छत्तीसगढ़

क्या लूटेगा जमाना खुशियों को हमारी, हम तो खुद अपनी खुशियां दूसरों पर लुटा कर जीते हैं

Admin2
29 Jan 2021 6:37 AM GMT
क्या लूटेगा जमाना खुशियों को हमारी, हम तो खुद अपनी खुशियां दूसरों पर लुटा कर जीते हैं
x

ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

26 जनवरी को अन्नदाताओं ने रैली निकालकर अपना ताकत दिखा दिया। शांतिपूर्वक निकाले जाने वाले इस ट्रैक्टर रैली में अशांति फैल गई जो नहीं फैलना था। जो भी हुआ ठीक नहीं हुआ। देश ही नहीं पूरा विश्व टकटकी लगाए इस घटना को देख रहा था। हमेशा की तरह इस बार भी मुखिया खामोश थे। सवाल यह है कि जय जवान जय किसान की नारे दोहराने वाली सरकार किसानों के हित में कानून वापस लेती है या नहीं अलग बात है। लेकिन यह तो तय हो गया है कि कोई भी कानून बनाने के पहले संबंधित पक्ष को भरोसे में लिया जाना बहुत जरूरी है। बहुमत के दम पर कोई भी कानून थोपा नहीं जा सकता बहरहाल एक शायर ने किसानों को लेकर कहा है कि क्या लूटेगा जमाना खुशियों को हमारी, हम तो खुद अपनी खुशियां दूसरों पर लुटा कर जीते हैं।

किसान आंदोलन था कि चोर पुलिस का खेल

एक कहावत है चोर को बोल रहे चोरी करो और साहूकार को बोल रहे जागते रहो । यही हाल किसान आंदोलन हुआ। पहले किसानों को ट्रैक्टर रैली की इजाजत दिया जाता है ऐसा माहौल बना दिया जाता है कि किसान रैली की कोई जरूरत ही नहीं थी। पहले ही बैठकर इस मसले में छोड़कर समझौता कर लिया होता लेकिन सरकार भी है और किसान भी एक पक्ष भला करना चाहते हैं दूसरा भला नहीं चाहता केंद्र सरकार को कोस रहे हैं और 26 जनवरी की घटना पर शर्मिंदगी भी जता रहे हैं और सरकार से मांग भी कर रहे हैं कि इस बिल को वापस ले जनता में खुशुर-फुसुर है कि आखिर इस प्रकार के माहौल बनाने के जिम्मेदार कौन है इस बीच भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि भाजपा नेता का हाथ है और इससे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की छवि को नुकसान पहुंचा। इसकी तत्काल जांच कराए।

सिद्धू का प्रधानमंत्री के साथ फोटो चर्चित

दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद लोग दीप सिद्धू की तलाश करते देखे गए। छत्तीसगढ़ के किसान संगठनों ने एक बैठक कर हिंसा की निंदा की। जनता में खुसुर-फुसुर है कि किसान नेता इस हिंसा को केंद्र सरकार की सोची समझी साजिश मानते है। पक्की खबर है कि दीप सिद्धू पंजाब के भाजपा सांसद के करीबी है। सिद्धू का प्रधानमंत्री के साथ चित्र को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं सार्वजनिक हो रही है।

गोलगप्पे के ब्रांड एम्बेसेडर बने भूपेश

पूरे प्रदेश में भूूपेश बघेल के गोल-गप्पे खाने की चर्चा है। मुख्यमंत्री आम जनता में सहज-सरल छवि बनाने की कवायद में कहीं क्रिकेट खेल रहे हैं, तो कहीं गुपचुप खा कर यही संदेश दे रहे हैं कि भूूपेश सरकार और जनता के बीच कोई दूरी नहीं है। यह बात भाजपा नेताओं को हजम नहीं रही है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जब जिसे सत्ता में चांस मिलता है अपनी पारी में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता, वही भूपेश बघेल कर रहे हैं। तो भाजपाइयों को क्यों दर्द हो रहा है। जनता तो सिर्फ चुनाव के समय मांई-बाप होती और बाकी पांच साल दर्शक बनकर सरकार के चौके-छक्के पर तालियां बचाती है। बस्तर प्रवास के दौरान सीएम ने खुद बालिंग की और जब बैटिंग आई तो छक्के भी मारे। वहीं कोंडागांव में एक चाट ठेले पर गुपचुप खा कर यह संदेश देने की कोशिश की कि वे कमरे में बंद होकर काम करने वाले नहीं, बल्कि जनता के बीच जाकर काम करने वाले मुख्यमंत्री हैं।

गणतंत्र दिवस पर झंडा की जगह लहराया थप्पड़

अंबिकापुर सर्किट हाउस में गणतंत्र दिवस के दिन झंडा फहरने के बजाय थप्पड़ लहराया जिसे लेकर दिन भर हंगामा मचा रहा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कोरोना के बाद 72 वें गणतंत्र दिवस पर झंड़े की जगह थप्पड़ लहराया । एक कांग्रेस नेता की मां-बेटी ने फोड़ाई कर दी। मामला था बहन के अपहरण का। कांग्रेस नेता पर आरोप है कि उसने उसकी नाबालिग बेटी को फुसलाकर अपने रखा है। यह वाकया उस समय हुआ जब सरगुजा के प्रभारी और नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया बैठक ले रहे थे। बाहर अपनी मां के साथ पहुंची युवती ने युवा नेता को थप्पड़ मारना शुरू कर दिया। युवती के तेवर देख युवा नेता को वहां से दौड़ लगानी पड़ी। सारा मामला युवती की बहन को लेकर है। लोगों का मानना है कि यहीं है असली गणतंत्र, जाग गई है नारी शक्ति, कोई नहीं कर पाएगा ज्यादाती।

तुंहर सरकार तुंहर द्वार

महापौर भाई एजाज ढेबर ने पिछले दिनों तुंहर सरकार तुंहर द्वार चालू किया है। जो 35 दिन तक चलेगा जिसमें 70 वार्डों में महापौर सभापति एमआईसी मेंबर पार्षद और निगम के अधिकारीगण वहां के निवासियों की समस्याओं का त्वरित हल निकालेंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि निगम मुख्यालय से जब लोगों का काम नहीं हो रहा है तो वहां क्या होगा। बहरहाल पब्लिक खुश है कि चलो निगम के सारे बड़े अधिकारी पदाधिकारी उनके वार्ड में आ रहे हैं कुछ तो काम जरूर होगा, एक कहावत भी है गोबर गिरगा तो कुछ ना कुछ लेकर ही उठेगा।

Next Story