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पाकिस्तान के एफ-16 फाइटर जेट को मार गिराने वाला विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान का स्क्वॉड्रन खत्म होने वाला है. 30 सितंबर को इसे खत्म कर दिया जाएगा. भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) श्रीनगर स्थित MiG-21 Bison फाइटर जेट का यह स्क्वॉड्रन अपनी 37 साल की उम्र पूरी कर चुका है. इस स्क्वॉड्रन का उपनाम स्वॉर्ड आर्म्स (Sword Arms) है. यह अपने लक्ष्य वाक्य पर पूरी तरह से खरा उतरता है. जो है- युद्ध महास्परा भयंकरा यानी विजय पराक्रम.
1985 से में शुरू किए गए इस मोस्ट डेकोरेटेड स्क्वॉड्रन के वायुवीरों ने जाबांजी की सारी सीमाएं पार की हैं. सबसे प्रसिद्ध कहानी है विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान (Wing Commander Abhinandan Varthaman) की. 27 फरवरी 2019 की जब अभिनंदन मिग-21 लेकर रूटीन निगरानी उड़ान पर थे. सूचना थी कि सीमापार से पाकिस्तानी फाइटर प्लेन कश्मीर में घुसपैठ करने वाले हैं. सूचना सही भी थी. अभिनंदन ने पाकिस्तानी फाइटर जेट को खदेड़ा. इस दौरान वो पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में चले गए. उनके एयरक्राफ्ट पर पाकिस्तानी एफ-16 ने मिसाइल दागी. लेकिन उससे पहले उन्होंने पाकिस्तानी फाइटर जेट को मार गिराया. खुद को विमान से इजेक्ट कर लिया.
अभिनंदन उस समय भारतीय सीमा से 7 किलोमीटर दूर POK में होरान गांव के ऊपर थे. वो गिरे भी वहीं. स्थानीय लोगों ने अभिनंदन को गिरते ही पकड़ लिया. जब पाकिस्तानी लोगों ने अभिनंदन को घेरना शुरु किया तो उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा मत करो. लेकिन ग्रामीणों ने उनके साथ हाथापाई की. बाद में पाकिस्तानी सेना ने उन्हें ग्रामीणों के चंगुल से छुड़वाया. भारतीय वायुसेना ने भी पुष्टि की कि अभिनंदन ने पाकिस्तानी एयरफोर्स के F-16 फाइटर जेट को मार गिराया है. उधर, पाकिस्तानी फौज और प्रशासन ने अभिनंदन की चाय पीते हुए, उनसे पूछताछ करते हुए. उन्हें ग्रामीणों के पास से ले जाते हुए कि तस्वीरें और वीडियो डाले. इसके बाद विंग कमांडर अभिनंदन को वीर चक्र से नवाज़ा गया.
यह सिर्फ एक कहानी है इस स्क्वॉड्रन की बहादुरी की. 1999 में हुए करगिल युद्ध (Kargil War) में चलाए जा रहे ऑपरेशन सफेद सागर (Operation Safed Sagar) में मिग-21 फाइटर जेट्स ने ऊंची चोटियों पर बैठे दुश्मनों की हालत पस्त कर दी थी. इस स्क्वॉड्रन को एक वायु सेना मेडल, तीन मेंशन इन डिस्पैच मिले हैं. ऑपरेशन पराक्रम के दौरान इसी स्क्वॉड्रन को कश्मीर घाटी की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया था. साल 2018 में देश के लिए उच्च स्तर की सेवा और बहादुरी के लिए इसे प्रेसिडेंट स्टैंडर्ड से भी नवाज़ा गया है.