हम न दक्षिणपंथी हैं और न ही वामपंथी, हम अवसरवादी हैं : नितिन गडकरी
दिल्ली delhi news। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी परीक्षा यह है कि शासक अपने खिलाफ जाहिर की गई सबसे मजबूत राय को भी बर्दाश्त करता है। वह इस पर आत्मचिंतन करता है। केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता यहां एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने लेखकों और बुद्धिजीवियों से निडर होकर अपनी बात रखने के लिए भी कहा। गडकरी ने कहा कि इन दिनों राजनीति में जो हो रहा है वह अन्य जगहों पर भी हुआ है। किसी ने अपना अस्तित्व खो दिया है। हमारे देश में मतभेद कोई समस्या नहीं है, हमारी समस्या है किसी मत का नहीं होना। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम न दक्षिणपंथी हैं और न ही वामपंथी, हम अवसरवादी हैं। Union Minister Nitin Gadkari
नितिन गडकरी ने कहा कि साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों और कवियों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने विचारों को खुलकर और दृढ़ता से व्यक्त करें। लोकतंत्र की अगर कोई सबसे बड़ी कसौटी है तो वह यह है कि यदि कोई विचार राजा के विरोध में है तो राजा उसे सहन करे और उस पर आत्ममंथन करे। यही वास्तविक लोकतंत्र है। इससे पहले रविवार को इंजीनियर्स डे पर गडकरी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग पुणे में एक समारोह में मौजूद थे। यहां पर उन्होंने पारदर्शिता और फैसले लेने के लिए समय सीमा तय करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अगर कोई जानकार व्यक्ति कानून के पीछे की भावना को नहीं समझता है तो इसका क्या फायदा?
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लिखे हुए अक्षर और उसके पीछे की भावना में काफी अंतर है। जानकार व्यक्ति को कानून के पीछे की भावना समझनी चाहिए। कई बार स्थिति ऐसी होती है कि सड़कों पर गड्ढे भरने हों तो भी बॉस के आदेश की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि मैं अभी उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन जैसे ही पैसा हाथ में होता है, काम शुरू हो जाता है। गडकरी ने कहा कि हमारे यहां ‘न्यूटन के पिता’ हैं। आप फाइल पर जितना अधिक वजन डालते हैं, फाइल उतनी ही तेजी से आगे बढ़ती है। इसके बाद उन्होंने पारदर्शिता और समयबद्ध निर्णय लेने की प्रक्रिया की जरूरत पर जोर दिया।