हुजूम देख के रास्ता नहीं बदलते हम, किसी के डर से तकाजा नहीं बदलते हम
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
पिछले दिनों मुख्यमंत्री साय ने कहा कि किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए अधिकारियों से कहा कि लापरवाही, ढिलाई बिलकुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा की जब हम 18 घंटे काम कर सकते हैं तो अधिकारी क्यों नहीं। ठीक ही कहा उन्होंने, जनता की सेवा के लिए ही तो जनता ने सिर आँखों में बिठाया है जनता सेवा में समय सीमा नहीं होनी चाहिए। जब भारी भरकम तनख्वाह और गाड़ी, बंगला, नौकर-चाकर की सुविधा हो तो काम भी अधिकारियों को डट के करना चाहिए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अधिकारी की भी मजबूरी समझा जाय तो ठीक है। जैसे पिछली सरकार में एक मंत्री के मौखिक आदेश पर ही पूरा सामुदायिक भवन को मंत्राणी को दे दिया था, नहीं करने पर ट्रांसफर या सर्विस रिकार्ड खराब करने की धमकी मिलती और कर दिए तो भी नप जाने का खतरा बरकरार है। अब अधिकारी करें तो करें क्या? नेताओं को भी चाहिए अपने फायदे के लिए अधिकारियों से ऐसा काम ही नहीं कराएं जिससे भ्रष्टाचार बढ़े। वैसे कहा जाता है ताली दोनों हाथ से बजती है। माल पानी खाते समय दोनों खाते हैं और कार्रवाई की बारी आती है तो सिर्फ अधिकारी ही फंसते हैं। सीएम साय के तेवर देखकर अधिकारी सकपका गए हैं। इसी बात पर एक शेर याद आया -हुजूम देख के रास्ता नहीं बदलते हम, किसी के डर से तकाजा नहीं बदलते हम।
चुनाव तक एक दूसरे को ढील
छत्तीसगढ़ में मिलावटखोर मस्त है कर जनता पस्त है। मात्र एक माइक्रो बायोलॉजी लेब बनकर भी तैयार है लेकिन सिर्फ देखने के काम आ रही है। स्टाफ की भर्ती भी नहीं हो पा रही है। जाँच की मशीने तो लग गई है लेकिन कोई ऑपरेट ही नहीं कर पा रहा है। इसका फायदा मिलावटखोर उठा रहे हैं और हर चीज में मिलावट कर रहे हैं जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। थोड़े रूपये की लालच में आम जनता को गंभीर बीमारी की ओर धकेल रहे हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मुख्यमंत्री जनता सेवा में जी-जान लगा दिए हैं तो कम से कम मिलावटखोरों और मुनाफाखोरों को भी टाइट कर देते साहब। वैसे मिलावटियों को भी मालूम है कि सरकार चुनाव तक कोई बड़ा कदम नहीं उटाएगी, इसलिए जी भर कर मिलावट कर माल छाप रहे हैं। चुनाव के बाद देखेंगे, जितना ढील देंगे, हम भी उतना ढील देंगे।
जनता को बोनस ही बोनस
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है जनता को बोनस देने की भरपूर घोषणा की जा रही है। सत्तारूढ़ पार्टी तो देना चालू भी कर दिए हैं। अब कांग्रेस पार्टी वालों ने नया वादा किया है अगर वे सत्ता में आये तो गरीब महिलाओं को एक लाख रूपये हर साल देंगे, फ्री राशन पानी तो मिल ही रहा है। घर तो मोदी जी दे ही रहे हैं। अब बचा नौकरी तो वो कांग्रेसी देंगे। पहले सरकार तो बने जी। यानी चुनाव आते ही जनता के लिए बोनस की झड़ी लग गई है। देश में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को फिफ्टी परसेंट आरक्षण देने का वादा कांग्रेस कर रही है। ये सिर्फ महिलाओं के लिए है अभी पुरुषों का पिटारा खुलने वाला है। बाकी जो भी बचा सब पुरुषों के हिस्से में जाएगी। जनता में खुसुर-फुसुर है कि,अब कोई पार्टी ददा वंदन योजना लेकर न आ जाए जिसमें हितग्राही के साथ उसके आश्रित को भी 3 हजार रुपए महीने देने की योजना जल्द लांच हो जाएगी जिसमें पिता-पुत्र एक बोतल में शेयर कर सकेंगे।
खुद-ब-खुद सब शांत
कल से खर मास लग गया है अब कोई भी मांगलिक कार्य हिन्दू समाज में नहीं होंगे, रमजान महीना भी चालू हो जाने के कारण मुस्लिम समुदाय में भी इस तरह के आयोजन नहीं होंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अभी परीक्षायें भी चालू हो गई है ऐसे में पढऩे वाले बच्चों को भरपूर राहत मिलेगी। शासन प्रशासन के आदेश को धता बताकर ऊँची पहुँच दिखाकर जैसे-तैसे डीजे धूमाल बजाने वालों को अब किसी आदेश की जरूरत और किसी को पहुंच दिखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, खुद-ब-खुद सब शांत रहेंगे।
दुआ और दवा दोनों...
भाजपा द्वारा चुनाव के पहले किये गए घोषणा के अनुसार महतारी वंदन योजना के तहत प्रदेश की महिलाओं को एक हजार रूपये प्रति माह दिया जाना था। पिछले दिनों महिलाओं के खाते में एक हजार रुपया आया। लोगों के घर में उत्साह का माहौल देखा गया। जैसे लाटरी लग गई हो। अभी होली आने वाली है कुछ तो सहारा होगा। जनता में खुसुर फुसुर है कि मुख्यमंत्री साय को इस बार महिलाओं की दुआ भी मिलेगी जो लोकसभा चुनाव में दवा का काम करेगी।
कहीं टिकट पाने की जुगत तो कहीं छोडऩे की...
कहते हैं राजनीति का ऊंट किस करवट बैठ जाये कोई कुछ कह नहीं सकता, कब कोई फर्श से अर्श पर पहुंच जाये और कब कोई अर्श से फर्श पर पटक दिया जाये बताया नहीं जा सकता। एक ओर जहां कांग्रेस में पलायन की होड़ लगी है वहीं दूसरी ओर भाजपा में टिकट पाने की होड़। कई ऐसे भी हैं जो टिकट पा कर भी चुनाव नहीं लडऩे के मूड में हैं, वहीं कई ऐसे भी है जो करोड़ों रूपये देकर टिकट हासिल करना चाहते हैं। कई लोगों को बिना मांगे टिकट दिया गया है। इसे कहते है बिन मांगे मोती मिले मांगे मिले न भीख।
अधिकारी स्मार्ट या चोर स्मार्ट
कहते हैं कि नकल के लिए भी अकल चाहिए अब वैसे ही स्मार्ट सिटी के लिए स्मार्ट अफसरों का होना भी जरुरी है। जनता में इस बात की खुसुर-फुसुर है कि किसी भी काम को धरातल में लाने के लिए उस पर चिंतन होना चाहिए नहीं तो जनता के पैसे की सिर्फ बर्बादी ही होगी। अभी देखने में आ रहा है कि शहर में अंदर ग्राउंड केबलिंग का काम चल रहा है आनन-फानन में खम्भों को हटा दिया गया है अब समस्या स्ट्रीट लाइट की हो गई है । अंधेरा कायम हो गया है। शहर में ऐसी कई जगह है जहाँ ये काम हो चुका है अब अधिकारी पशोपेश में है की उजाला कैसा करें खम्भों को तो उखा? कर फेक दिए है एलईडी या बल्ब कहाँ लटकाएं। दूसरी ओर अँधेरे का फायदा चोर उठा रहे हैं चोर तो ज्यादा स्मार्ट हो गए है और दिमाग का भी उपयोग कर रहे हैं। जिस जगह चोरी करने जा रहे हैं वहां से सीसी टीवी कैमरा के साथ डीवीआर भी उखाड़कर ले जा रहे हैं। जनता में खुसुर फुसुर है कि स्मार्ट कौन?