छत्तीसगढ़

किसका भरोसा बरकरार, किसकी बनेगी सरकार

jantaserishta.com
18 Aug 2023 5:06 AM GMT
किसका भरोसा बरकरार, किसकी बनेगी सरकार
x
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कहा, संघर्ष के बाद कांग्रेस की सरकार बनी और सरकार ने किसान का भरोसा जीता, जनता से किए वादों को पूरा कर जनता का भरोसा जीता। वहीं सैलजा ने नारा दिया, भरोसा बरकरार फिर से कांग्रेस सरकार। विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने कहा, सोनिया गांधी, राहुल गांधी ने भूपेश बघेल पर भरोसा किए। जनता ने भूपेश पर भरोसा किया। भूपेश बघेल ने मंत्रिमंडल, विधायकों पर भरोसा किए और आगे इस बार फिर से जीत दिलाएंगे और जनता को भरोसा दिलाने यहां आए हैं। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा, भरोसा शब्द कहां से आया, कांग्रेस ने 15 साल बाद भूपेश की सरकार ने जो वादों को पूरा कर प्रदेश की जनता का भरोसा जीता। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कांग्रेसी भी भूपेश के भरोसे नैया पार करना चाहते हैं। किसी ने ठीक ही कहा है कि भरोसा छोटा सा शब्द है पढऩे 'सेकंडÓ लगता सोचने में 'मिनटÓ लगता है समझने में 'दिनÓ लगता है और साबित करने में पूरी जिंदगी लग जाती है। अब देखना है कौन साबित करता है।
दीपक में जोगी की छवि ढूंढ रहे प्रमोद
राजनीतिक गलियारों में नेताओं के घर बदलने की खबर से प्रदेश की राजनीति में खलबली मची हुई है। विधायक प्रमोद शर्मा पर भाजपाइयों ने डोरे डालकर खींचना चाहते है मगर हाथ नहीं लग रहे हैं? पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि प्रमोद शर्मा से विचार-विमर्श चल रहा है जल्द ही सुखद परिणाम आएगा । प्रमोद शर्मा जल्द निर्णय लेकर कांग्रेस की किला मजबूत करने वाले हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जब तक दीपक बैज में अजित जोगी की छवि नहीं दिखेगी, तब तक प्रमोद शर्मा कांग्रेस ज्वाइन नहीं करेंगे। 2018 में भी कांग्रेस के टिकट मांग रहे थे। जब नहीं मिला तो जोगी के पाले में आ गए। अब फिर वही चुनावी समय हैं। ऐसे में प्रमोद कितना भरोसा जीतते हैं।
बिहान बहनों ने खोला मोर्चा
बिहान की महिलाओं ने छग सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। 20 हजार महिलाएं तूता स्थल प्रदर्शन स्थल पहुंची है। मांग पूरी नहीं होने पर प्रदर्शन पर डटे रहने की बात कही जा रही है। महिलाएं सीएम निवास घेरने की तैयारी में है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बिहान की बहनों को आंदोलन के बजाय 1 सितंबर को राखी लेकर सीएम हाऊस पहुंच जाना चाहिए ताकि बिहान बहनों की मांग पूरी होने की सौ फीसद गुंजाइश रहे।
भाजपा का कुनबा बढ़ा
पहले कांग्रेस, फिर जोगी कांग्रेस से तीन बार के विधायक धरमजीत सिंह, रिटायर्ड आईएफएस एस एस डी बडग़ैय्या और धर्मेंद्र गिरी गोस्वामी भाजपा में शामिल हुए। उन्हें केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व सीएम रमन सिंह ने सदस्य बनाया। धर्मजीत सिंह बोले विश्व के सबसे बड़े दल भाजपा में शामिल होना मेरे लिए बेहद गौरव का पल। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपा वाले को चुनाव से पहले हर चीज हरा लग रहा है। चुनाव में लोरमी वाले तो धर्मजीत नहीं जोगी को वोट दिए थे। ऐसे में यदि धर्मजीत लोरमी की जनता में जोगी का अश्क देखे तो कुछ न कुछ अच्छा हो सकता है। नहीं तो वहां भाजपा का खाता ही नहीं खुला है। ऐसे में भाजपा का क्या रूख है समझना होगा।
चेला फिर गुरु के साथ
राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में है। जहां एक ओर भाजपा अपनी पार्टी मजबूत करने की तैयारी में है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लिए ये चुनाव बड़ा चुनौतीपूर्ण है। पूर्व भाजपा पार्षद गुड्डू खान कांग्रेस में शामिल हो गए है। जनता में खसुर-फुसुर है कि भाजपा के पूर्व पार्षद गुड्डू ने समर्थकों के साथ कांग्रेस में प्रवेश किया और तिरंगा यात्रा के दौरान प्रवेश किया। विधायक देवेंद्र यादव ने उन्हें सदस्यता दिलाई है। ये तो देवेंद्र के पुराने चेले हैं। गुरु और चेला मिलकर अब नया इतिहास लिखेंगे।
हिसाब-किताब के बाद ही ट्रांसफर
तीन वर्ष से अधिक समय तक एक ही स्थान पर पदस्थ रहने वाले आबकारी अधिकारियों का थोक में तबादला किया गया है। चुनाव के पहले आबकारी विभाग के बड़े प्रशासनिक बदलाव में उपायुक्त, सहायक आयुक्त, जिला आबकारी अधिकारी, सहायक जिला आबकारी अधिकारी और उप निरीक्षक आबकारी शामिल हैं। शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जांच में राहत के बाद राज्य सरकार ने आबकारी में पुराने मठाधीशों को इधर से उधर कर दिया है। इस तबादले को राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लिस्ट में कई ऐसे अधिकारी हैं, जो कि एक ही स्थान पर पांच वर्ष से भी अधिक समय से जमे हुए थे। तबादला सूची में छह आबकारी उपायुक्त, सात सहायक आयुक्त, 15 जिला आबकारी अधिकारी, 48 सहायक जिला आबकारी अधिकारी और 62 आबकारी उप निरीक्षकों के नाम शामिल हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि दुकान की हिसाब किताब रखने वालों को एकदम से ट्रांसफर नहीं किया जाता हिसाब-किताब के बाद ही ट्रांसफर आडर्र निकाला जाता है। ताकि खर्चा मैनेज हो सके।
बिना वर्दी वाला पुलिस टीम
रायपुर रेल मंडल में आरपीएफ जवान बिना वर्दी के डयूटी बजा रहे है। शिकायत लगातार आरपीएफ के अधिकारियों तक पहुंच रही है। थाने में पदस्थ ये जवान किस प्रकार की स्पेशल ड्यूटी करते है यह विभाग के लिए जांच का विषय है। आरपीएफ की टीम बिना वर्दी के मंदिरहसौद पुलिस थाने पहुंची थी। इसे लेकर थानाकर्मियों से आरपीएफ के जवानों का विवाद भी हो गया था। हालांकि बाद में अधिकारियों के हस्तक्षेप से विवाद समाप्त हो गया। जनता में कुसुर-फुसुर है कि आरपीएफ के जवान अक्सर बिना वर्दी के ही चेकिंग, गश्त के अलावा प्रकरणों की जांच करने जाते है और महीने भर का खर्चा पानी निकाल लेते है। इसकी शिकायत आरपीएफ पोस्ट प्रभारी को की गई लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई तो बराबर हो रही है, एक हप्ता एक टीम और दूसरे हप्ते दूसरी टीम वसूली करने पहुंचती है।
Next Story