छत्तीसगढ़

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Nilmani Pal
30 April 2022 12:34 PM GMT
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दिल्ली। मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के संयुक्त सम्मेलन में कानून मंत्री किरन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने कहा कि हमने कुछ प्रस्तावों को सर्वसम्मति से अपनाया है. हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि इस सम्मेलन में आए सभी निर्णयों और आम सहमति को सभी द्वारा पूर्ण आकार और समर्थन दिया जाएगा. दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा, मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन के दौरान उन्होंने कुछ प्रस्ताव पारित किए थे. प्रस्तावों में से एक राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना विकास प्राधिकरण बनाना था. उसके लिए कुछ मुख्यमंत्री वर्तमान व्यवस्था से सहमत नहीं हो सके.


कानून मंत्री ने कहा, वे कह रहे थे कि समिति का गठन राष्ट्रीय स्तर के बजाय राज्य स्तर पर किया जा सकता है, क्योंकि कार्यों का कार्यान्वयन राज्य स्तर पर राज्य सरकार के पास है. उन्होंने कहा कि इसलिए मुझे खुशी है कि मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों ने सहमति व्यक्त की है कि राज्य स्तर पर मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों या उनके नामितों की भागीदारी से निकाय बनाया जाएगा. जब सीएम और चीफ जस्टिस एक साथ आएंगे तो कई चीजें तय हो सकती हैं.

वहीं, इस कार्यक्र में चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने शनिवार को सरकारों को 'सबसे बड़ा वादी' करार दिया और कहा कि 50 प्रतिशत लंबित मामलों के लिये वे जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि कार्यपालिका और विधायिका की विभिन्न शाखाओं के अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं करने के कारण लंबित मामलों का अंबार लगा हुआ है. चीफ जस्टिस ने कार्यपालिका द्वारा न्यायिक आदेशों की अवहेलना से उत्पन्न अवमानना ​​​​मामलों की बढ़ती संख्या का उल्लेख किया और कहा कि न्यायिक निर्देशों के बावजूद सरकारों द्वारा जानबूझकर निष्क्रियता दिखाना लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है.

चीफ जस्टिस ने भारतीय न्यायपालिका के सामने प्रमुख समस्याओं जैसे लंबित मामले, रिक्तियां, घटते न्यायाधीश-जनसंख्या अनुपात और अदालतों में बुनियादी ढांचे की कमी को रेखांकित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन किया. प्रधान न्यायाधीश ने राज्य के तीन अंगों – कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका – को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय 'लक्ष्मण रेखा' के प्रति सचेत रहने की याद दिलाई. उन्होंने सरकारों को आश्वस्त किया कि न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी, अगर यह कानून के तहत चलता है तो.

उन्होंने कहा, 'हम लोगों के कल्याण के संबंध में आपकी चिंताओं को समझते हैं.' उन्होंने कहा कि सभी संवैधानिक प्राधिकारी संवैधानिक आदेश का पालन करते हैं, क्योंकि संविधान तीनों अंगों के बीच शक्तियों के पृथक्करण, उनके कामकाज के क्षेत्र, उनकी शक्तियों और जिम्मेदारियों का स्पष्ट रूप से प्रावधान करता है. चीफ जस्टिस ने कहा, 'यह एक अच्छी तरह से स्वीकार किया गया तथ्य है कि सरकारें सबसे बड़ी वादी हैं, जो लगभग 50 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार हैं.'


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