छत्तीसगढ़

अजी अंदर क्या है... बाहर क्या है... ये पब्लिक है सब जानती है

HARRY
1 Jan 2021 6:06 AM GMT
अजी अंदर क्या है... बाहर क्या है... ये पब्लिक है सब जानती है
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ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

रायपुर। पिछले दिनों मप्र के मुक्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान होशंगाबाद के बाबई में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे और माफियाओं को ललकारते हुए कहाकि मप्र छोड़ दो वरना दस फीट नीचे गाड़ दूंगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि आखिर ये माफिया कब पैदा हुए पिछले कई सालों से मप्र में आपका ही राज रहा, अब अचानक ये माफिया कहा से आ गए साहब ये पब्लिक है सब जानती है।

इंसान से गलती हो ही जाती है

पिछले दिनों मशहूर वकील महमूद प्राचा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई उन पर आरोप था कि सरकारी कर्मचारी को काम करने से रोका , जबकि पुलिस प्राचा के दफ्तर में दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम जो कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है, ने छापा मारा कि वे फर्जी हलफनामा पेश किए और दंगा पीडि़तों पर झूठा बयान देने के लिए मजबूर करने का आरोप है। अब ये समझ में नहीं आया कि आरोप किस बात का और एफआईआर किस बात पर। जनता में खुसुर-फुसुर है कि आखिर पुलिस कही की हो वो भी ते इंसान है और गलती इंसान से ही होती है। वैसे भी अब सरकारों के खिलाफ बोलना यानी मुसीबत को दावत देना ही है।

केरल में मंडी नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी 25 दिसंबर को राज्यों के किसानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात की और बताया कि केरल में मंडी नहीं है, वहां पर एपीएमसी नहीं है । विपक्ष किसानों को बरगलाने के बजाए केरल में आंदोलन क्यों नहीं करते । जनता में खुसुर-फुसुर है कि साहब को कौन बताए कि केरल में ये सब नहीं उगाते, वहां रबर, काफी, नारियल, काजू , कालीमिर्च इलायची, लौंग, दालचीनी आदि उगाते है जो अन्य प्रदेश के फसल भिन्न है, चूंकि ये विशेष फसलें है इनकी मार्केटिंग भी अलग तरह से होती है। और ये 85 प्रतिशत फसले विदेश भेजते है, और करोड़ों रुपए कमाते है। अभी ये सीधे विभिन्न बोर्ड के माध्यम से बेचते है।

जब चाहे जो बोल दो, ये है राजनीति

पिछले दिनों कांग्रेस नेता दिग्गीराजा छग प्रवास पर थे, बोरा जी के परिजनों से मिलने रायपुर -दुर्ग आए । जाते-जाते विधायक खरीद फरोख्त पर बयानबाजी दे गए फिर क्या भाजपा को मौका मिल गया और शब्दबाण छोडऩे में कोई कोर कसर नहीं छोड़े। कहने लगे यहां राजनीतिकरने ए थे या शोक जताने। जनता में खुसुर-फुसर है कि ये राजनीति है मौका जब चाहे जो भी बोल दो कोई फर्क नहीं पड़ता।

हीरे की परख जौहरी ही जानता है

पिछले दिनों ग्वालियर में एक दिलचस्प वाकया सामने आया । हुआ ये कि एक भैंस पालक के तीन-चार भैंस चरते-चरते सड़क पर गए इत्तेफाक से जिला कलेक्टर और निगम आयुक्त का उसी वक्त वहां से गुजरना हुआ, फिर क्या दोनों की भृकुटी तन गई और भैंस मालिक को दस हजार की जुर्माना ठोंक दिया। शासन से पंगा लेना यानी नंगा होना, सो भैंस पालक ने जुर्माने की राशि जमा कर रसीद कटा ली। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पड़ोसी राज्य में गोबर पर जुर्माना और हमारे राज्य में गोबर पर पैसा । है न कमाल की बात। किसी ने सही कहा बी है कि हीरे की परख जौहरी ही जानता है।

हर साख पे उल्लू नजर आ रहे

छह माह पहले जम्मू कश्मीर में तीन नागरिकों का एनकाउंटर कर दिया गया। मामला ये ता कि तीन आतंकवादियों पर 20 लाख का ईनाम घोषित था, लालच में सेना के अधिकारी ने तीन निर्दोषों को मार गिराया ।येन वक्त पर लोकल पुलिस और नागरिकों ने मामला खोल दिया. जनता में खुसुर-फुसुर है कि अब सामान्य आदमी किसके पास फरियाद करे क्योंकि हर शाख में उल्लू नजर आ रहा है।

सच्चाई जुबां पे आही गई

पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश में जदयू के सात विधायकों में से छ: भाजपा में चले गए। इस घटना से नितीश कुमार काफी व्यथित हुए। जदयू महासचिव के सी त्यागी ने कहा कि वे विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने के बजाय भाजपा में ही शामिल कर लिया ,ऐसा कृत्य अन्यायपूर्ण और गठबंधन धर्म के खिलाफ है उनके द्वारा भाजपा में शामिल होने बाध्य करने नफरत का माहौल बनाया जाता है। जनता में खुसुर-फुसुर है की सच्चाई जुबान पर आ ही गई।

संजय राउत भी दहाड़े

पिछले दिनों की घटना से शिवसेना सांसद संजय राउत काफी उत्तेजित हो रहे हैं क्योंकि उनके मुताबिक केंद्र सरकार के इशारे में ईडी उनकी पत्नी को तंग कर रही है। उन्होंने बयां दिया कि मुझसे पंगा मत लो नई तो नंगा कर दूंगा आगे यह भी कहते है कि भाजपा के सैकड़ों लोगों की कुंडली मेरे पास है अगर खोल दिया तो देश छोडऩे की नौबत आ जाएगी। जनता में खुसुर फुसुर है कि इसे कहते हैं नहले पे दहला।

इतनी जल्दी भी क्या थी

28 दिसंबर को कांग्रेस का स्थापना दिवस था 136 साल की हो गई। सभी ने अपने अपने हिसाब से स्थापना दिवस मनाया, लेकिन ऐन स्थापना दिवस के एक दिन पहले राहुल गांधी का विदेश चले जाना समझ में नहीं आ रहा है विरोधी दल और पत्रकार भी मजे ले रहे हैं। बैठे बिठाये उनको मुद्दा मिल गया और हंसी उड़ा रहे हैं, हालांकि पता ये चला है कि राहुल गाँधी नानी को देखने गए हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है की बाबा शाम को चल देना था इतनी जल्दी भी क्या थी।

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