छत्तीसगढ़

स्वर्ण मृग भायी क्यों?

Nilmani Pal
28 Sep 2024 5:34 AM GMT
स्वर्ण मृग भायी क्यों?
x

रायपुर। राजनांदगाँव जिले से जनता से रिश्ता के पाठक रोशन साहू 'मोखला' ने एक कविता ई - मेल किया है।

शोध नक्षत्र ग्रह तारे थे ,जब शुभ मुहूर्त भी सारे थे।

कालचक्र भी हुआ अचंभित,ऐसी विपदा आई क्यों।

सूर्यवंश के गौरव रघुवंशी,जो वचन पे जीते थे मरते।

तीनो लोको में कोहराम मचा,ऐसी बदरी छाई क्यों।।

वशिष्ठ सा राज पुरोहित,जिनसे सब व्यथा तिरोहित।

राज तिलक होना था पर,वन के लिए विदाई क्यों।।

निज रथ नियंत्रित भूपति,अधीन से लगते यति गति।

जिन आँखों स्वप्न सजे,साँसे घड़ी अंतिम आई क्यों।।

क्यों इतना प्रारब्ध सबल ,क्यों सारे प्रयत्न विफल।

राजपथ के सुमन पथिक का,काँटों से अगुवाई क्यों।

तब तर्क धरे रह जाते हैं,जब होनी होकर रहता है।

निर्जन वन भिक्षा याचक!रेख से बाहर आई क्यों।।

लगता जैसे नियति गति,हर लेती जैसे सबकी मति।

धरनी सुता वैदेही को तृष्णा!स्वर्ण मृग भायी क्यों।।

Next Story