छत्तीसगढ़

जहां नाइट पार्टियां, वहां पहुंच ही नहीं पाती पुलिस!

Admin2
4 Jan 2021 5:31 AM GMT
जहां नाइट पार्टियां, वहां पहुंच ही नहीं पाती पुलिस!
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आफताब फरिश्ता

छुटभैय्ये नेता पुलिस को भरोसा दिलाकर कर देते हैं चलता

< छुटभैय्ये नेताओं के संरक्षण में फल फूल रहा नशे का कारोबार

< रायपुर नशेडिय़ों के लिए स्वर्ग बना

< हर प्रकार के नशे का सामान यहां आसानी से उपलब्ध

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी में पुलिस की सख्ती और चौकसी के बाद भी वीआईपी रोड और अन्य इलाकों के बड़े होटलों-पब और क्लबों में नाइट पार्टियों के आयोजन पर रोक नहीं लग पा रही है। छुटभैय्ये नेताओं के संरक्षण में होटल संचालक आयोजकों से मिलकर बगैर किसी परेशानी के पार्टी आयोजित कर रहे हैं। नाइट पार्टियां प्रशासन द्वारा निर्धारित समय के बाद भी देर रात तक चल रही हैं जिसमें ग्राहकों को शराब और हुक्का के अलावा दिगर नशा भी परोसा जा रहा है। इन आयोजनों के दौरान पुलिस अंदर दाखिल भी नहीं हो पाती, पुलिस वाला अगर कोई पहुंचता भी है तो छुटभैय्ये नेता खुद ही बाहर आकर उनका आवभगत कर सब कुछ सामान्य होने का झूठा भरोसा दिलाकर रवाना कर देते हैं। इसके बाद बाउंसरों की तैनाती के बीच नाइट पार्टी पूरी शबाब में पहुंचती है। ऐसी पार्टियों के कई वीडियो भी सामने आए हैं जिससे पार्टी के कलेवर को पहचाना जा सकता है। नए साल के आगाज वाली रात भी पुलिस तमाम कोशिशों के बाद भी नाइट पार्टियों को समय पर बंद नहीं करा पाए और दिखावे के लिए आयोजित कैंडल नाइट डिनर के बाद कई होटलों और पबों में देर रात तक पार्टियां चलती रही जिसमें शराब और नशा भी परोसा गया।

रेव पार्टियों में नशे का इस्तेमाल : रेव पार्टियों में नशे का इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है। मुंबई से रायपुर लाए गए में एमडीएम के रूप में बेचे जाने वाले टैबलेट का नशे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ड्रग्स लेने वालों को होश नहीं रहता है। कुछ लोग पॉपर्स का इस्तेमाल करते हैं, जिसे सांस के माध्यम से लिया जाता है। तेज संगीत के बीच नशे का सेवन कर ये लोग नाचते है। लेकिन अधिकतर जगहों पर ऐसे नशे का इस्तेमाल प्रतिबंधित होता है। अधिकांश जगहों पर अवैध रेव पार्टियों में ही जमकर ड्रग्स और मादक पर्दाथों का इस्तेमाल होता है। जिनमें कोकीन, चरस के अलावा एमडीएम, मॉर्फिन और अन्य नशे की गोलियां भी शामिल होती हैं।

समय ने युवाओं को नशे की ओर धकेला : बदलते माहौल ने युवा पीढ़ी को नशे की ओर धकेलने में खूब मदद की है। वैेसे युवा पीढ़ी में नशे की शुरूआत फैशन और स्टाइल से शुरू होती है और धीरे धीरे युवा इसका गुलाम बनता चला जाता है पता ही नहीं चलता। शराब और सिगरेट पीना युवा पीढ़ी का शौक है। उन्हें लगता है हम समाज में उच्च स्तर के दिखते हैं यदि पार्टी में एक हाथ में शराब का गिलास और दूसरे हाथ में धुआं उछालती सिगरेट हो। कभी कभी ये नशे युवाओं को इतनी दूर ले जाते हैं वहां से वापिस लौटना उनके लिए मुश्किल हो जाता है।

बारों में समय सीमा के बाद भी परोसी जा रही शराब : कोरोना संक्रमण के कारण जिला प्रशासन द्वारा बार के खोले व बंद करने का समय निर्धारण किया गया है। फिर भी शहर के बहुत सारे के ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां पर आधी रात के बाद शटर के नीचे से शराब पार्सल की सुविधा और अवैध बिक्री कर रहे है।

ज्यादातर रिंग रोड नंबर 1 के पेट्रोल पंप के पास स्थित बार में शराब बेचे जा रहे है। दुकानदार शराब बेचने और खरीदने वाले दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते हैं। इसके अलावा उन थाना क्षेत्र के पेट्रोलिंग टीम और थानेदार को भी ऐसी जगहों की जानकारी होती है। बैखोफ होकर शराब बेच रहे है। जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं। अधिाकंश रात के अंधेरे में शराब का अवैध कारोबार करने वाले कई बार पुलिस के साथ भी दिखते हैं। यही वजह है कि शराब का अवैध कारोबार पूरे राजधानी में चरम पर होने के बाद भी कार्रवाई की खानापूर्ति की जाती है।

नशा बना प्रेस्टीज पॉइंट

नशा ना करना आज के दौर में मॉडर्न युवा पीढ़ी की नजरों में बैकवर्ड समझा जाता है। जो पार्टी या क्लब या ब्याह-शादी, बर्थडे वगैरह में ड्रिंक नहीं लेता वह गंवार होता है। कभी ऐसा भी होता है कि इस तरह के आयोजनों में यदि कोई लड़की या महिला शामिल होकर आउट हो जाए यानी ज्यादा ड्रिंक कर ले तो काफी बदतमीजी व्यहार भी हो जाती है। ऐसे मौके पर नशाखोरी को प्रेस्टिज का प्वॉइंट बना लिए हैं। युवा पीढ़ी पर नशीले पदार्थों की पकड़ लगातार मजबूत हो रही है। युवतियों में भी ड्रग्स स्टेटस सिंबल बन जाने से इस बुराई की समाप्ति और भी मुश्किल होती जा रही है। स्कूल-कॉलेज भी नशे से अछूते नहीं रहे। स्कूल-कॉलेजों में छोटे से बड़ा नशा करने वाले 15 से 25 वर्ष आयु वर्ग के लड़के-लड़कियां दोनों नशे के आदि हो गए है।

डीजे में झूमते रहे युवक-युवतियां

रविवार शाम 7 बजे से सुबह 4 बजे तक होटलों में नशे की पार्टियां चलती रही और स्कूल के छात्र-छात्राए पार्टी कर रहे थे। नाबालिग छात्र ड्रग्स ले रहे थे। युवक-युवती डीजे में डांस करते है। रायपुर, दुर्ग, भिलाई के कॉलेज छात्र-छात्राएं और हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं की नशे की पार्टी चल रही थी। पब के पास शराब और मनोरंजन दोनों उपलब्ध है। पब वाले शराब पार्टी आयोजित करते है।

होटल, पब और क्लब में खुलेआम नशे की पार्टियां

शहर में कई जगह नशे की पार्टी का हल्ला मचा हुआ है। होटल, पब और क्लब में खुलेआम रातोरात नशे की पार्टियां चल रही है। समय सीमा के शर्त का उल्लंघन कर वीआईपी रोड के होटलों और क्लबों में देर रात पार्टी चल रही है। होटल में देर रात तक युवाओं का जमावड़ा लगा ही रहता है। हज़ारों की संख्या ने युवा नशे की पार्टियों में जुटे रहते है। राजधानी के वीआईपी रोड में रात 4 बजे तक क्लब में पार्टी के आयोजन किया जाता है। युवाओं को नशा परोसा जाता है। बड़ी संख्या में युवक-युवतियां नशा करते पाए जाते है। शराब के नशे में आज युवा पीढ़ी के लिए लगभग फैशन का ट्रेंड हो गया है। नशे के कारोबारी भी जबरदस्ती इसे मॉडर्न वर्क कल्चर, मॉडर्न लाइफस्टाइल का हिस्सा बना दिया है। कॉलेज में सीनियर जूनियर के बीच भी इतना फर्क नहीं होता है। कुछ बड़े कॉलेजों के सीनियर अपने जूनियरों से सीधे मुंह बात तक नहीं करते, लेकिन जब भी कोई शराब की पार्टी होती है और सारे शराब के नशे में धुत्त होते हैं।

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