छत्तीसगढ़

कोन मुसवा अऊ कोन हवय शेर, आवत हे भैया बब्बर शेर

Nilmani Pal
25 Nov 2022 6:07 AM GMT
कोन मुसवा अऊ कोन हवय शेर, आवत हे भैया बब्बर शेर
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

पिछले दिनों राजनीति में किस्से कहानी और कहावतों को भी जबरदस्त रिस्पांस मिला। जिसमें मुसुवा से शेर बनने की कहानी और फिर शेर को मुसुवा बनाने की तथाकथा। नेताओं ने अपनी वाकपटुता का बड़ा सुंदर ही उदाहरण प्रस्तुत किया। मामला भानुप्रतापपुर उपचुनाव में नामांकन रैली के बाद भाजपा के राष्ट्र्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमत्री डा. रमनसिंह ने वर्तमान सीएम का नाम लिए बिना सभा को संबोधित करते हुए एक कहानी सुनाई कि गंगाजल की तासिर की ताकत और बड़ा बन जाने की महत्वाकांक्षा कैसे ऋषि मुनियों को भी संकट में डाल देता है। इस कहानी से तो सभी वाकिफ है। यहां मामला विशुद्ध चुनावी है, जिसमें डा. रमनसिंह ने भूपेश बघेल पर निशाना साधते हुए कहानी सुनाकर जनता को भाजपा के पक्ष में समर्थन मांगा है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सूत न कपास जुलाहों में लठ्मलठ शुरू हो चुका है। जिसका समापन 2023 के विधानसभा चुनाव में होगा, तब तक जनता सर्कस देखेगी कि कौन कब मुसुवा बनता है और कौन शेर बनकर दहाड़ता है। क्योंकि राजनीति में साम-दाम-दंड-भेद की रणनीति बनाकर ही चुनावी मैदान में उतरना पड़ता है। असली पहलवानी तो अभी बाकी है,तब तक आपको इंतजार करना पड़ेगा। आप भी वोटर लिस्ट में अपने छूटे मेंबरों का नाम जुड़वा लिजिए, क्योंकि आपको भी ऋषि मुनि बनकर वोट का गंगाजल छिड़कना है।

छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति लगाने के साथ जिंदा महतारियों का भी ख्याल रखें

बूढ़ातालाब स्थित धरना स्थल पर दिवंगत शिक्षाकर्मियों की पत्नियां अब अंतिम कदम उठाने की ओर आगे बढ़ चुकी है। अनुकंपा नियुक्ति शिक्षाकर्मी कल्याण संघ के बैनर तले चल रहे आंदोलन में शिक्षाकर्मियों की विधवाओं का कहना है कि सरकार या तो नियुक्ति दें, या तो इस दुख भरे जीवन से मुक्ति दें। मंगलवार को राजधानी में कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला, जब दिवंगत शिक्षाकर्मियों की पत्नियों ने राजधानी के प्राचीन बूढ़ातालाब में छलांग लगाकर जान देने की कोशिश की। मौके पर मौजूद महिला पुलिस बल ने महिलाओं को तालाब में डूबने में बचाया, लेकिन यहां महिलाएं अपनी अनुकंपा नियुक्ति के नारे लगाती रही। इस आंदोलन में 200 से अधिक महिलाएं बीते एक महीने से बूढ़ातालाब स्थित धरना स्थल पर अनवरत धरने पर बैठी हुई है। उन परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो चुका है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जब सरकार सभी के कल्याण के लिए काम कर रही है तो विधवाओं की भी सुने, करोड़ों की छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति लगाने के साथ जिंदा महतारियों को शिक्षा विभाग नियुक्ति दे ताकि वो अपने परिवार की परवरिस खुशी-खुशी कर सके। नहीं तो वो अपना पराक्रम बूढ़ा तालाब में कूद कर दिखा चुकी है।

भूमिहीन ग्रामीण मजदूरों का भूपेश पर बढ़ा भरोसा

भेंट-मुलाकात में जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भूमिहीन किसान योजना के हितग्राहियों को हो रहे लाभ के बारे में पूछा तो एक ग्रामीण अनंदराम ने भावुक होकर इस योजना से हो रहे लाभ के संबंध में बताया। अनंदराम ने बताया कि गरीबों और किसानों की सुनवाई भी होती है आपने यह दिखाया है। तैं बने हस सरकार, गरीब के रक्षा करत हस। अनंदराम ने बताया कि मेरे पास जमीन नहीं है। एखर बावजूद मोला पैसा मिल गे। मोर खाता में 6000 रुपया आए है। बहुत बढिय़ा योजना हवय। किसान मन बहुत खुश हवय। जेखर जमीन नई हे ओमन भी बहुत खुश हें। मुख्यमंत्री ने इस बुजुर्ग को हो रहे लाभ को सुनकर खुशी जताई और कहा कि हमारी इस तरह की योजनाओं से ऐसे लोगों को जिनके पास किसी ठोस आय नहीं है उन्हें भी राहत मिल रही है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यही भूपेश सरकार की दरियादिली है, जो किसानों के साथ-साथ भूमिहीन ग्रामीण मजदूरों को भी जिंदा रहने का भरोसा दिला दिया है।

एम्स ने प्रदेश का नाम गौरवांवित किया

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायपुर ने प्रदेश का नाम गौरवान्वित किया है। एम्स रायपुर को उसके कार्यों के लिए सराहा गया है, जो प्रदेश के लिए सुखद अहसास है। एम्स की टाक्सीकालाजी यूनिट को हास्पिटल/इंस्टीट्यूट की श्रेणी में देश की सर्वश्रेष्ठ नई यूनिट का अवार्ड प्रदान किया गया है। टाक्सीकालाजी में देश के अंदर संपूर्ण विशिष्टताएं प्रदान करने के कारण इंडियन सोसाइटी आफ टाक्सीकालाजी ने मंगलौर में आयोजित कार्यक्रम में यह अवार्ड प्रदान किया। एम्स पिछले एक साल में तीन सौ से अधिक विष संबंधी केस को सुलझाने में मदद कर चुका है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि प्रदेश की जनता ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर निदेशक प्रो. (डा.) नितिन एम. नागरकर बधाई देत हुए कहा कि यदि एम्स आने वाले मरीजों की कागजी कार्रवाई कम कर पीडि़तों को त्वरित उपचार पर ध्यान दे देते तो यह पूरे देश के लिए मिसाल साबित हो सकता है। एम्स में इलाज तो होता है पर जो जटिल प्रक्रिया है वह मरीज के उसके अटेंडर को भी बीमार कर देता है।

कांग्रेस के ब्रम्हास्त्र में फंसे ब्रम्हानंद

जब-जब चुनाव होते है तब-तब रेप का मामला जोर शोर से उठता ही है। इसे वोट हथियाने का ब्रम्हास्त्र माना जाता है। भानुप्रतापपुर के भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम पर कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों के बचाव में आधा दर्जन से ज्यादा भाजपा नेता गला फाड़ रहे । नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, केदार कश्यप ने कहा कि तीन साल पहले जिस एफआईआर का हवाला देकर कांग्रेस आरोप लगा रही है, उसे लेकर झारखंड पुलिस की ओर से ब्रह्मानंद नेताम को कोई नोटिस या समन नहीं आया। अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई। भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस शपथ पत्र में गलत जानकारी देने का आरोप लगा रही है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि क्या नोटिस और समन भेेजने से आरोप सिद्ध हो जाते है। घटना के संबंध में जज ही दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद निर्णय दे सकता है कि आरोपी है की नहीं, यहां तो दोनों पार्टी के लोग उस गड़े मुर्दे को कुरेद कुरेद कर आरोपी सिद्ध करने में ताकत झोंक रहे है।

होटलों की दुनिया के रंगीन अफसाने

होटल कारोबारियों का रसूख जगजाहिर है, वो अपनी सुविधा के लिए कानून-कायदे को भी शिथिल करवा लेते है। बाजार में 10 बजे शराब दुकान बंद होने के बाद भी होटलों में देर रात तक शराब पिलाने का लाइसेंस रसूखदारों ने ले लिया है। होटल वालों ने इसमें एक कदम और बढ़ाते हुए सेलिब्रेशन पार्टी का परमिशन लेकर विदेशी बालाओं को डांस करवा रहे हैं। बाबूलाल गली बंद हो गया तो क्या राजधानी में शौकीनों की कमी नहीं है। होटलों की चल रही इन दिनों की गतिविधियों में नशाखोरी और देहव्यापार को शामिल कर लिया है । जिसे विकेंड पार्टी या सिलिब्रेशन पार्टी का नाम दे दिया जा रहा है हकीकत यह है कि यहां राते रंगीन हो रही है। पुलिस की कमजोर मुखबिर तंत्र का फायदा होटल वाले आसानी से उठा रहे है। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण वीआईपी रोड यदाकदा देखने को मिल ही जाता है। राजधानी के स्टार होटलों में इस तरह की अवैधानिक गतिविधियों का प्रचलन अब आम बात हो चुकी है। राजधानी के रईसजादे होटल में पार्टी आयोजित करने के पीछे यही मकसद रहता है कि होटल वाले नाच गाने का कमिटमेंट करे जहां दोस्तों के साथ पैसा वसूल इंजाय कर सके है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि छत्तीसगढ़ एक वर्ग विशेष बहुत ही धनाड्य और नव धनाड्य है, जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा को तहस-नहस करने में लगे है, उसे रास रंग और रास लीला ही पसंद है। जो दिन भर आराम फरमाते है और रात को होटलों को आबाद करते हैं।

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