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Nilmani Pal
17 April 2022 10:32 AM GMT
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सेना कमांडरों का सम्मेलन (Army Commanders Conference) 18-22 अप्रैल तक दिल्ली (Delhi) में होना है. सेना कमांडरों का सम्मेलन एक शीर्ष स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम है, जो हर साल अप्रैल और अक्टूबर में आयोजित किया जाता है. सम्मेलन वैचारिक स्तर पर विचार-विमर्श के लिए एक संस्थागत मंच है. ये भारतीय सेना (Indian Army) के लिए जरूरी नीतिगत फैसले लेने में परिणत होता है. इस सम्मेलन के दौरान, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी एक्टिव बॉडर्स के साथ परिचालन स्थिति की समीक्षा करेंगे.


इसके अलावा, संघर्ष के पूरे स्पेक्ट्रम में खतरों का आकलन करेंगे और कैपेसिटी डेवलपमेंट तथा ऑपरेशनल तैयारियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए क्षमता की कमी का विश्लेषण करेंगे. इसमें बॉर्डर क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, स्वदेशीकरण के जरिए आधुनिकीकरण, आला तकनीक को शामिल करने और रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के किसी भी प्रभाव पर मूल्यांकन से संबंधित पहलुओं पर चर्चा भी निर्धारित है.

क्षेत्रीय कमानों द्वारा प्रायोजित विभिन्न एजेंडा बिंदुओं पर वरिष्ठ कमांडरों द्वारा विचार-विमर्श किया जाएगा. इस सम्मेलन के हिस्से के रूप में आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी (AWES) और आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड (AGIF) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें आयोजित की जाएंगी. बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) 21 अप्रैल को वरिष्ठ कमांडरों के साथ बातचीत और सम्मेलन को संबोधित कर सकते है. यह सम्मेलन रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) के संवाद सत्र के दौरान सैन्य मामलों के विभाग और रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत करने के लिए भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के लिए एक औपचारिक मंच भी है.

इससे पहले, 6 अप्रैल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली स्थित वायु सेना के मुख्यालय में वायु सेना कमांडरों के सम्मेलन (AFCC) का उद्घाटन किया था. इस सम्मेलन में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार सहित भारतीय वायु सेना के वरिष्ठ कमांडरों ने हिस्सा लिया था. वरिष्ठ कमांडरों के साथ बातचीत में रक्षा मंत्री ने कहा था कि उन्हें यह देखकर खुशी कि इस सम्मेलन में उच्च प्राधिकारों की ओर से दिए गए निर्देशों पर विस्तार से चर्चा की गई और यह भविष्य के सभी कार्यों के लिए मार्गदर्शक का काम करेगा. रक्षा मंत्री ने "ऑपरेशन गंगा" के तहत युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को वायु सेना द्वारा स्वदेश वापस लाने के प्रयास की प्रशंसा की थी. इसके अलावा उन्होंने कहा था कि मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थिति ने फिर से स्वदेशीकरण की जरूरत को रेखांकित किया है.

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