ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव
पिछले 6 से 7 सप्ताह से चल रहे किसान आंदोलन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि तीनों कृषि कानून को वापस लो। सरकार भी इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर कानून वापसी की बात छोड़कर हर बात मानने तैयार है। लेकिन पेंच फंस गया इसी बात पर । आखिर में सुप्रीमकोर्ट को दखल देना पड़ा,चार सदस्यों की कमेटी को कानून की समीक्षा करने को कहा। इससे किसान भड़क गए एवं वे चार सदस्यों की निष्पक्षता पर ही सवाल उठाने लगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि दिल्ली बार्डर में सिर्फ हरियाणा, पंजाब के किसानों की संख्या को देखकर ये अंदाजा न लगाया जाए कि कानून से केवल इन्हें तकलीफ है, जबकि वास्तविकता ये है कि इससे पूरे देश के किसान चिंता जाहिर कर चुके है। अब सरकार को हठ छोड़कर इनकी मांगों पर गंभीरता से विचार कर उनके हक में फैसला देना चाहिए।
बाबा भारती की याद आ गई
पिछले दिनों बाबा भारती और डाकू खड़कसिंह की याद ताजा हो गई। दरअसल हुआ ये कि लिफ्ट मांग कर दो युवकों ने तीसरे युवक की बाइक और मोबाइल छीन कर भाग गए। ये तो नेकी कर और जूते खा वाली बात हो गई। जनता में खुसुर-फुसुर है कि वो बात अलग थी कि बाबा भारती ने डाकू खड़कसिंह से कहा कि इस घटना की जिक्र कही भी मत करना वर्ना भरोसा उठ जाएगा। यहां बाबा भारती की जगह पुलिस है क्या एक्शन होगा जनता को मालूम है।
बघेल जी को चापड़ा चटनी खिलाया कि नहीं
पिछले दिनों छग के कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि बस्तर में कोरोना से एक भी मौत नहीं हुई है, और कोरोना की रामबाण दवा है चापड़ा चटनी। उन्होंने बताया कि ये कोई जनप्रतिनिधि या मैं नहीं बल्कि उड़ीसा हाई कोर्ट ने कहा है। लखमा ने कहा कि बस्तर में लाल चीटी का चापड़ा चटनी चाव से खाया जाता है। यही वजह है कि बस्तर में कोरोना नहीं फैला। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बस्तर दौरे पर थे और लोग जानना चाहते है कि लखमा ने भूपेश बघेल को चापड़ा चटनी खिलाया कि नहीं। लोगों ने यह सुझाव दिया कि छत्तीसगढ़ में चापड़ा चटनी सेंटर भी खोल दिया जाए।
कांग्रेसी जासूसी भी करते हैं ..
बात यह है कि भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय 100 क्विंटल धान बेचे हैं, और उनके खाते में एक लाख 86 हजार रुपए आ गए हैं। ऐसी जानकारी कांग्रेस प्रवक्ता ने दी है। कांग्रेसी राजनीति के साथ-साथ अब भाजपाइयों की जासूसी भी करने लग गए हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कांग्रेसियों की राजनीति नहीं चलने पर कम से कम देश के खुफिया विभाग में सेवा तो ली जा सकती है।
तंज कसना भारी पड़ गया
पिछले दिनों भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने तंज कसते हुए कहा था कि गोबर को राजकीय चिन्ह बना दिया जाये। अब केंद्र सरकार द्वारा गोबर के पेंट की लांचिंग पर भूपेश बघेल गदगद हैं और विधायक जी को बोल रहे हैं कि गोबर उन्हीं के मुँह पर पड़ा। जनता में खुसुर फुसुर है कि धान से एथेनॉल बनाने का प्रोजेक्ट हो या गोबर खरीदी योजना दोनों छत्तीसगढ़ का प्रोजेक्ट है। ख़ुशी की बात है कि चलिए केंद्र ने यहाँ की योजनाओं का अनुसरण कर छत्तीसगढिय़ंों का मान तो बढ़ाया।
छजकां की सत्ता में आदिवासी मुख्यमंत्री
पिछले दिनों जनता कांग्रेस के मीडिया प्रमुख इकबाल अहमद रिजवी का बयान आया कि छत्तीसगढ़ में जनता कांग्रेस की सत्ता आएगी तो मुख्यमंत्री आदिवासी ही होगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि छजकां अगर सत्ता में आई तो आदिवासी मुख्यमंत्री नकली आदिवासी बनेगा या असली आदिवासी बनेगा, ये भी बताते जाएं। बहरहाल सत्ता तो दूर है कम से कम छजकां के मुख्य पदों पर ही आदिवासियों को बैठाकर शुरूआत तो कीजिए, पूछती है जनता।
लगता है जनता नासमझ है
कांग्रेसी किसानों के लिए धरना प्रदर्शन कर भाजपा और केंद्र सरकार पर किसानों की हालात को लकेर दोष मढ़ रही है, दूसरी तरफ भाजपाई भी किसानों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। धरना प्रदर्शन कर रहे है। कांग्रेस वाले बोल रहे हैं केंद्र सरकार बारदाना दे ,भाजपाई बोल रहे हैं भूपेश सरकार बारदाना दे , समझ में नहीं आ रहा कि बारदाना आखिर है कहाँ।
जनता में खुसुर-फुसर है कि समझ में नहीं आ रहा है कि हो क्या रहा है। लगता है जनता को नेता लोग ना समझ मान लिए है।