरियाबंद के देवभोग ब्लाक में जिस सड़क का निर्माण 16 करोड़ की लागत से की गई है उसमें भी तमाम मापदंड ताक पर रखे गए हैं। गुणवत्ता का जरा भी ख्याल नहीं रखा गया है। विकासखंड में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में व्यापक भ्रष्टाचार होने की बात न सिर्फ ग्रामीण बल्कि सड़कों को देखकर भी पता चलती है। बताया जा रहा है कि उक्त विकासखंड में सालों से जमे कार्यपालन यंत्री के सांठगांठ से ठेकेदार घटिया निर्माण कर लागत राशि का बंदरबाट कर रहे हैं। मजे की बात है की वर्षों से जमे अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर न केवल घटिया सड़क का निर्माण करवाया बल्कि ठेकेदारों का भुगतान भी कर दिया। गरियाबंद जिले सहित प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क को लेकर कई माध्यमों से शिकायतें प्राप्त हो रही थी। जनता से रिश्ता को भी इसकी शिकायत मिली थी। जनता से रिश्ता ने ग्राउंड ज़ीरो रिपोर्टिंग कर इसकी तहकीकात की एवं इस सम्बन्ध में ग्रामीणों से भी चर्चा की। सड़क की हालत देखने में ऐसा लग रहा है निर्माण सामग्री का ठीक ढंग से उपयोग नहीं किया गया है। ग्रामीणों ने एकस्वर में कहा कि घटिया निर्माण हुआ है। कहीं डामर कम लगाया तो कहीं गिट्टी कम डाली गई। मामले की अगर निष्पक्षता से जाँच की जाये तो कई अधिकारी इसके लपेटे में आएंगे।

तीन साल पहले भी पांच करोड़ में बनी थी यही सड़क

गोहरापदर से सीनापाली और सीनापाली से मुजबहाल मार्ग में तीन वर्ष पहले ही 5 करोड़ की लागत से निर्माण कार्य हुआ था। जिसकी अवधि पांच वर्ष की थी। किंतु तीन वर्ष में ही उसी मार्ग में पुन: निविदा लगाकर 17 करोड़ कार्य की स्वीकृति प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में टेंडर हेतु ली गयी। इस तरह मार्ग में योजनाबद्ध तरीके से भ्रष्ट्राचार करने के इरादे से कार्य में लीपापोती की गयी है। यह भी वास्तविकता है कि गरियाबंद प्रधानमंत्री ग्राम सड़क विभाग के कार्यपालक अभियंता विगत 25-30 वर्षों से उसी अंचल में पदस्थ है। जबकि प्रथम श्रेणी अधिकारी को उनकी गृह जिले में पदस्थापना नहीं की जाती है। लेकिन कार्य पालन अभियंता वही उपयंत्री रहे, अनुविभागीय अधिकारी रहे और अब कार्यपालन अभियंता के तौर पर पदस्थ है। जनप्रतिनिधि विभागीय उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से समूचे जिले में 20 वर्ष से सड़क निर्माण कार्य में इसी तरह करोड़ों का घोटाला किया जा रहा है जो जांच का विषय है। गोहरापदर से मुज़बहाल मार्ग में ही नहीं बल्कि समूचे दूरस्थ अंचल की सड़कें ध्वस्त हो रही है। गोहरापदर से बनवापारा मार्ग काडेकेला से छालडोंगरी रोड और अमलीपदर से खरीपधरा सड़क भी रखरखाव के अभाव में खऱाब हो गयी है और डामर की परतें उखड रही है।

जीएसबी और डब्ल्यूएमएनएस लेयर का अता-पता नहीं

जीएसबी और डब्ल्यूएमएनएस में हजारों घन मीटर क्रशर मेटल का उपयोग होना था लेकिन उसका उपयोग नहीं किया गया बल्कि हजारों घन मीटर क्रशर मेटल के उपयोग के नाम पर चोरी की गई है और करोड़ों रुपयों का सीधा-सीधा घोटाला किया गया। क्वालिटी कंट्रोल को जांचने वाले अधिकारी ने भी बिना देखें क्वालिटी कंट्रोल का मानक प्रमाण पत्र दे दिए। जो घोर आश्चर्य की ओर इंगित करता है गांव वाले आम जनता ठेकेदार के दादागिरी से और छुटभैय्या नेताओं की दबंगई से डर के मारे विभाग ने शिकायत करने से भी डरते हैं क्योंकि विभाग के अधिकारियों ने मनमाने ढंग से शिकायतों का निपटारा बिना कार्रवाई किए स्थानीय स्तर पर कर देते हैं।

पुल-पुलियों का भी घटिया निर्माण

इस इलाके में बनाई गई सड़कों में बनाए गए पुलों का निर्माण भी घटिया स्तर का है। सड़कें बनकर तैयार हुई हैं और कई जगहों पर पुलियों में दरार नजर आ रही हैं। मटेरियल की मिक्सिंग भी अत्यंत दोयम दर्जे की है जिसके कारण पुल धंसकने भी लगे हैं। सड़कों पर पुराने पुलियों का नया निर्माण भी नहीं किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इन पुल-पुलियो का नया निर्माण होना चाहिए था। कई सड़के तो ऐसी है जिसका मरम्मत आज तक नहीं हुआ है एक बार सड़क बनने के बाद ठेकेदार को कम से कम पांच साल मेंटेनेंस करना होता है लेकिन अधिकारियो से सेटिंग कर दोबारा उस ओर देखना तक मुनासिब नहीं समझते।

क्या कहते हैं ग्रामीण...

पिछले गर्मी में रोड चौड़ीकरण हुआ है। अब खऱाब हो गया है। 8 किलोमीटर जाने में दो घंटा लगता है।

करीम खान, स्थानीय निवासी

सड़क तत्काल बनना चाहिए बरसात शुरू हुआ है जिसमे ये हालत है आगे पूरा बरसात बचा हुआ है आगे क्या होगा भगवान ही मालिक है। एक्सीडेंट का खतरा हमेश बना रहता है।

भानुशंकर त्रिपाठी, स्थानीय निवासी

बराबर गिट्टी नहीं डाला गया है सिर्फ छोटे गिट्टी डालकर मुरुम के ऊपर डामरीकरण कर दिया गया है।

गौतम नेताम स्थानीय निवासी

ऐसा लग रहा है कि सड़क पहली बारिश में ही खऱाब हो जायेगा मुरुम और छोटी गिट्टी डालकर डामरीकरण कर दिया गया है।

केवल राम स्थानीय निवासी

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में इतने बड़े पैमाने पर गड़बडिय़ां हुई हैं यह विभाग के संज्ञान में नहीं है, आपने संज्ञान में लाया है अब इस पर जानकारी लेकर जांच और कार्रवाई की जाएगी। सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता का पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए ऐसा नहीं हुआ है तो यह गलत है।

आलोक कटियार, सीईओ

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना

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