छत्तीसगढ़

रेमडेसिविर के कालाबाजारियों पर NSA के तहत कार्रवाई क्यों नहीं?

jantaserishta.com
29 April 2021 6:31 AM GMT
रेमडेसिविर के कालाबाजारियों पर NSA के तहत कार्रवाई क्यों नहीं?
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हिमाचल प्रदेश के जिले बद्दी-बरोटीवाला और नालागढ़ (बीबीएन) में कोरोना मरीजों के उपचार के लिए बनाए गए कोविड सेंटर काठा में एक बेहद शर्मनाक मामला सामने आया है। यहां पर एक कोरोना मरीज की मौत होने के बाद उसके शव को श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए कोई एंबुलेंस या गाड़ी उपलब्ध नहीं हो पाई। हैरानी की बात है कि कोरोना मृतक के शव को ट्रॉली में डालकर अंतिम संस्कार के लिए बद्दी श्मशान घाट पहुंचाया गया।

सरकार को बदनाम करने का षडयंत्र, अस्पतालों की हो मानिटरिंग

रेमडेसिविर कालाबाजारी के मामले में राजधानी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए छह आरोपियों को एसडीएम कोर्ट से जमानत मिल गई है। पुलिस ने मामले में इन आरोपियों पर महज प्रतिबंधात्मक एक्ट की धारा 151 के तहत कार्रवाई की थी, कोर्ट ने इसी आधार पर उन्हें जमानत दे दी। कालाबाजारी के इस मामले में अलग-अलग जगहों पर पुलिस अलग-अलग धारा के तहत कार्रवाई कर रही है। बिलासपुर पुलिस ने रेमडेसिविर की कालाबाजारी के मामले में एक डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की थी उसके खिलाफ धारा 102 जाफ्ता फौजदारी के तहत मामला दर्ज किया गया है जबकि राजधानी पुलिस ने सिर्फ प्रतिबंधात्मक धारा के तहत ही कार्रवाई की। जिसके कारण लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले आरोपियों को आसानी से जमानत मिल गई। जबकि ऐसे ही मामलों में कई राज्यों में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की जा रही है लेकिन राजधानी पुलिस ने मामले से पल्ला झाड़ते हुए मामले को ड्रग कंट्रोल विभाग के पाले में डाल दिया।

रायपुर (जसेरि)। कोरोना वायरस के मामले अचानक तेजी से बढऩे के बाद जिस दवा की सबसे अधिक चर्चा हो रही है, वह रेमडेसिविर है। जरूरत के अनुरूप इसकी उपलब्धता की भी वही स्थिति है जो ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की है। राज्य सरकार द्वारा सीधे निजी अस्पतालों को रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराने के बावजूद इसकी कालाबाजारी हो रही है। इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यह अस्पताल से बाहर कैसे आ रहा है। दरअसल, कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में इस इंजेक्शन के इस्तेमाल किए जाने के बाद इसकी अचानक मांग बढ़ गई। दूसरी तरफ, आवश्यकता के अनुसार इसकी आपूर्ति नहीं हो पा रही है। केंद्र के निर्देश पर कालाबाजारी रोकने के लिए रेमडेसिविर की दवा दुकानों में खुली बिक्री पर रोक है। राज्य सरकार के औषधि प्रशासन संबंधित कंपनियों से स्वयं आपूर्ति लेकर निजी अस्पतालों को मांग के अनुपात में इंजेक्शन देता है। हालांकि अस्पतालों को मांग के अनुरूप इंजेक्शन नहीं मिल पा रही है। निजी अस्पतालों को रेमडेसिविर देने में भेदभाव के आरोप भी लग रहे हैं, लेकिन औषधि प्रशासन इसको सिरे से इन्कार करता है। वहीं, निजी अस्पतालों में सभी गंभीर मरीजों को रेमडेसिविर नहीं दिए जाने तथा मरीजों से इसके लिए अधिक कीमत वसूले जाने की बातें आती रही हैं। राज्य सरकार ने कलेक्टरों को भी सीधे इंजेक्शन क्रय करने का अधिकार दिया है। बावजूद इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है।

अब तक दो दर्जन कालाबाजारी पकड़ाए, कई की तलाश : राजधानी रायपुर में कोरोना संक्रमित मरीजों के स्वजनों को रेमडेसिविर इंजेक्शन दिलाने के एवज में मनमाना हजारों रुपये वसूलने वाले पांच और आरोपित पुलिस के निशाने पर हैं। इनमें निजी अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी, दवा दुकानदार और दवा कंपनियों के एमआर शामिल हैं। पिछले महीने भर में रायपुर पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले 23 लोगों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से पड़ी संख्या में रेमडेसिविर इंजेक्शन और इंजेक्शन बेचकर कमाए गए लाखों रुपये नकदी बरामद किया है।

पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ के दौरान कई चौकाने वाले राज सामने आए हैं। आरोपियों के नाम भी खुलते गए। इस आधार पर पुलिस कई अन्य की तलाश कर रही है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते केस के बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी भी बढ़ रही है। पैसा कमाने के लालच में निजी अस्पताल के कर्मचारी, दवा कंपनियों से जुड़े लोग और कुछ छोटे दवा दुकानदार रेमडेसिविर इंजेक्शन कालाबाजारी में लिप्त है। कोरोना मरीज की जान बचाने के लिए स्वजन कालाबाजारियों के चंगुल में फंसकर चार से दस गुना दाम पर इंजेक्शन खरीदने को विवश है। मौदहापारा, सरस्वतीनगर और आजादचौक इलाके से रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पकड़े गए राहुल गोयदानी, आयुष माहेश्वरी, कमलेश रतलानी, सुमित मोटवानी, दवा दुकानदार रोहित क्षेत्रपाल, वैभव साहू और दवा प्रतिनिधि ओंकार भोसले से पूछताछ में कुछ लोगो के नाम सामने आए है। इन सभी की तलाश की जा रही है। पुलिस की टीम निजी अस्पतालों और दवा दुकानों के आसपास सक्रिय कालाबाजारियों पर नजर रख रही है।

राज्य सरकार ने 90 हजार इंजेक्शन का किया है टेंडर

राज्य सरकार ने एक लाख रेमडेसिविर क्रय करने के लिए टेंडर किया है। कंपनी ने आपूर्ति भी शुरू कर दी है। राज्य सरकार ने 16 अप्रैल को रेमडेसिविर इंजेक्शन के 90 हजार वॉयल का आर्डर दिया था। इसके तहत 30 हजार इंजेक्शन हर सप्ताह मिलने हैं। पिछले सप्ताह शुक्रवार को इंडिगो की नियमित उड़ान से रेमडेसिविर इंजेक्शन की 15 हजार वॉयल रायपुर पहुंची। हेल्थ विभाग इन इंजेक्शनों को सीधे अस्पतालों को उपलब्ध करा रही है।

सात कंपनियां करती हैं रेमडेसिविर की आपूर्ति

देश में सात कंपनियां सिपला, जाइडस कैडिला, हेटेरो, माइलैन, जुबिलैंट लाइफ साइंसेज, डॉ. रेड्डीज, सन फार्मा रेमडेसिविर का उत्पादन करती हैं। इन कंपनियों में 38.80 लाख यूनिट की उत्पादन क्षमता है। केन्द्र सरकार द्वारा उत्पादन बढ़ाने के निर्देश पर कंपनियां ज्यादा उत्पादन करने प्रयासरत हैं।

सभी मरीजों के लिए रेमडेसिविर जरूरी नहीं

रेमडेसिविर एक एंटीवायरल दवा है जिसका एक दशक पहले हेपेटाइटिस सी और सांस संबंधी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता था। वर्तमान में इसका इस्तेमाल कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में किया जा रहा है। हालांकि कोरोना के इलाज में इसके प्रभावी ढ़ंग से काम करने को किसी ने मान्यता नहीं दी है। एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने भी कहा है कि मरीज को शुरुआती दौर में रेमडेसिविर देने से नुकसान हो सकता है। उनके अनुसार, बीमारी बहुत अधिक बढ़ जाने के बाद भी रेमडेसिविर देने से भी कोई लाभ नहीं होता। इसे बीमारी की बीच वाली अवस्था में ही दिया जाना चाहिए।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद एसडीएम नालागढ़ ने बीएमओ और नगर परिषद (बद्दी) के कार्यकारी अधिकारी को नोटिस जारी कर दिया है. पता चला है कि इस घटनाक्रम पर सरकार और स्वंय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बीबीएन के प्रशासनिक अधिकारियों की क्लास लगाई है.

ड्रग एक्ट के तहत मामला दर्ज

हमने मामले में ड्रग एक्ट के तहत मामला दर्ज कर सीजेएम कोर्ट में चालान पेश किया है। कोर्ट से जैसा निर्देश मिलेगा वैसी कार्रवाई की जाएगी। ड्रग एक्ट के तहत ऐसे मामले में पांच साल तक सजा का प्रावधान है। पुलिस ने प्रतिबंधात्मक धारा के तहत कार्रवाई की थी जिसमें जमानत मिली है। हम कोर्ट के निर्देश पर आगे कार्रवाई करेंगे।

-श्री कुंजाम, ड्रग कंट्रोलर, रायपुर

वितरकों-अस्पतालों की भूमिका की हो जांच

दवा दुकानों से इजेक्शन की बिक्री पर रोक से पहले राज्य के स्टाकिस्ट-वितरक के माध्यम से अस्पतालों को इंजेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा था। जानकारी के अनुसार एसएसए नामक की एजेंसी के माध्यम से अस्पतालों को रेमडेसिविर उपलब्ध कराया जा रहा था। अस्पतालों में मरीजों की संख्या के आधार पर प्रत्येक को छह डोज के हिसाब से इंजेक्शन दी जाती थी। आशंका जताई जा रही है कि अस्पताल वाले इसी इंजेक्शन को रोककर बाजार में बेचने के लिए अपने लोगों को उपलब्ध करा रहे थे। मरीजों के परिजन ऐसे ही लोगों के संपर्क में आकर महंगे दाम पर इजेक्शन खरीदने मजबूर हो रहे हैं। अस्पतालों ने जहां आपदा को अवसर बनाकर मुनाफा कमाने के लिए यह रास्ता अपनाया वहीं सरकार में ही शामिल कुछ लोगों ने स्टाकिस्टों और अस्पताल प्रबंधनों से सांठगांठ कर सीएम और सरकार को बदनाम करने के लिए इस तरह के षडयंत्र रच रहे हैं।

पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ के दौरान कई चौकाने वाले राज सामने आए हैं। आरोपियों के नाम भी खुलते गए। इस आधार पर पुलिस कई अन्य की तलाश कर रही है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते केस के बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी भी बढ़ रही है। पैसा कमाने के लालच में निजी अस्पताल के कर्मचारी, दवा कंपनियों से जुड़े लोग और कुछ छोटे दवा दुकानदार रेमडेसिविर इंजेक्शन कालाबाजारी में लिप्त है। कोरोना मरीज की जान बचाने के लिए स्वजन कालाबाजारियों के चंगुल में फंसकर चार से दस गुना दाम पर इंजेक्शन खरीदने को विवश है। मौदहापारा, सरस्वतीनगर और आजादचौक इलाके से रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पकड़े गए राहुल गोयदानी, आयुष माहेश्वरी, कमलेश रतलानी, सुमित मोटवानी, दवा दुकानदार रोहित क्षेत्रपाल, वैभव साहू और दवा प्रतिनिधि ओंकार भोसले से पूछताछ में कुछ लोगो के नाम सामने आए है। इन सभी की तलाश की जा रही है। पुलिस की टीम निजी अस्पतालों और दवा दुकानों के आसपास सक्रिय कालाबाजारियों पर नजर रख रही है।

राज्य सरकार ने 90 हजार इंजेक्शन का किया है टेंडर

राज्य सरकार ने एक लाख रेमडेसिविर क्रय करने के लिए टेंडर किया है। कंपनी ने आपूर्ति भी शुरू कर दी है। राज्य सरकार ने 16 अप्रैल को रेमडेसिविर इंजेक्शन के 90 हजार वॉयल का आर्डर दिया था। इसके तहत 30 हजार इंजेक्शन हर सप्ताह मिलने हैं। पिछले सप्ताह शुक्रवार को इंडिगो की नियमित उड़ान से रेमडेसिविर इंजेक्शन की 15 हजार वॉयल रायपुर पहुंची। हेल्थ विभाग इन इंजेक्शनों को सीधे अस्पतालों को उपलब्ध करा रही है।

सात कंपनियां करती हैं रेमडेसिविर की आपूर्ति

देश में सात कंपनियां सिपला, जाइडस कैडिला, हेटेरो, माइलैन, जुबिलैंट लाइफ साइंसेज, डॉ. रेड्डीज, सन फार्मा रेमडेसिविर का उत्पादन करती हैं। इन कंपनियों में 38.80 लाख यूनिट की उत्पादन क्षमता है। केन्द्र सरकार द्वारा उत्पादन बढ़ाने के निर्देश पर कंपनियां ज्यादा उत्पादन करने प्रयासरत हैं।

सभी मरीजों के लिए रेमडेसिविर जरूरी नहीं

रेमडेसिविर एक एंटीवायरल दवा है जिसका एक दशक पहले हेपेटाइटिस सी और सांस संबंधी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता था। वर्तमान में इसका इस्तेमाल कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में किया जा रहा है। हालांकि कोरोना के इलाज में इसके प्रभावी ढ़ंग से काम करने को किसी ने मान्यता नहीं दी है। एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने भी कहा है कि मरीज को शुरुआती दौर में रेमडेसिविर देने से नुकसान हो सकता है। उनके अनुसार, बीमारी बहुत अधिक बढ़ जाने के बाद भी रेमडेसिविर देने से भी कोई लाभ नहीं होता। इसे बीमारी की बीच वाली अवस्था में ही दिया जाना चाहिए।

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