छत्तीसगढ़

अपनी ताकत पर लोग इतना क्यों इतराते हैं, दरवाजे उनके भी टूटते हैं जो ताले बनाते हैं

Nilmani Pal
24 Jun 2022 5:49 AM GMT
अपनी ताकत पर लोग इतना क्यों इतराते हैं, दरवाजे उनके भी टूटते हैं जो ताले बनाते हैं
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

सरकार ने शहरीकरण की दिशा को आगे बढ़ाने के लिए 2031 का मास्टर प्लान बनाया था उस पर भू-माफियाओं और बिल्डरों ने पानी फेर दिया है।जो सरकारी मास्टर प्लान की जमीनों पर 20 साल पहले ही कब्जा कर लिया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जिसकी सरकार बनती है. बिल्डर उसके हो जाते हैं। इसे कहते है बिन फेरे हम तेरे। अब सरकार करे तो करे क्या बिल्डर भी हमारे जमीन भी हमारी। सरकार लगातार अवैध कब्जा धारियों पर कार्रवाई कर रही है, जिससे बिल्डरों के माथे पर पसीना आ रहा है किसी ने ठीक ही कहा है कि अपनी ताकत पर लोग इतना क्यों इतराते है ,दरवाजे उनके भी टूटते है जो ताले बनाते है।

गांधी के विचारों के विपरीत बह रही है धारा

गांधी जी ने कहा था कि अपराध से घृणा करो, अपराधी से नहीं, लेकिन देश में अब उल्टी गंगा बह रही है। भीमसेना के चीफ नवाब सतपाल तंवर को सोशल मीडिया पर भाजपा की नुपुर शर्मा को धमकाने पुलिस ने गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस उन्हें संरक्षण दे रही है तो मुंबई पुलिस गिरफ्तार करने की तैयारी कर रही है। ऐसे में दोनों राज्यों की पुलिस में टकराव की स्थिति निर्मित हो सकती है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि क्यों गांधी जी को बदनाम करने पर तुले है लोग, यदि अपराध मुक्त भारत बनाना है तो अपराध से घृणा करना चाहिए न कि अपराधी से। नवाब सतपाल तंवर को फेसबुक वीडियो जारी करना महंगा पडऩे वाला है। सोशल मीडिया में एक्टिव रहने वाले सचेत हो जाए नहीं तो कही लेने के देने पड़ सकते हैं।

निर्वाचन आयोग ने माननीयों की बढ़ाई मुश्किलें

निर्वाचन आयोग ने दो दशक पहले एक प्रस्ताव पर फिर से अमल करते हुए सरकार से कहा कि एक से अधिक सीटों पर चुनाव लडऩे को प्रतिबंधित करने के लिए कानून में संशोधन हो और यदि ऐसा नहीं किया जा सके तो इस चलन पर अंकुश लगाने के लिए भारी जुर्माने का प्रावधान किया जाए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि दम ठोंक कर दो-दो जगह चुनाव लडऩे वाले माननीयों की हाईपर टेंशन बढ़ाने वाला है। ऐसे में माननीयों की राजनीतिक रसूख का क्या होगा?

अग्निवीरों ने बढ़ाई सियासी तूफान

केंद्र सरकार की सेना में भर्ती की नवीनतम योजना अग्निपथ के खिलाफ 13 राज्यों में हिंसात्मक सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इधर सरकार ने कहा कि अग्निवीरों की भर्ती शुरू हो गई है। देश भर में हिंसक प्रदर्शन के बाद सियासत भी गरमा गई है। योजना को लेकर नेताओं की बयानबाजी आंदोलन को रोकने के बजाय बढ़ाने का काम कर रही है। भारतीय सेना के अधिकारियों ने कहा कि यह परिवर्तनकारी योजना है, पहले के मुकाबले हम तीन गुना अधिक भर्ती कर सकते है। 4 साल बाद वो तय कर सकते है कि उन्हें सेना में रहना या नहीं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सरकार को इस पर पहले युवाओं को योजना के लाभ से अवगत कराना था, कि 22 साल के उम्र में अग्निवीर बनने पर 26 की उम्र में रिटायर्ड होने के बाद क्या-क्या सुविधाएं राज्य और केंद्र सरकार से मिलेगी। आगे की नौकरी के लिए कहां-कहां प्राथमिकता दी जाएगी। जिससे उनका भविष्य सुरक्षित हो सकेगा। नौकरी के लिए न्यूनतम आयु 35 साल है तो कितना छूट और मिल सकता है। जिस प्रकार से भाजपा नेताओं के बयान आ रहे है कि अग्निवीरों को देश भर के भाजपा कार्यालयों में सुरक्षा गार्ड और कुछ ड्रायवर की नौकरी तो मिल सकती है, तब से अग्निवीर आग उगल रहे हैं।

सीएम बघेल ने लगाया बदले की राजनीति का आरोप

छत्तीसगढ़ में विपक्षी भाजपाई लगातार सीएम पर बदले की राजनीति का आरोप लगाते रहे है। अब सीएम ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई के परिसरों में सीबीआई के छापे की कार्रवाई को बदले की राजनीति करार दिया है। सीएम ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। पिछले 8 सालों में केंद्रीय जांच एजेंसियों ने किसी भाजपा नेता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। जिसका मतलब साफ है कि वो संस्थान निष्पक्ष रूप से काम नहीं कर रही है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जो जैसा बोता है वैसा ही पाता है।

टीम इंडिया की तरह काम करें केंद्र और राज्य

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में निवेश आकर्षित करने के लिए पीएम सक्ति को उचित रूप से लागू करना चाहिए, उन्होंने आग्रह किया कि राज्य सरकार के विभागों में सभी रिक्तियों को भरा जाना चाहिए। मोदी ने जोर देकर कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को टीम इंडिया की तरह काम करे। जनता में खुसुर-फुसर है कि क्रिकेट और राजनीतिक प्रबंधन दोनों अलग-अलग है। टीम इंडिया में देश भर के खिलाड़ी देश के लिए खेलते है। वैसे ही राज्य सरकारें भी राज्य के लिए खेलते है। ऐसे में पहली बैटिंग और फिल्डिंग के लिए टॉस कौन करेगा। पहले यह तय होना चाहिए । राज्य सरकारें तो टीम इंडिया की तरह सभी सत्ताधारी नेताओं कैप्टनशिप दे दिया है। ऐसे में विपक्ष फिल्डिंग पर फिल्डिंग करते आ रही है। लेकिन सत्ताधारी पार्टी विपक्ष की बालिंग पर चौके-छक्के जड़ रही है। अब पीएम मोदी को थर्ड एम्पायर की भूमिका में आ जाना चाहिए, जिससे सत्ताधारी दलों को खिलाने और नो बॉल में आउट करने की अपील पर त्वरित निर्णय देनी चाहिए।

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