छत्तीसगढ़

सूर्योदय से पूर्व जगें, भाग्य सदा जागृत रहेगा

Nilmani Pal
14 Sep 2022 3:20 AM GMT
सूर्योदय से पूर्व जगें, भाग्य सदा जागृत रहेगा
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रायपुर। राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी महाराज ने कहा कि सूर्याेदय से पूर्व जागने की आदत डालिए। सुबह जल्दी जागने वाले महानुभाव उगते हुए भाग्य के सूर्य का दर्शन करते हैं, जबकि विलम्ब से उठने वाले हमेशा डूबते हुए सूरज का ही दीदार करते हैं। सुबह 5.30 बजे उठना और रात को 10.30 बजे सोना आरोग्य, बुद्धि, धनार्जन और भाग्योदय के लिए पहला सार्थक कदम है। सुबह उठते ही निवृत्ति के लिए अवश्य जाएँ, ताकि शरीर के मलीन तत्व का विसर्जन होने से शरीर स्वच्छ और निर्मल हो सके। आप सूर्याेदय से पूर्व स्नान करें। अल सुबह किया गया स्नान ब्रह्मस्नान है, सूर्याेदय के बाद किया गया स्नान मानव-स्नान है, दोपहर में किया गया स्नान आलसियों का पशु-स्नान है। प्रतिदिन एक घंटा स्वास्थ्य के लिए प्रदान कीजिए। शारीरिक स्फूर्ति के लिए 20 मिनट गति के साथ टहलिए। प्राण-ऊर्जा बढ़ाने के लिए 20 मिनट योग और प्राणायाम का अभ्यास कीजिए और मानसिक शांति तथा आध्यात्मिक चेतना के विकास के लिए 20 मिनट ध्यान कीजिए।

संतप्रवर श्री मेघराज बेगानी धार्मिक एवं परमार्थिक ट्रस्ट द्वारा न्यू राजेंद्र नगर स्थित जैन मंदिर में आयोजित प्रवचन माला के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को जीने की कला सिखाते हुए संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन सुबह उठकर माता-पिता के चरण स्पर्श अवश्य कीजिए। उनके आशीर्वाद की बदौलत आपका पूरा दिन सुकून भरा बीतेगा। दिनभर में जो-जो कार्य निपटाने हैं, उनकी सूची सुबह ही तैयार कर लीजिए। व्यवस्थित ढंग से दिन की शुरुआत करने वाले एक दिन में 7 दिनों का काम निपटा लिया करते हैं। घर से बाहर निकलते समय अपने घरवालों को कहकर जाइए। ऐसा करने से उनकी सद्भावना का रक्षा-कवच आपकी रक्षा करता रहेगा और ज़रूरत पडऩे पर वे भी आपसे सम्पर्क कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि भोजन करने से पहले हाथों को धोने की आदत डालिए, ताकि हाथों का मैल और पसीना भोजन के जरिए पेट में जाकर रोग का कारण न बने। भोजन सदा ताजा और सात्विक लीजिए। बासी भोजन रोग और आलस्य को बढ़ाने वाला होता है। सात्विक, सीमित और ऋतु के अनुकूल भोजन करने वाला अपना चिकित्सक आप होता है। शादी-विवाह और जीमण के भोजन को संयमित रूप में लीजिए, क्योंकि वहाँ का भोजन राजसिक और गरिष्ठ होने के कारण सुपाच्य नहीं होता। सात्विक और संयमित भोजन लेने से शरीर, मन और प्राण, तीनों ही शुद्ध-सात्विक रहते हैं। सुबह का नाश्ता हमें राजा की तरह शक्ड्ढितवर्धक लेना चाहिए, दोपहर का भोजन प्रजा की तरह सीधा-साधा लेना चाहिए, परन्तु शाम का भोजन रोगी की तरह हल्का-फुल्का लेना ही श्रेष्ठ है। स्वास्थ्य का सीक्रेट है - अन्न को करो आधा, शाक/ सब्जी को दुगुना, पानी पीओ तिगुना और हँसी को करो चौगुना।

उन्होंने कहा कि जीवन बहुत सुन्दर है, इसे और सुन्दर बनाइए। मन ऐसा रखिए, जो किसी का बुरा न सोचे, दिल ऐसा रखिए, जो किसी को दुरूखी न करे, स्पर्श ऐसा कीजिए, जिससे किसी को पीड़ा न हो और रिश्ता ऐसा बनाइए, जिसका कभी अन्त न हो। इससे पूर्व पूज्य साध्वी श्री स्नेहयशा जी महाराज ने भी भाई बहनों को धर्म लाभ प्रदान किया।

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