छत्तीसगढ़

जल संसाधन विभाग पानीदार होने के बाद भी सूखा

Nilmani Pal
24 May 2022 5:40 AM GMT
जल संसाधन विभाग पानीदार होने के बाद भी सूखा
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  1. लगातार रिटायरमेंट से विभाग में इंजीनियरों का अकाल
  2. 160 रिटायर्ड इंजीनियरों को संविदा नियुक्ति देने की कवायद
  3. दूसरे विभाग में प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारियों को वापस बुलाना चाहिए
  4. नई नियुक्ति से बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा
  5. संविदा नियुक्ति से सरकार पर बढ़ेगा बोझ
  6. सरकार का आदेश है कि फिजूलखर्ची पर लगे रोक, तबादला भी बंद

ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। जनसंसाधन विभाग में 2019 में सेवानिवृत्त अनुभवी इंजीनियरों की जगह की पूर्ति नहीं हुई है, ऊपर से यहां से प्रतिनियुक्ति में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में गए अधिकारी और इंजीनियर मूल विभाग में वापसी का नाम नहीं ले रहे है। जिसके कारण हुए जलसंसाधन विभाग का काम प्रभावित हो रहा है। सरकार आर्थिक तंगी से जूझ रही है और जल संसाधन विभाग में लगभग 160 इंजीनियरों को संविदा नियुक्ति देने की कवायद हो रही है। इस संबंध में जलसंसाधन के तात्कालीन प्रमुख अभियंता जयंत पवार ने विभागीय सचिव को पत्र लिखकर संज्ञान में लाया था । पवार अपने पत्र क्रमांक 3317045 /छ ग /2019/ 5203 दिनांक 15-06-2020 के माध्यम से विभाग में अनुभवी अधिकारियों की कमी होने के कारण कार्य संपादन में हो रही असुविधा से अवगत करवाते हुए जलसंसाधन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में कार्यरत कार्यपालन अभियंताओं एवं सहायक अभियंताओं की प्रतिनियुक्ति समाप्त कर मूल विभाग जल संसाधन को वापस किए जाने का अनुरोध अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन विभाग से किया था । पत्र की प्रतिलिपि सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को भी दी गयी थी, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। अब वही पुरानी बात फिर से दोहराई जा रही है। संविदा भर्ती की चर्चा पूरे विभाग है। मजे की बात है की संविदा कर्मियों को वित्तीय अधिकार जैसे आहरण-वितरण नहीं होते उसके बावजूद धड़ाधड़ चेक काटे जा रहे हैं। इस सम्बन्ध में रजनीश कुमार सिंह ने विधानसभा में प्रश्न भी उठाया था। लेकिन नतीजा शून्य।

काली कमाई करने वाले अधिकारियों का मायाजाल

18-20 वर्षों से प्रतिनियुक्ति पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में पदस्थ रहकर करोड़ों की काली कमाई करने वाले अधिकारियों का मायाजाल इतना सशक्त है कि ऐसी किसी कार्यवाही / पत्राचार से उनके सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यही कारण है कि प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग के लिखे हुए पत्र पर लगभग ढाई माह बाद भी शासन स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। एक ओर सरकार आर्थिक तंगी को दूर करना चाहती है दूसरी ओर जलसंसाधन विभाग में संविदा नियुक्यि धड़ल्ले से हो रहे है जबकि विभाग के काफी तादात में इंजीनियर दूसरे विभाग में पदस्थ हैं। संविदा नियुक्ति एवं सेवा वृद्धि से पद का वेतनमान और अनुषांगिक लाभ प्राप्त होने पर स्थापना व्यय बढ़ता है। साथ ही नई नियुक्ति से बेरोजगार लोगो को रोजगार भी हासिल होता है।

पंचायत जैसा मलाई जल संसाधन में नहीं

प्रदेश में सबसे मलाईदार विभाग पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग है जहां जाने के लिए अधिकारी से लेकर कर्मचारी लालायित रहते है जो जाने के बाद वापसी का ही रास्ता भूल जाते है। जिसका बोझ यहां काम कर रहे इंजीनियर से लेकर सहायक अभियंता और अन्य तकनीकी अधिकारियों-कर्मचारियों को उठाना पड़ता है। काम की अधिकता के चलते काम में उत्साह के बजाय पूरे साल भर निरसता बना रहता है। जिसके कारण जल संसाधन विभाग का काम समय पर नहीं हो पाता। इसके पीछे तर्क यहीं दिया जाता है कि कुछ मिलना जुलना नहीं तो तत्परता क्यों दिखाया जाए। जल संसाधन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर जाने का मतलब ही यह है कि एक रेंक उपर पदस्थ होना है, तो फिर मलाईदार विभाग को छोड़कर सूखा पड़े मूल विभाग में उसी पद पर कैसे वापसी होगी। इस जटिल प्रक्रिया को सरकारी स्तर पर सरल बनाना होगा। तभी जल संसाधन विभाग हरा-भरा हो पाएगा।

कई वरिष्ठ अनुभवी अधिकारी सेवा निवृत्त हुए

जल संससाधन विभाग मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर अटल नगर रायपुर के आदेश क्रमांक एफ 02-01 / स्था. / 31/2013 दिनांक 30/8/2019 के अनुसार वर्ष 2020 में 24 कार्यपालन अभियंता और दो अधीक्षण अभियंता सेवानिवृत्त हुए हैं। केवल एक वर्ष में 26 वरिष्ठ अनुभवी अधिकारी सेवा निवृत्त हुए हैं तो आज तक काफी तादात में इंजिनियर रिटायर्ड हो चुके हैं , वहीं दूसरी तरफ बड़ी संख्या में इस विभाग के अनुभवी अधिकारी विभिन्न विभागों में प्रतिनियुक्ति पर हैं ।

अपनों को उपकृत करने का खेल

जल संसाधन विभाग में इंजीनियरों की कमी है और चहेतों को उपकृत करने का खेल वर्षो से जलसंसाधन विभाग में चल रहा है। जलसंसाधन विभाग में अधिकारियों ने ऐसा जाल बिछाया है कि दूसरे विभाग के अपने चहेतों को यहां नियुक्ति देकर मलाईदार काम की जिम्मेदारी देकर खुद मालामाल हो रहे है और प्रतिनियुक्ति वाले अधिकारी को मालामाल कर रहे है। ऐसे में कल्पना करें की कोई भला मलाईदार विभाग को छोड़कर कैसे अपने मूल विभाग में वापसी करेगा। प्रतिनियुक्ति के आड़ में अपने चहेतों को मलाईदार पद में बैठाने का खेल अनवरत चल रहा है। यही वजह है प्रमुख अभियंता जल संसाधन द्वारा लिखे पत्र का कोई पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

-इस सम्बन्ध में प्रसून शर्मा, अधीक्षण अभियंता (प्रशासन) से चर्चा हुई, फिलहाल वे अवकाश पर हैं। अन्य किसी अधिकरी से चर्चा कर जानकारी ले सकते हैं तथा प्रमुख अभियंता जलसंसाधन श्री उईके ने फोन रिसिव नहीं किया। वहीं जलसंसाधन मंत्री के ओएसडी जय उरांव ने कहा- विभाग के सचिव ही बेहतर बता सकते हैं।

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