छत्तीसगढ़
जनरल सर्जन बन कर कर रहा था मरीज़ों का इलाज, पुलिस ने किया गिरफ्तार
Shantanu Roy
16 Feb 2022 4:29 PM GMT
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अग्रिम जमानत ख़ारिज
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरबा। जनरल सर्जन बन कर 12 साल तक मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे एसएन यादव ने पुलिस की गिरफ्तारी से बचने न्यायालय से अग्रिम जमानत हासिल करने की कोशिश की, पर उसकी इस कवायद को झटका लगा है। कोरबा के विशेष न्यायालय ने मामले को गंभीर बताते हुए जमानत याचिका खारिज कर दिया है।
आरोपित यादव ने एमबीबीएस व मास्टर आफ सर्जन की गुवाहाटी व चेन्नाई मेडिकल विश्वविद्यालय के नाम पर फर्जी सर्टिफिकेट बनवा रखा था। इसके आधार पर ही मूलतः बिहार का रहने वाला यादव बिहार मेडिकल काउंसिल में पंजीयन भी करा लिया था। वर्ष 2012 में पथरी निकलवाने पहुंचे संतोष गुप्ता की किडनी निकाल लिए जाने के बाद इस फर्जी चिकित्सक के खिलाफ प्रशासनिक जांच बैठी। वर्ष 2013 में ही सर्टिफिकेट फर्जी होने की जानकारी जांच में सामने आ गई थी, पर तत्कालीन जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएचओ) रिपोर्ट को दबा कर बैठे रहे। इस बीच वह आपरेशन करता रहा।
करीब 10 साल बाद वर्तमान सीएमएचओ ने जांच रिपोर्ट पुलिस के हवाल करते हुए धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है। इसकी भनक लगने पर आरोपित यादव तो फरार हो गया, पर उसने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अग्रिम जमानत याचिका विशेष न्यायाधीश राजीव कुमार के न्यायालय में लगाया। बचाव पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि यादव का बिहार मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन है और अब तक वह इमानदारी से चिकित्सकीय पेशा में सेवाएं दे रहा था।
बचाव पक्ष की ओर से दी गई इस दलील का अभियोजन पक्ष ने विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि कोरबा कलेक्टर ने छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल के माध्यम से यादव के गुवाहाटी और चेन्नाई विश्वविद्यालय के सर्टिफिकेट की जांच कराई है, दोनों ही फर्जी निकले हैं। कई लोगों की जान को खतरे में डाल कर अवैधानिक तरीके से चिकित्सकीय पेशा से जुड़ रहे, इसलिए इस मामले में अग्रिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए। न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
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