छत्तीसगढ़

सार्वजनिक स्थल हो या शासकीय भवन, मुख्यमंत्री सुगम सड़क से बेहतर हुआ आवागमन

Nilmani Pal
2 Dec 2021 1:05 PM GMT
सार्वजनिक स्थल हो या शासकीय भवन, मुख्यमंत्री सुगम सड़क से बेहतर हुआ आवागमन
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- कमलज्योति, सहायक जनसंपर्क अधिकारी

रायपुर। एक साल पहले की बात है। गांव में रहने वाला राजकुमार हो या फिर शहर में रहने वाला मनीष या फिर कोई और..। गांव में सरकारी अस्पताल, उचित मूल्य की दुकान, धान उपार्जन केंद्र या किसी और सार्वजनिक स्थल, सरकारी भवन की ओर अपने काम से जाने वालों को अक्सर ही परेशानी का सामना करना पड़ता था। मुख्य सड़कों से लेकर सरकारी भवन या सार्वजनिक स्थानों तक गर्मी के दिनों में जहां धूल से परेशानी उठानी पड़ती थी, वहीं बारिश के दिनों में कच्ची सड़क पर बहने वाले बारिश के गंदे पानी, कीचड़ सहित गड्ढ़ों में पैदल चलने पर चप्पलों से लेकर पांव और साइकिलों से लेकर मोटर सायकिलों, गाड़ियों तक के पहिये फंस जाया करती थी। मुख्य मार्ग से सरकारी भवन या सार्वजनिक स्थल तक बारहमासी पक्की सड़क नहीं होने का खामियाजा अक्सर लोगों को उठाना पड़ता था। गांव-गांव में प्रमुख सड़कों से सार्वजनिक स्थल तक की छोटी-छोटी दूरी की यह बड़ी समस्या अब दूर होने लगी है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के संज्ञान में आते ही उन्होंने मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना की शुरूआत की है। इस योजना से अब सार्वजनिक स्थल, सरकारी भवन, स्कूल सहित महत्वपूर्ण स्थान पर आने जाने वालों के न पांव फंसते हैं और न ही उनकी साइकिल, मोटरसाइकिलों के पहिये फंसते हैं।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और लोक निर्माण मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू की पहल से अब प्रदेश के अनेक सार्वजनिक उपयोग के भवन यथा शासकीय चिकित्सालय, स्कूल, कॉलेज, पंचायत सार्वजनिक भवन, उचित मूल्य की दुकान, आंगनबाड़ी भवन एवं अन्य शासकीय शैक्षणिक संस्थानों के भवन, सार्वजनिक स्थल यथा हाट-बाजार, श्मशान घाट, मेला स्थल, धान संग्रहण केन्द्र जैसे अनेक महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपयोग के केन्द्र मुख्य मार्ग से जुड़ने लगे हैं। पहले ऐसे स्थानों तक बारहमासी पक्की मार्ग नहीं होने के कारण आने-जाने वालों को आवागमन में बहुत ही ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता था। रायपुर जिले के मंदिरहसौद के ग्रामीण अंचलों में रहने वाले छात्र करण निर्मलकर, रत्नेश दुबे और अंजोर दास और शिक्षक श्री एस के वर्मा सहित विद्यालय के अन्य स्टाफ संगीता ढ़ीढ़ी, ए.के. साहू सभी खुश है कि उनके शासकीय उच्चतर विद्यालय में राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर स्कूल के कमरों तक मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना से पक्की सड़क बन गई है। इन्होंने बताया कि कांक्रीटयुक्त मार्ग बनने से अब उन्हें बारिश में कीचड़ से होकर नहीं चलना पड़ेगा। छात्रों का कहना है कि बारिश में कीचड़ से हो जाने से उनके कपड़े भी गंदे हो जाते थे। विद्यालय में लिपिक संगीता ढ़ीढ़ी ने बताया कि बारिश के दिनों में बहुत ही ज्यादा तकलीफों का सामना करना पड़ता था। छात्रों के पैर फंसते और कपड़े भी गंदे होते थे। अब बहुत राहत है। बोरियाखुर्द की खेमिन धनगर, मनीष ध्रुव ने बताया कि आंगनबाड़ी सहित आसपास के स्कूलों और बस्तियों में आने-जाने के लिए वर्षों से पक्की सड़क की कमी थी। लोक निर्माण विभाग के माध्यम से मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना अंतर्गत पक्की सड़क बनी तो सभी का आवागमन आसान हो गया है। श्री मनीष धु्रव ने बताया कि पहले बोरियाखुर्द के सारस्वतनगर से आंगनबाड़ी केंद्र के बीच की सड़क एकदम से जर्जर थी। बारिश में मोटर सायकल और अन्य चार पहिया वाहनों के पहिये भी फंस जाते थे। इस दौरान दुर्घटनाओं की आशंका भी बनी रहती थी। आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका खेमिन बाई ने बताया कि पक्की सड़क नहीं होने से आंगनबाड़ी पहुचने वाले छोटे बच्चों और स्कूली बच्चों को भी बहुत परेशानी उठानी पड़ती थी। अब मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना से बनी पक्की सड़क से आने-जाने में बहुत सहूलियत होने लगी है। बोरियाखुर्द में मुक्ति स्थल श्मशान घट तक भी आने जाने का कोई पक्का मार्ग नहीं था। यहां भी बारहमासी सड़क बना दिए जाने से मुक्ति स्थल तक आसानी से लोग आना-जाना कर सकते हैं।

लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू का कहना है कि मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना का उद्देश्य समस्त महत्वपूर्ण सार्वजनिक शासकीय भवनों एवं सार्वजनिक स्थलों को बारहमासी पहुंच मार्ग से जोड़कर लोक कल्याण एवं जनसुविधा के लिए सुगम बनाया जाना है। मुख्यमंत्री श्री बघेल के नेतृत्व में प्रदेश के लोगों को राहत पहुचाई जा रही है। उन्होंने कहा कि बारहमासी सड़क नहीं होने का खामियाजा लोगों को उठाना पड़ता है। छत्तीसगढ़ सरकार उनकी समस्याओं को दूर करने की दिशा में काम कर रही है। मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना भी एक महत्वपूर्ण कड़ी है। प्रदेश में मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना के अंतर्गत कुल 4079 मार्ग चिन्हित किये गये हैं। जिसकी कुल लम्बाई 689 कि.मी. और लागत राशि 486.69 करोड़ रुपये हैं। प्रदेश में इसके अंतर्गत 472 कार्य पूर्ण कर लिये गये हैं जबकि 1577 कार्य प्रगति पर और 2030 कार्य निविदा स्तर पर है।

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